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'आरोपित एकान्त' और 'जान है तो जहान है' का विमोचन, कोरोना काल से कराएंगी रूबरू

कोरोना काल में लॉकडाउन से उपजी विपदाओं और सामाजिक आपातकाल की स्मृतियों को सहेजने के लिए लेखक एवं स्तंभकार अमित राजपूत ने दो पुस्तकें 'आरोपित एकान्त' और 'जान है तो जहान है' लिखी. रविवार को प्रयागराज के गांधी सभागार में मण्डलायुक्त आरके रमेश कुमार ने सामग्री संकलन का विमोचन किया.

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'आरोपित एकान्त' और 'जान है तो जहान है' का विमोचन.
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Published : Oct 18, 2020, 10:37 PM IST

प्रयागराज: वैश्विक महामारी कोरोना काल में अघोषित लॉकडाउन से देश को बड़ी समस्यों का सामना करना पड़ा. संपूर्ण तालाबंदी ने लोगों की जिंदगी पर बुरा असर डाला. उन विपरीत परिस्थितियों से जिन लोगों को गुजरना पड़ा है, वो शायद ही कभी उस मंजर को भूल पाएं. भले ही सत्ता में बैठी सरकारों को इसका तकाजा न हो, लेकिन कोई था जो इस सामाजिक आपातकाल का आंकलन कर रहा था. जी हां फतेहपुर के लेखक ने कोरोना काल खंड के ऐसे ही कुछ सजीव संस्मरण का संकलन किया है. कोविड-19 में लॉकडाउन से उपजे सामाजिक आपातकाल को सहेजने की एक अनूठी पहल लेखक एवं स्तंभकार अमित राजपूत ने दो पुस्तकों 'आरोपित एकान्त' और 'जान है तो जहान है' लिखी, जिनका रविवार को प्रयागराज में विमोचन किया गया.

मण्डलायुक्त कार्यालय स्थित गांधी सभागार में कोरोना काल की पुस्तकों के मुखपृष्ठ का अनावरण किया गया. पुस्तकों में वैश्विक महामारी, साल 2020 कोरोना काल और लॉकडाउन के समय क्या-क्या परिस्थितियां थी. किन-किन परिस्थितियों से लोग गुजर रहे थे. कौन भूखा था, कौन बीमार था, कौन जी रहा है, कौन मर रहा है. इन सभी पहलुओं पर पुस्तक में संकलन किया गया है. कोरोना के खौफ से चहार दीवारों में कैद होकर जीने को मजबूर लोगों का सजीव संस्मरण पुस्तक के जरिए समझाया गया है.

प्रयागराज मण्डलायुक्त, आरके रमेश कुमार, भाषाविद एवं समीक्षक आचार्य पृथ्वी नाथ पाण्डेय ने दोनों पुस्तकों के मुखपृष्ठ का अनावरण किया. पुस्तक अनावरण के दौरान कई बुद्धजीवियों ने अपने-अपने विचार रखे. वहीं लेखक एवं स्तंभकार अमित राजपूत ने बताया कि 'आरोपित एकान्त' और 'जान है तो जहान है' दो पुस्तकों के मुख्य पृष्ठ का विमोचन हुआ है. प्रयागराज मंडल के जनपद फतेहपुर में कोरोना काल के दौरान जो लॉकडाउन था, उस दौरान उपजे सामाजिक आपातकाल का जो दृश्य था, उसमें लोगों के सजीव संस्मरण जो बहुत कुछ अनूठे और कुछ विद्रोहपित संस्मरण का संकलन किया गया. इस काल खंड को समझने के लिए और आने वाले समय के लिए बहुत ही उपयोगी होगा.

प्रयागराज: वैश्विक महामारी कोरोना काल में अघोषित लॉकडाउन से देश को बड़ी समस्यों का सामना करना पड़ा. संपूर्ण तालाबंदी ने लोगों की जिंदगी पर बुरा असर डाला. उन विपरीत परिस्थितियों से जिन लोगों को गुजरना पड़ा है, वो शायद ही कभी उस मंजर को भूल पाएं. भले ही सत्ता में बैठी सरकारों को इसका तकाजा न हो, लेकिन कोई था जो इस सामाजिक आपातकाल का आंकलन कर रहा था. जी हां फतेहपुर के लेखक ने कोरोना काल खंड के ऐसे ही कुछ सजीव संस्मरण का संकलन किया है. कोविड-19 में लॉकडाउन से उपजे सामाजिक आपातकाल को सहेजने की एक अनूठी पहल लेखक एवं स्तंभकार अमित राजपूत ने दो पुस्तकों 'आरोपित एकान्त' और 'जान है तो जहान है' लिखी, जिनका रविवार को प्रयागराज में विमोचन किया गया.

मण्डलायुक्त कार्यालय स्थित गांधी सभागार में कोरोना काल की पुस्तकों के मुखपृष्ठ का अनावरण किया गया. पुस्तकों में वैश्विक महामारी, साल 2020 कोरोना काल और लॉकडाउन के समय क्या-क्या परिस्थितियां थी. किन-किन परिस्थितियों से लोग गुजर रहे थे. कौन भूखा था, कौन बीमार था, कौन जी रहा है, कौन मर रहा है. इन सभी पहलुओं पर पुस्तक में संकलन किया गया है. कोरोना के खौफ से चहार दीवारों में कैद होकर जीने को मजबूर लोगों का सजीव संस्मरण पुस्तक के जरिए समझाया गया है.

प्रयागराज मण्डलायुक्त, आरके रमेश कुमार, भाषाविद एवं समीक्षक आचार्य पृथ्वी नाथ पाण्डेय ने दोनों पुस्तकों के मुखपृष्ठ का अनावरण किया. पुस्तक अनावरण के दौरान कई बुद्धजीवियों ने अपने-अपने विचार रखे. वहीं लेखक एवं स्तंभकार अमित राजपूत ने बताया कि 'आरोपित एकान्त' और 'जान है तो जहान है' दो पुस्तकों के मुख्य पृष्ठ का विमोचन हुआ है. प्रयागराज मंडल के जनपद फतेहपुर में कोरोना काल के दौरान जो लॉकडाउन था, उस दौरान उपजे सामाजिक आपातकाल का जो दृश्य था, उसमें लोगों के सजीव संस्मरण जो बहुत कुछ अनूठे और कुछ विद्रोहपित संस्मरण का संकलन किया गया. इस काल खंड को समझने के लिए और आने वाले समय के लिए बहुत ही उपयोगी होगा.

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