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अब एक क्लिक पर मिलेगी कई पीढ़ियों की जानकारी, ऑनलाइन करा सकेंगे पूजन और अनुष्ठान

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Published : Nov 21, 2021, 8:54 AM IST

प्रयागराज के तीर्थ पुरोहित हुए डिजिटल, यजमान जान सकेंगे अपने पूर्वजों का इतिहास. डिजिटल इंडिया अभियान से तीर्थराज प्रयाग के तीर्थ पुरोहित भी जुड़े. प्रयागराज के तीर्थपुरहितों की ओर से कुलवृक्ष वेबसाइट और एप लांच किया गया.

कुलवृक्ष वेबसाइट और एप लांच.
कुलवृक्ष वेबसाइट और एप लांच.

प्रयागराजः डिजिटल इंडिया अभियान से अब तीर्थराज प्रयाग के तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज भी जुड़ रहा है. तीर्थ पुरोहितों ने अब अपने यजमानों की वंशावली को डिजिटलीकरण करने की शुरुआत की है. वंशावली को ऑनलाइन करने के लिए तीर्थ पुरोहितों ने 'कुलवृक्ष' वेबसाइट और मोबाइल एप लांच किया है. कई पीढ़ियों की जानकारी एक जगह उपलब्ध कराने के लिए तीर्थ पुरोहितों ने www.kulvriksh.org की शुरुआती है.

कुलवृक्ष वेबसाइट और एप लांच.


धर्म आस्था की नगरी संगम नगरी प्रयागराज में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध और उनके क्रिया कर्म के लिए आते हैं. अब तक तीर्थ पुरोहित इनके वंशावली को पारंपरिक तरीके से दर्ज करके रखते हैं. जहां इन अहम दस्तावेजों के काफी पुराने होने पर उन्हें दोबारा उसे लिखवाना पड़ता था. इसके साथ ही कई बार इन दस्तावेजों के नष्ट होने का भी खतरा बना रहता था. ऐसे में वंशावली के डिजिटल होने से नष्ट होने का कोई खतरा नहीं रहेगा.

वंशावलियों के डिजिटल होने से कई पीढ़ियों की जानकारी भी एक क्लिक पर मिलेगी. इसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों को भी अपने परंपरागत मोटी मोटी पोथियां और बही खातों के रखरखाव से छुटकारा मिलेगा. इससे जहां पुरोहितों को बही खातों के लेखन की पुरानी परंपरा से निजात मिलेगी, वहीं एक क्लिक पर विदेशों में बैठे यजमानों को भी अपनी वंशावली के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी. कुलवृक्ष की ओर से वेबसाइट www.kulvriksh.org और मोबाइल एप्लीकेशन कूलवृझ तैयार किया गया है.

कुलवृक्ष मोबाइल एप से तीर्थ पुरोहित प्रदीप पांडे और दीपू मिश्रा जुड़ चुके हैं, जो कि अपने यजमानों की वंशावली को डिजिटल करने का काम कर रहे हैं. तीर्थ पुरोहित दीपू मिश्रा के मुताबिक प्रयागराज में अयोध्या के राजा दशरथ और उनके सुपुत्र भगवान श्री राम की वंशावली यहां के तीर्थ पुरोहितों के पास मौजूद है. वहीं देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के खानदान की यहां पर वंशावली है. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और स्वामी करपात्री महाराज की वंशावली भी तीर्थ पुरोहितों के पास मौजूद है.

कुलवृक्ष तकनीकी प्रमुख प्रमोद मिश्रा के मुताबिक यह वेबसाइट भारत की युवा वर्ग और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद कारगर साबित होगी. क्योंकि इस वेबसाइट में न सिर्फ अपने पूर्वजों का लेखा-जोखा रख सकते हैं बल्कि अपने दैनिक गतिविधियों को भी दर्ज करा सकते हैं. इस वेबसाइट में अपने कुल से संबंधित एक-एक व्यक्ति का डाटा उपलब्ध होगा ताकि आप की वास्तविक ब्लड चेन के लोग यानी आप के कुल के दूरदराज के रिश्तेदार व सगे संबंधियों का विवरण भी आप यहां से देख पाएंगे. इसके साथ ही एप पर चैट की सुविधा भी है.

इसे भी पढ़ें-अखिलेश यादव का जो हश्र 2017 और 2019 में हुआ वही 2022 के चुनाव में होगा- बीएल वर्मा


प्रमोद मिश्रा ने बताया कि कुलवृक्ष एप और वेबसाइट पर लोग अपने परिवार के सदस्यों की जीवनी लिख पाएंगे और उसे रिकॉर्ड भी कर पाएंगे. यहां पर दर्ज की गई वंशावली एक फैमिली ट्री के रूप में दिखाई देगी, जिससे न सिर्फ आपके परिवार के लोगों का नाम दर्ज होगा बल्कि फोटोग्राफ सहित उनके विवरण भी देखने को मिलेगा. कुलवृक्ष प्रतिनिधियों के मुताबिक इस प्रकार के प्रयोग से तीर्थ पुरोहित भी हाईटेक हो जाएंगे.

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प्रमोद मिश्रा ने बताया कि कुलवृक्ष से जुड़ने के बाद विदेशों में बैठे प्रवासी भी अपने परंपरा और संस्कृति को और करीब से जान सकेंगे. इसके साथ ही साथ अपने तीर्थ पुरोहितों से ऑनलाइन वीडियो कॉल के जरिए कोई भी पूजन या अनुष्ठान भी करा सकेंगे.

प्रयागराजः डिजिटल इंडिया अभियान से अब तीर्थराज प्रयाग के तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज भी जुड़ रहा है. तीर्थ पुरोहितों ने अब अपने यजमानों की वंशावली को डिजिटलीकरण करने की शुरुआत की है. वंशावली को ऑनलाइन करने के लिए तीर्थ पुरोहितों ने 'कुलवृक्ष' वेबसाइट और मोबाइल एप लांच किया है. कई पीढ़ियों की जानकारी एक जगह उपलब्ध कराने के लिए तीर्थ पुरोहितों ने www.kulvriksh.org की शुरुआती है.

कुलवृक्ष वेबसाइट और एप लांच.


धर्म आस्था की नगरी संगम नगरी प्रयागराज में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध और उनके क्रिया कर्म के लिए आते हैं. अब तक तीर्थ पुरोहित इनके वंशावली को पारंपरिक तरीके से दर्ज करके रखते हैं. जहां इन अहम दस्तावेजों के काफी पुराने होने पर उन्हें दोबारा उसे लिखवाना पड़ता था. इसके साथ ही कई बार इन दस्तावेजों के नष्ट होने का भी खतरा बना रहता था. ऐसे में वंशावली के डिजिटल होने से नष्ट होने का कोई खतरा नहीं रहेगा.

वंशावलियों के डिजिटल होने से कई पीढ़ियों की जानकारी भी एक क्लिक पर मिलेगी. इसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों को भी अपने परंपरागत मोटी मोटी पोथियां और बही खातों के रखरखाव से छुटकारा मिलेगा. इससे जहां पुरोहितों को बही खातों के लेखन की पुरानी परंपरा से निजात मिलेगी, वहीं एक क्लिक पर विदेशों में बैठे यजमानों को भी अपनी वंशावली के बारे में पूरी जानकारी मिल सकेगी. कुलवृक्ष की ओर से वेबसाइट www.kulvriksh.org और मोबाइल एप्लीकेशन कूलवृझ तैयार किया गया है.

कुलवृक्ष मोबाइल एप से तीर्थ पुरोहित प्रदीप पांडे और दीपू मिश्रा जुड़ चुके हैं, जो कि अपने यजमानों की वंशावली को डिजिटल करने का काम कर रहे हैं. तीर्थ पुरोहित दीपू मिश्रा के मुताबिक प्रयागराज में अयोध्या के राजा दशरथ और उनके सुपुत्र भगवान श्री राम की वंशावली यहां के तीर्थ पुरोहितों के पास मौजूद है. वहीं देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के खानदान की यहां पर वंशावली है. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और स्वामी करपात्री महाराज की वंशावली भी तीर्थ पुरोहितों के पास मौजूद है.

कुलवृक्ष तकनीकी प्रमुख प्रमोद मिश्रा के मुताबिक यह वेबसाइट भारत की युवा वर्ग और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहद कारगर साबित होगी. क्योंकि इस वेबसाइट में न सिर्फ अपने पूर्वजों का लेखा-जोखा रख सकते हैं बल्कि अपने दैनिक गतिविधियों को भी दर्ज करा सकते हैं. इस वेबसाइट में अपने कुल से संबंधित एक-एक व्यक्ति का डाटा उपलब्ध होगा ताकि आप की वास्तविक ब्लड चेन के लोग यानी आप के कुल के दूरदराज के रिश्तेदार व सगे संबंधियों का विवरण भी आप यहां से देख पाएंगे. इसके साथ ही एप पर चैट की सुविधा भी है.

इसे भी पढ़ें-अखिलेश यादव का जो हश्र 2017 और 2019 में हुआ वही 2022 के चुनाव में होगा- बीएल वर्मा


प्रमोद मिश्रा ने बताया कि कुलवृक्ष एप और वेबसाइट पर लोग अपने परिवार के सदस्यों की जीवनी लिख पाएंगे और उसे रिकॉर्ड भी कर पाएंगे. यहां पर दर्ज की गई वंशावली एक फैमिली ट्री के रूप में दिखाई देगी, जिससे न सिर्फ आपके परिवार के लोगों का नाम दर्ज होगा बल्कि फोटोग्राफ सहित उनके विवरण भी देखने को मिलेगा. कुलवृक्ष प्रतिनिधियों के मुताबिक इस प्रकार के प्रयोग से तीर्थ पुरोहित भी हाईटेक हो जाएंगे.

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प्रमोद मिश्रा ने बताया कि कुलवृक्ष से जुड़ने के बाद विदेशों में बैठे प्रवासी भी अपने परंपरा और संस्कृति को और करीब से जान सकेंगे. इसके साथ ही साथ अपने तीर्थ पुरोहितों से ऑनलाइन वीडियो कॉल के जरिए कोई भी पूजन या अनुष्ठान भी करा सकेंगे.

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