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तकनीकी सहायक भर्ती मामला: राज्य सरकार और विद्युत सेवा चयन आयोग से मांगा जवाब - allahabad court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विद्युत विभाग में तकनीकी सहायकों की भर्ती में अर्हता परीक्षा को सामान्यीकरण प्रक्रिया में नियम विरुद्ध शामिल करने की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार और विद्युत सेवा चयन आयोग से जवाब मांगा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Feb 1, 2021, 5:35 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विद्युत विभाग में तकनीकी सहायकों की भर्ती में अर्हता परीक्षा को सामान्यीकरण प्रक्रिया में नियम विरुद्ध शामिल करने की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार और विद्युत सेवा चयन आयोग से जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 18 फरवरी को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने कुलदीप सिंह और दो अन्य की याचिका पर दिया.

याची अधिवक्ता का कहना है कि विद्युत विभाग ने 247 टेक्नीशियनों की भर्ती का विज्ञापन निकाला था. विज्ञापन के अनुसार परीक्षा के दो हिस्से होंगे. पहला कंप्यूटर ज्ञान 50 अंक का होगा. इसमें न्यूनतम 20 अंक पाना अनिवार्य अर्हता होगी. गलत उत्तर पर एक चौथाई अंक की कटौती होगी. इस अंक को चयन मेरिट में शामिल नहीं किया जाएगा. दूसरे हिस्से की परीक्षा की मेरिट से चयन सूची तैयार होगी, किन्तु दोनों ही परीक्षाओं में सामान्यीकरण प्रक्रिया लागू होगी. सामान्यीकरण प्रश्नों के लेबल को बराबर करने की प्रक्रिया है.

याची का कहना है कि जब परीक्षा का प्रथम हिस्सा अर्हता निर्धारण (क्वालिफाइंग ) मात्र है, तो उसमें सामान्यीकरण करना अनुचित है. नियमावली में सामान्यीकरण का कोई उपबंध नहीं है. कोर्ट ने जानकारी मांगी है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विद्युत विभाग में तकनीकी सहायकों की भर्ती में अर्हता परीक्षा को सामान्यीकरण प्रक्रिया में नियम विरुद्ध शामिल करने की वैधता की चुनौती याचिका पर राज्य सरकार और विद्युत सेवा चयन आयोग से जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 18 फरवरी को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने कुलदीप सिंह और दो अन्य की याचिका पर दिया.

याची अधिवक्ता का कहना है कि विद्युत विभाग ने 247 टेक्नीशियनों की भर्ती का विज्ञापन निकाला था. विज्ञापन के अनुसार परीक्षा के दो हिस्से होंगे. पहला कंप्यूटर ज्ञान 50 अंक का होगा. इसमें न्यूनतम 20 अंक पाना अनिवार्य अर्हता होगी. गलत उत्तर पर एक चौथाई अंक की कटौती होगी. इस अंक को चयन मेरिट में शामिल नहीं किया जाएगा. दूसरे हिस्से की परीक्षा की मेरिट से चयन सूची तैयार होगी, किन्तु दोनों ही परीक्षाओं में सामान्यीकरण प्रक्रिया लागू होगी. सामान्यीकरण प्रश्नों के लेबल को बराबर करने की प्रक्रिया है.

याची का कहना है कि जब परीक्षा का प्रथम हिस्सा अर्हता निर्धारण (क्वालिफाइंग ) मात्र है, तो उसमें सामान्यीकरण करना अनुचित है. नियमावली में सामान्यीकरण का कोई उपबंध नहीं है. कोर्ट ने जानकारी मांगी है.

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