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अगर बच्चों को रखना है जुर्म की दुनिया से दूर तो ये सावधानी बरतनी होगी - बच्चों को अपराध करने से रोकने के उपाय

प्रयागराज में स्कूली छात्र अपराध की ओर बढ़ने पर लगे है. छात्रों को अपराध करने से कैसे रोका जाए इसके लिए क्या टिप्स की जरूरत है. जाने इस रिपोर्ट में...

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जुर्म की दुनिया
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Published : Sep 2, 2022, 7:08 PM IST

Updated : Sep 2, 2022, 7:35 PM IST

प्रयागराज: धर्म और अध्यात्म की नगरी प्रयागराज में स्कूली शिक्षा लेने की उम्र में नाबालिग छात्र बम तमंचा कारतूस लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं. इसके साथ ही पेन चलाने की उम्र में छात्र सड़कों पर मारपीट करने के साथ ही चाकूबाजी कर रहे हैं. छात्रों के अंदर पनपती हिंसक सोच के लिए मनोचिकित्सक जहां टीवी और सोशल मीडिया के साथ ही समाज में माफियाओं की बढ़ती हनक को जिम्मेदार बता रहे हैं. उनका कहना है कि जो समाज में होता दिख रहा है उसको देखकर बच्चे प्रभावित होते हैं. इसी वजह से कुछ बच्चों का दिमाग जरायम की दुनिया की ओर आकर्षित हो रहा है. इसे रोकने के लिए स्कूलों के शिक्षकों के साथ ही अभिभावकों को कदम उठाने पड़ेंगे.


प्रयागराज में बीते कुछ महीनों से स्कूलों के बाहर आए दिन बमबाजी की घटनाएं हो रही थी. पुलिस ने जब बमबाजी की घटनाओं(bombing incidents) को रोकने के लिए जुलाई महीने में प्रभावी कार्रवाई शुरू की, तो बमबाजी करने वाले कोई और नहीं बल्कि स्कूल के छात्र निकले. शहर के बड़े कान्वेंट स्कूलों के छात्र बमबाजी करते हुए पकड़े गए. छात्रों की अलग-अलग गैंग का पुलिस ने खुलासा किया. इसमें पुलिस में कई छात्रों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की और एक बालिग बमबाज छात्र को जेल भी भेजा.

यह सलाह दी गई.

इसी तरह से शहर के दारागंज और ग्रामीण इलाके के सोरांव थाना क्षेत्र के स्कूलों में तमंचा लेकर छात्र स्कूल पहुंच गए. जहां पर स्कूल प्रशासन और शिक्षकों के दखल के बाद तमंचा लेकर स्कूल पहुंचे छात्र को पुलिस ने पकड़ लिया. दारागंज के सिंधु विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में तमंचा लेकर पहुंचे छात्र को पुलिस ने पकड़ा और उसे तमंचा देने वाले को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसी तरह से 1 सितंबर गुरुवार को नैनी थाना क्षेत्र के शैल शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज में छात्रों के एक गुट ने दूसरे छात्र को चाकू मारकर घायल कर दिया.

स्कूल प्रशासन और अभिभावकों को उठाने चाहिए प्रभावी कदम: स्कूली छात्रों के बीच पनपती हिंसा को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए स्कूलों के साथ ही अभिभावकों को मिलकर प्रभावी कदम उठाने चाहिए. शहर के जगत तारण गोल्डन जुबली स्कूल की प्रिंसिपल सुष्मिता कानूनगो का कहना है कि आज के स्कूली छात्रों को शिक्षा के साथ ही क्या करना है और क्या नहीं करना है इसकी जानकारी देनी चाहिए है. इसके लिए शिक्षकों के साथ ही परिवार वालों को भी प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है.

1.स्कूलों में आने वाले बच्चों की काउंसलिंग होनी चाहिए.
2.बच्चों के मन में शिक्षकों के प्रति सम्मान का जरूर होना चाहिए तभी बच्चे शिक्षकों की बात मानेंगे.
3.स्कूलों के अंदर और बाहर छात्रों के गैंग न बन पाए इसके लिए प्रभावी कदम और निगरानी की जानी चाहिए.
4.स्कूल में समय समय पर बच्चों के बैग की चेकिंग की जानी चाहिए जिससे बच्चे कुछ भी आपत्तिजनक सामान स्कूल न लाएं.
5.बच्चों के दोस्तों और उनके आने जाने की जगहों की विस्तृत जानकारी माता पिता को रखनी चाहिए.
6.स्कूल में शिक्षकों को बच्चों को समझाना चाहिए.
7.बच्चे टीवी और सोशल मीडिया में क्या देख और सीख रहे हैं माता-पिता को इसकी निगरानी करनी चाहिए. हिंसक विषय वस्तु से बच्चों को दूर रखना चहिए जिससे उनका मन अपराध जगत की तरह आकर्षित न हो सके.

मनोचिकित्सक ने बच्चों के बदलते स्वभाव के लिए टीवी को बताया जिम्मेदार
प्रयागराज के मनोचिकित्सक डॉ राकेश पासवान का कहना है कि बच्चों के बदलते स्वभाव और सोच के लिए मीडिया और सोशल मीडिया जिम्मेदार बताया है.उनका कहना है कि टीवी और मोबाइल पर बच्चे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं.उनका कहना है कि बच्चों का मन कोमल होता है.वो टीवी पर जो कुछ देखते उन्हें लगता है कि समाज में वैसा ही हो रहा है.टीवी और सोशल मीडिया में जिस तरह से असलहों और माफ़ियाओं का महिमा मंडन दिखाया जाता है उसको देखकर बच्चों को लगता है कि समाज में माफिया और असलहों के बल पर मान सम्मान धन ऐष्वर्य सब कुछ हासिल किया जा सकता है.

यह भी पढे़ं: देश की पहली लेडी डाॅन जिसे कहते थे किडनैपिंग क्वीन, जानिये अनसुनी कहानी

यही वजह है कि बच्चे स्कूलों में पढ़ाई के दौरान से ही उसी अपराधियों की तरह खुद को बनाने की सोचने लगते हैं.इसी बीच ऐसे बच्चे आपराधिक किस्म के व्यक्ति के संपर्क में पहुँच जाते है और गलत राह उन्हें भाने लगती है.जिस वजह से वो उसी राह पर चलने की सोचने लगते हैं. ऐसे में शिक्षक और अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों को किसी गलत राह चलने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए.

यह भी पढे़ं:माफिया राजन तिवारी फतेहगढ़ केंद्रीय कारागार में शिफ्ट, गोरखपुर से लाया गया

प्रयागराज: धर्म और अध्यात्म की नगरी प्रयागराज में स्कूली शिक्षा लेने की उम्र में नाबालिग छात्र बम तमंचा कारतूस लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं. इसके साथ ही पेन चलाने की उम्र में छात्र सड़कों पर मारपीट करने के साथ ही चाकूबाजी कर रहे हैं. छात्रों के अंदर पनपती हिंसक सोच के लिए मनोचिकित्सक जहां टीवी और सोशल मीडिया के साथ ही समाज में माफियाओं की बढ़ती हनक को जिम्मेदार बता रहे हैं. उनका कहना है कि जो समाज में होता दिख रहा है उसको देखकर बच्चे प्रभावित होते हैं. इसी वजह से कुछ बच्चों का दिमाग जरायम की दुनिया की ओर आकर्षित हो रहा है. इसे रोकने के लिए स्कूलों के शिक्षकों के साथ ही अभिभावकों को कदम उठाने पड़ेंगे.


प्रयागराज में बीते कुछ महीनों से स्कूलों के बाहर आए दिन बमबाजी की घटनाएं हो रही थी. पुलिस ने जब बमबाजी की घटनाओं(bombing incidents) को रोकने के लिए जुलाई महीने में प्रभावी कार्रवाई शुरू की, तो बमबाजी करने वाले कोई और नहीं बल्कि स्कूल के छात्र निकले. शहर के बड़े कान्वेंट स्कूलों के छात्र बमबाजी करते हुए पकड़े गए. छात्रों की अलग-अलग गैंग का पुलिस ने खुलासा किया. इसमें पुलिस में कई छात्रों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की और एक बालिग बमबाज छात्र को जेल भी भेजा.

यह सलाह दी गई.

इसी तरह से शहर के दारागंज और ग्रामीण इलाके के सोरांव थाना क्षेत्र के स्कूलों में तमंचा लेकर छात्र स्कूल पहुंच गए. जहां पर स्कूल प्रशासन और शिक्षकों के दखल के बाद तमंचा लेकर स्कूल पहुंचे छात्र को पुलिस ने पकड़ लिया. दारागंज के सिंधु विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में तमंचा लेकर पहुंचे छात्र को पुलिस ने पकड़ा और उसे तमंचा देने वाले को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इसी तरह से 1 सितंबर गुरुवार को नैनी थाना क्षेत्र के शैल शिक्षा निकेतन इंटर कॉलेज में छात्रों के एक गुट ने दूसरे छात्र को चाकू मारकर घायल कर दिया.

स्कूल प्रशासन और अभिभावकों को उठाने चाहिए प्रभावी कदम: स्कूली छात्रों के बीच पनपती हिंसा को प्रभावी ढंग से रोकने के लिए स्कूलों के साथ ही अभिभावकों को मिलकर प्रभावी कदम उठाने चाहिए. शहर के जगत तारण गोल्डन जुबली स्कूल की प्रिंसिपल सुष्मिता कानूनगो का कहना है कि आज के स्कूली छात्रों को शिक्षा के साथ ही क्या करना है और क्या नहीं करना है इसकी जानकारी देनी चाहिए है. इसके लिए शिक्षकों के साथ ही परिवार वालों को भी प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है.

1.स्कूलों में आने वाले बच्चों की काउंसलिंग होनी चाहिए.
2.बच्चों के मन में शिक्षकों के प्रति सम्मान का जरूर होना चाहिए तभी बच्चे शिक्षकों की बात मानेंगे.
3.स्कूलों के अंदर और बाहर छात्रों के गैंग न बन पाए इसके लिए प्रभावी कदम और निगरानी की जानी चाहिए.
4.स्कूल में समय समय पर बच्चों के बैग की चेकिंग की जानी चाहिए जिससे बच्चे कुछ भी आपत्तिजनक सामान स्कूल न लाएं.
5.बच्चों के दोस्तों और उनके आने जाने की जगहों की विस्तृत जानकारी माता पिता को रखनी चाहिए.
6.स्कूल में शिक्षकों को बच्चों को समझाना चाहिए.
7.बच्चे टीवी और सोशल मीडिया में क्या देख और सीख रहे हैं माता-पिता को इसकी निगरानी करनी चाहिए. हिंसक विषय वस्तु से बच्चों को दूर रखना चहिए जिससे उनका मन अपराध जगत की तरह आकर्षित न हो सके.

मनोचिकित्सक ने बच्चों के बदलते स्वभाव के लिए टीवी को बताया जिम्मेदार
प्रयागराज के मनोचिकित्सक डॉ राकेश पासवान का कहना है कि बच्चों के बदलते स्वभाव और सोच के लिए मीडिया और सोशल मीडिया जिम्मेदार बताया है.उनका कहना है कि टीवी और मोबाइल पर बच्चे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं.उनका कहना है कि बच्चों का मन कोमल होता है.वो टीवी पर जो कुछ देखते उन्हें लगता है कि समाज में वैसा ही हो रहा है.टीवी और सोशल मीडिया में जिस तरह से असलहों और माफ़ियाओं का महिमा मंडन दिखाया जाता है उसको देखकर बच्चों को लगता है कि समाज में माफिया और असलहों के बल पर मान सम्मान धन ऐष्वर्य सब कुछ हासिल किया जा सकता है.

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यही वजह है कि बच्चे स्कूलों में पढ़ाई के दौरान से ही उसी अपराधियों की तरह खुद को बनाने की सोचने लगते हैं.इसी बीच ऐसे बच्चे आपराधिक किस्म के व्यक्ति के संपर्क में पहुँच जाते है और गलत राह उन्हें भाने लगती है.जिस वजह से वो उसी राह पर चलने की सोचने लगते हैं. ऐसे में शिक्षक और अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों को किसी गलत राह चलने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए.

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Last Updated : Sep 2, 2022, 7:35 PM IST
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