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युवकों की हत्या में एसएसपी, एएसपी कोर्ट में तलब

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Published : Jan 22, 2021, 5:07 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में शुभम केसरी और रवि पांडेय नाम के दो युवकों की हत्या में स्थानीय पुलिस की भूमिका पर गंभीर टिप्पणी की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए कहा कि पुलिस ने इस मामले में अपने कतर्व्य के प्रति घोर लापरवाही का परिचय दिया है. पढ़ें पुलिस ने इस मामले में इतनी सख्त टिप्पणी क्यों की...

इलाहाबाद हाईकोर्ट .
इलाहाबाद हाईकोर्ट .

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में शुभम केसरी और रवि पांडेय नाम के दो युवकों की हत्या में स्थानीय पुलिस की भूमिका पर गंभीर टिप्पणी की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए कहा कि पुलिस ने इस मामले में अपने कतर्व्य के प्रति घोर लापरवाही का परिचय दिया है. कोर्ट ने पूरे मामले पर एसएसपी और एएसपी को तलब कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी. शुभम केसरी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति डॉ. वाई के श्रीवास्तव की पीठ सुनवाई कर रही है. यह याचिका शुभम के भाई शिवम केसरी के माध्यम से दाखिल की गई है.

अपहरण की सूचना के बाद भी दर्ज नहीं की रिपोर्ट

कोर्ट का कहना था कि पूरे मामले को देखने से स्पष्ट है कि पुलिस ने इस मामले में घोर लापरवाही बरती है. इससे उसकी भूमिका संदेह के घेर में आ जाती है. पीठ ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि मृतक के भाई ने पुलिस अधिकारियों को 26 अक्टूबर और 31 जनवरी को अपहरण की सूचना दी थी. इसके बावजूद पुलिस ने न तो केस दर्ज किया और न ही कोई विवेचना शुरू की. गुमशुदगी की रिपोर्ट पांच जनवरी 21 को इस अदालत द्वारा मामले पर संज्ञान लेकर आदेश जारी करने के बाद दर्ज की गई. छह जनवरी को कोर्ट ने आदेश जारी किया, तब तक जांच शुरू नहीं की गई थी.

अधिकारियों के हलफनामे में पुलिस की भूमिका पर चुप्पी

कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है. नामजद आरोपियों सुनील निगम, गौरव निगम तथा जैतपुरा, पांडेयपुर और चौक थानों की पुलिस की भूमिका पर भी अधिकारियों के हलफनामे में चुप्पी साध ली गई है. 15 जनवरी को मिर्जापुर से दोनों की लाशें बरामद होने के बावजूद पुलिस ने 19 जनवरी को सुनील निगम और चार अन्य को गिरफ्तार किया. उनके पास से शुभम की अपाचे बाइक बरामद की गई थी, मगर यह नहीं बताया गया कि बाइक इनमें से किसके पास से बरामद हुई है. कोर्ट ने 22 जनवरी को दोनों युवकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों के साथ दोनों अधिकारियों को तलब किया है.

ये है मामला

मामले के अनुसार शिवम केसरी ने पुलिस अ‌धिकारियों से शिकायत की थी कि 22 दिसंबर को उसका भाई शुभम केसरी अपने मित्र रवि पांडेय के साथ दोस्त सुनील गुप्ता के घर गया था. वहां से सुनील की बाइक लेकर वापस अपने घर आ रहा था. तभी चौक, जैतपुरा और पांडेयपुर थाने के पुलिसकर्मियों ने दोनों का अपहरण कर लिया. आरोप है कि सभी दोनों को पीटते हुए अपने साथ ले गए. इसमें गौरव निगम और सुनील निगम की भी भूमिका बताई गई है. डीजीपी से लेकर पुलिस के आला अधिकारियों तक से शिकायत करने के बावजूद इस घटना की न तो रिपोर्ट दर्ज की गई और न ही दोनों युवकों के बारे में कोई जानकारी मिल सकी. इसके बाद शिवम ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की. कोर्ट के इस पर संज्ञान लेने के बाद पुलिस ने पांच जनवरी को गुमशुदगी ‌की रिपोर्ट दर्ज की. 15 जनवरी को दोनों युवकों की अधजली लाश मिर्जापुर से बरामद हुई.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी में शुभम केसरी और रवि पांडेय नाम के दो युवकों की हत्या में स्थानीय पुलिस की भूमिका पर गंभीर टिप्पणी की है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए कहा कि पुलिस ने इस मामले में अपने कतर्व्य के प्रति घोर लापरवाही का परिचय दिया है. कोर्ट ने पूरे मामले पर एसएसपी और एएसपी को तलब कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी. शुभम केसरी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति डॉ. वाई के श्रीवास्तव की पीठ सुनवाई कर रही है. यह याचिका शुभम के भाई शिवम केसरी के माध्यम से दाखिल की गई है.

अपहरण की सूचना के बाद भी दर्ज नहीं की रिपोर्ट

कोर्ट का कहना था कि पूरे मामले को देखने से स्पष्ट है कि पुलिस ने इस मामले में घोर लापरवाही बरती है. इससे उसकी भूमिका संदेह के घेर में आ जाती है. पीठ ने कहा कि यह हैरानी की बात है कि मृतक के भाई ने पुलिस अधिकारियों को 26 अक्टूबर और 31 जनवरी को अपहरण की सूचना दी थी. इसके बावजूद पुलिस ने न तो केस दर्ज किया और न ही कोई विवेचना शुरू की. गुमशुदगी की रिपोर्ट पांच जनवरी 21 को इस अदालत द्वारा मामले पर संज्ञान लेकर आदेश जारी करने के बाद दर्ज की गई. छह जनवरी को कोर्ट ने आदेश जारी किया, तब तक जांच शुरू नहीं की गई थी.

अधिकारियों के हलफनामे में पुलिस की भूमिका पर चुप्पी

कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने जानबूझकर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है. नामजद आरोपियों सुनील निगम, गौरव निगम तथा जैतपुरा, पांडेयपुर और चौक थानों की पुलिस की भूमिका पर भी अधिकारियों के हलफनामे में चुप्पी साध ली गई है. 15 जनवरी को मिर्जापुर से दोनों की लाशें बरामद होने के बावजूद पुलिस ने 19 जनवरी को सुनील निगम और चार अन्य को गिरफ्तार किया. उनके पास से शुभम की अपाचे बाइक बरामद की गई थी, मगर यह नहीं बताया गया कि बाइक इनमें से किसके पास से बरामद हुई है. कोर्ट ने 22 जनवरी को दोनों युवकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों के साथ दोनों अधिकारियों को तलब किया है.

ये है मामला

मामले के अनुसार शिवम केसरी ने पुलिस अ‌धिकारियों से शिकायत की थी कि 22 दिसंबर को उसका भाई शुभम केसरी अपने मित्र रवि पांडेय के साथ दोस्त सुनील गुप्ता के घर गया था. वहां से सुनील की बाइक लेकर वापस अपने घर आ रहा था. तभी चौक, जैतपुरा और पांडेयपुर थाने के पुलिसकर्मियों ने दोनों का अपहरण कर लिया. आरोप है कि सभी दोनों को पीटते हुए अपने साथ ले गए. इसमें गौरव निगम और सुनील निगम की भी भूमिका बताई गई है. डीजीपी से लेकर पुलिस के आला अधिकारियों तक से शिकायत करने के बावजूद इस घटना की न तो रिपोर्ट दर्ज की गई और न ही दोनों युवकों के बारे में कोई जानकारी मिल सकी. इसके बाद शिवम ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की. कोर्ट के इस पर संज्ञान लेने के बाद पुलिस ने पांच जनवरी को गुमशुदगी ‌की रिपोर्ट दर्ज की. 15 जनवरी को दोनों युवकों की अधजली लाश मिर्जापुर से बरामद हुई.

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