प्रयागराज : सोशल मीडिया अपनी भावनाओं को दुनिया तक पहुंचाने वाला आज एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म हो गया है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्वीटर पर आए दिन लोग तरह-तरह के फोटो शेयर करते हैं और दूसरे के पोस्ट पर कॉमेंट भी करते हैं. बड़े हों या बच्चे आजकल हर किसी का ज्यादातर वक्त सोशल मीडिया पर गुजरता है. अगर दूसरों के पोस्ट पर ज्यादा लाइक या कमेंट देखकर आपको अच्छा नहीं लगता तो इस पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि यह आदत डिप्रेशन की शुरुआत हो सकती है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म दुनिया के बड़े हिस्से को प्रभावित करते हैं. खासकर युवाओं के जीवन में सोशल मीडिया कुछ ज्यादा ही महत्व रखता है. पिछले एक दशक में फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हमारी रोजमार्रा की लाइफ का हिस्सा बन गए हैं. वहीं बच्चों और युवाओं पर इनके दुष्प्रभाव भी पड़ रहे हैं. बहुत से लोग डिप्रेशन और एंग्जायटी का शिकार हो रहे हैं.
वहीं मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश पासवान कहते हैं कि सोशल साइट्स पर लाइक सिस्टम की वजह से यूजर्स को डिप्रेशन जैसी परेशानियों को सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि 'कई लोगों का आत्मविश्वास लाइक और कॉमेंट के साथ ही चलता है. कम लाइक मिलने से उन्हें डिप्रेशन भी हो जाता है. कई लोग तो इस बात का बुरा भी मान जाते हैं कि आपने मेरी पोस्ट को लाइक नहीं किया या उस पर कॉमेंट नहीं किया. वहीं कई लोग यह समझते हैं कि उनकी पोस्ट पर लाइक करना आपकी नैतिक जिम्मेदारी है. अगर आप उनकी पोस्ट पर तुरंत लाइक न करें, तो वे बुरा मान जाते हैं. आपसे नाराज हो जाते हैं. उन्हें इस बात से मतलब नहीं है कि सामने वाला कितना बिजी है. उन्हें बस आपसे अपनी पोस्ट पर लाइक चाहिए.
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मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय की डॉ. ईशान्या राज के मुताबिक, सोशल मीडिया में लाइक और डिसलाइक के ऑप्शन से नई पीढ़ी इस कदर प्रभावित हो चुकी है कि वह इन बातों को इशू बना लेती है. जिससे कई बार ऐसे कदम भी उठा लेती है जो उसके पूरे जीवन के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं.
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