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प्रयागराज: सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर दिया धरना

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में सहायता प्राप्त शिक्षकों ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर धरना दिया. उनका यह धरना एक दिवसीय था. वहीं उन्होंने अपनी मांगे पूरी न होने की स्थिति में दोबारा धरना देने की चेतावनी दी है.

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अपनी मांगों को लेकर शिक्षकों ने किया प्रदर्शन.
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Published : Mar 10, 2020, 5:06 AM IST

प्रयागराज: वेतन मिलने में देरी और शिक्षकों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर धरना दिया. शिक्षक दल के विधायक एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी ने धरने पर बैठे लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षकों की अगर मांगे नहीं मानी गईं तो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के मूल्यांकन का बहिष्कार किया जाएगा.

अपनी मांगों को लेकर शिक्षकों ने किया प्रदर्शन.

धरने पर बैठे शिक्षकों का कहना था कि वर्ष में कम से कम 3 बार किसी न किसी कारण से सामूहिक वेतन रोकने का आदेश विभाग के वित्त एवं लेखा अधिकारी द्वारा जारी कर दिया जाता है. बिना अपराध वेतन रोकना प्राकृतिक न्याय के विपरीत है.

शिक्षकों का कहना था कि जनपद के 25 विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के जनवरी माह का वेतन अभी तक नहीं मिला है. वही जनपद में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल 2000 के बाद नियुक्त शिक्षकों कर्मचारियों का एनपीएस के तहत वेतन से काटा गया. धन अशासकीय अनुदान लगभग 14 माह से ट्रेजरी में पड़ा है, जो अभी तक स्थानांतरित नहीं किया गया.

इसे भी पढ़ें- वाराणसी: होली में लगा ठंडाई का तड़का, विदेशी सैलानी भी मस्ती में हुए चूर

प्रयागराज: वेतन मिलने में देरी और शिक्षकों के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पर धरना दिया. शिक्षक दल के विधायक एमएलसी सुरेश कुमार त्रिपाठी ने धरने पर बैठे लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षकों की अगर मांगे नहीं मानी गईं तो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के मूल्यांकन का बहिष्कार किया जाएगा.

अपनी मांगों को लेकर शिक्षकों ने किया प्रदर्शन.

धरने पर बैठे शिक्षकों का कहना था कि वर्ष में कम से कम 3 बार किसी न किसी कारण से सामूहिक वेतन रोकने का आदेश विभाग के वित्त एवं लेखा अधिकारी द्वारा जारी कर दिया जाता है. बिना अपराध वेतन रोकना प्राकृतिक न्याय के विपरीत है.

शिक्षकों का कहना था कि जनपद के 25 विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों के जनवरी माह का वेतन अभी तक नहीं मिला है. वही जनपद में सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल 2000 के बाद नियुक्त शिक्षकों कर्मचारियों का एनपीएस के तहत वेतन से काटा गया. धन अशासकीय अनुदान लगभग 14 माह से ट्रेजरी में पड़ा है, जो अभी तक स्थानांतरित नहीं किया गया.

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