प्रयागराज: श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी ने शुक्रवार को हनुमान मंदिर के छोटे महंत व योगगुरु स्वामी आनंद गिरि को बाघम्बरी मठ व निरंजनी अखाड़े से निष्कासित कर दिया है. उनके ऊपर आरोप है कि संत परंपरा के खिलाफ वे लगातार अपने परिवार से संबंध रखते रहे. साथ ही हरिद्वार में प्रॉपर्टी भी खरीदा है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने ही अपने शिष्य योगगुरु स्वामी आनंद गिरि पर यह आरोप लगाया है.
कई सालों से दे रहे थे योग की शिक्षा
आनंद गिरी पिछले बीस सालों से नरेंद्र गिरी के सानिध्य में रहकर योगी का जीवन बिता रहे थे. साथ ही कई सालों से योग की शिक्षा भी लोगों को दे रहे थे. आनंद गिरी ने योग गुरु के तौर पर कई देशों में जाकर योग शिक्षा दी है. इसके अलावा उन्हें प्रयागराज के लेटे हनुमान मंदिर का उप महंत की उपाधि मिली थी. यही वजह है कि यहां पर वह छोटे महाराज के नाम से पुकारे जाते थे. जबकि बड़े महाराज अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी को कहा जाता है.
बताया जा रहा है कि आनंद गिरी ने सन्यासी परंपराओं को तोड़ा है, जिसकी वजह से उन्हें मठ से निकाला गया है. हालांकि इस फैसले को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. पिछले कुछ वक्त से गुरु शिष्य के बीच किसी बात पर तनातनी चल रही थी. जिसके बाद आनंद गिरी को अखाड़े के साथ ही मठ बाघम्बरी गद्दी से भी बाहर कर दिया है. जिस वजह से अब वह लेटे हनुमान मंदिर का भी कामकाज नहीं देख सकेंगे.
ऑस्ट्रेलिया में लगा था छेड़खानी का आरोप
आनंद गिरी पर 2019 कुम्भ के पहले छेड़खानी का आरोप लग चुका है. जब वह ऑस्ट्रेलिया योग सिखाने गए थे. उस दौरान ऑस्ट्रेलिया की रहने वाली दो महिलाओं ने उनके ऊपर छेड़खानी का मुकदमा दर्ज करवाया था. जिसके बाद वहां उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. हालांकि बाद में उन्हें वहां की अदालत से राहत मिल गई थी. उस मुश्किल दौर में भी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने आनंद गिरी ने साथ नहीं छोड़ा था. अखाड़ा परिषद के प्रयासों से ही उन्हें ऑस्ट्रेलिया में जेल से मुक्ति मिलने के बाद सकुशल वापस लाया गया था.
नरेंद्र गिरी की शिकायत पर हुई कार्रवाई
श्रीपंचायती अखाड़ा में नरेंद्र गिरी सचिव का पद संभाल रहे हैं. उन्होंने पिछले दिनों अपने शिष्य आनंद गिरी की शिकायत लिखकर अखाड़े के पंच परमेश्वरों को भेजा था. उन्होंने अपने पत्र में आनंद गिरी पर सन्यासी धर्म और अखाड़े की परंपराओं को तोड़ने का आरोप लगाया है. पत्र में यह भी कहा गया है कि आनंद गिरी सन्यासी होने के बावजूद अपने परिवार वालों से लगातार संबंध रखते रहे. मठ मंदिर की संपत्ति से अपने परिवार वालों को रुपये भेजते हैं. साथ ही निजी तौर पर संपत्ति खरीद रहे हैं. जिसके बाद श्रीपंचायती अखाड़े की तरफ से मामले की जांच करवाई गई. शिकायतों को सही पाए जाने पर स्वामी आनंद गिरी को अखाड़े से बाहर कर दिया गया है.
नरेंद्र गिरी के सबसे प्रिय शिष्य थे आनंद गिरी
आनंद गिरी संगम किनारे लेटे हुए हनुमान मंदिर की पूरी व्यवस्था देखते थे. इसके साथ ही मठ बाघम्बरी गद्दी से जुड़े कार्यों को भी संभालते थे. महंत नरेंद्र गिरी के अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष बनने के बाद शहर से बाहर रहने पर वह मठ मंदिर का सारा कामकाज देखते थे. हालांकि इस दौरान कभी गुरु शिष्य ने एक दूसरे के खिलाफ कुछ नहीं बोला था. अचानक से लिए गए इस फैसले को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. कयास लगाया जा रहा है कि इस तरह से नरेंद्र गिरी के उत्तराधिकारी के तौर पर देखे जाने वाले आनंद गिरी को अखाड़े से बाहर निकालने के पीछे गुरु शिष्य के बीच कोई और विवाद हुआ हो. फिलहाल अभी आनंद गिरी अपनी सफाई में कुछ भी बोलने के लिए सामने नहीं आए हैं.