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इस दिवाली बन रहा है ग्रहों का दुर्लभ संयोग, मिलेगा अद्भुत लाभ

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Published : Nov 3, 2021, 10:41 AM IST

दशहरे पर रावण दहन करने के साथ ही दीपावली का पर्व मनाने के लिए उल्‍टी गिनती शुरू हो जाती है और कार्तिक महीने की अमावस्‍या को दीपावली मनाई जाती है. हालांकि यह पांच दिवसीय त्‍योहार है जो धन तेरस के साथ शुरू हो जाता है. साथ ही इस बार दीवाली बहुत खास और शुभ लाभ देने वाली होगी. इस बार दीपावली के दिन चतुर्ग्रही योग बन रहा है. मंगल, सूर्य, बुध और चंद्रमा. ग्रहों का यह संयोग बहुत ही शुभ माना जा रहा है.

इस दिवाली है ग्रहों का अद्भुत संयोग
इस दिवाली है ग्रहों का अद्भुत संयोग

प्रयागराज: देशभर में बड़े ही धूमधाम से दिवाली का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में दिपावाली के त्योहार का विशेष महत्व है. कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है. इस वर्ष रोशनी का पर्व दीपावाली चार नंवबर को मनाई जाएगी. ज्योतिषियों के अनुसार इस बार दिवाली पर एक दुर्लभ संयोग बन रहा है.




दिवाली पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा की जाती है. लक्ष्मी जी को सुख-समृद्धि की देवी कहा गया है. जीवन में जब लक्ष्मी जी कृपा प्राप्त होती है तो व्यक्ति का जीवन में संपन्नता आती है. लक्ष्मी जी को धन की देवी माना गया है. कलियुग में धन को एक प्रमुख साधन माना गया है. दिवाली का पर्व लक्ष्मी जी को समर्पित है. इस दिन लक्ष्मी जी की आरती, स्तुति आदि की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और धन से जुड़ी समस्याओं को दूर करती हैं. दिवाली का पर्व लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है. शुभ मुहूर्त और विधि पूर्वक पूजा करने से लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

इस दिवाली है ग्रहों का अद्भुत संयोग

दिवाली शुभ मुहूर्त

दिवाली: 4 नवंबर, 2021, गुरुवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 04 नवंबर 2021 को शुभ बेला, प्रात: 06:15 बजे से 8:50 तक,
चंचल बेला: 10:50 से 12:21 तक,
अभिजीत मुहूर्त,11:50 से12:40 तक,
लाभ बेला,12:21 से 1:30 तक,
कुंभ लगन,1:50 से 3:24 तक,
प्रदोष काल जिसे की घर की पूजा का भी समय कहां जाता है: 5:50 से 8:27 तक रहेगा
वृषभ लग्न, 6:30 से 8:26 तक,
राहुकाल,1:30 से 3:00 तक रहेगा. साथ ये विशेष ध्यान रखें कि राहु काल में पूजा न करे.



दिपावाली पर लक्ष्मी पूजन की विधि

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन से पूर्व स्थान को शुद्ध और पवित्र करें. इसके बाद कलश को तिलक लगाकर स्थापित करें. कलश पूजन करें. हाथ में फूल, अक्षत और जल लेकर लक्ष्मी जी का ध्यान लगाएं. इसके बाद सभी चीजों को कलश पर चढ़ा दें. इसे पश्चात श्रीगणेश जी और लक्ष्मी जी पर भी पुष्प और अक्षत अर्पित चढ़ाएं. इसके उपरांत लक्ष्मी जी और गणेशजी की प्रतिमा को थाली में रखकर दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं.

यह भी पढ़ें- विश्व रिकार्ड बनाएगा दीपोत्सव कार्यक्रम, 7.50 लाख दीयों से जगमग होगी रामनगरी

बाद में स्वच्छ जल से स्नान कराएं. इसके बाद लक्ष्मी जी और गणेशजी की मूर्ति को पुनः चौकी पर स्थापित करें. लक्ष्मी जी और गणेश जी को चंदन का तिलक लगाएं और पुष्प माला पहनाएं. खील-खिलौने, बताशे, मिष्ठान, फल, रुपये और स्वर्ण आभूषण रखें. इसके बाद गणेश जी और लक्ष्मी जी की कथा पढ़ें और आरती करें. पूजा समाप्त करने बाद प्रसाद वितरित करें. रोशनी के पर्व दीपावली पर्व पर इको फ्रेंडली ही गणेश लक्ष्मी की ही मूर्तियां पूजा करें साथी ग्रीन पटाखे जलाएं और प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाएं.



प्रयागराज: देशभर में बड़े ही धूमधाम से दिवाली का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में दिपावाली के त्योहार का विशेष महत्व है. कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है. इस वर्ष रोशनी का पर्व दीपावाली चार नंवबर को मनाई जाएगी. ज्योतिषियों के अनुसार इस बार दिवाली पर एक दुर्लभ संयोग बन रहा है.




दिवाली पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा की जाती है. लक्ष्मी जी को सुख-समृद्धि की देवी कहा गया है. जीवन में जब लक्ष्मी जी कृपा प्राप्त होती है तो व्यक्ति का जीवन में संपन्नता आती है. लक्ष्मी जी को धन की देवी माना गया है. कलियुग में धन को एक प्रमुख साधन माना गया है. दिवाली का पर्व लक्ष्मी जी को समर्पित है. इस दिन लक्ष्मी जी की आरती, स्तुति आदि की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और धन से जुड़ी समस्याओं को दूर करती हैं. दिवाली का पर्व लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना गया है. शुभ मुहूर्त और विधि पूर्वक पूजा करने से लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

इस दिवाली है ग्रहों का अद्भुत संयोग

दिवाली शुभ मुहूर्त

दिवाली: 4 नवंबर, 2021, गुरुवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 04 नवंबर 2021 को शुभ बेला, प्रात: 06:15 बजे से 8:50 तक,
चंचल बेला: 10:50 से 12:21 तक,
अभिजीत मुहूर्त,11:50 से12:40 तक,
लाभ बेला,12:21 से 1:30 तक,
कुंभ लगन,1:50 से 3:24 तक,
प्रदोष काल जिसे की घर की पूजा का भी समय कहां जाता है: 5:50 से 8:27 तक रहेगा
वृषभ लग्न, 6:30 से 8:26 तक,
राहुकाल,1:30 से 3:00 तक रहेगा. साथ ये विशेष ध्यान रखें कि राहु काल में पूजा न करे.



दिपावाली पर लक्ष्मी पूजन की विधि

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन से पूर्व स्थान को शुद्ध और पवित्र करें. इसके बाद कलश को तिलक लगाकर स्थापित करें. कलश पूजन करें. हाथ में फूल, अक्षत और जल लेकर लक्ष्मी जी का ध्यान लगाएं. इसके बाद सभी चीजों को कलश पर चढ़ा दें. इसे पश्चात श्रीगणेश जी और लक्ष्मी जी पर भी पुष्प और अक्षत अर्पित चढ़ाएं. इसके उपरांत लक्ष्मी जी और गणेशजी की प्रतिमा को थाली में रखकर दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं.

यह भी पढ़ें- विश्व रिकार्ड बनाएगा दीपोत्सव कार्यक्रम, 7.50 लाख दीयों से जगमग होगी रामनगरी

बाद में स्वच्छ जल से स्नान कराएं. इसके बाद लक्ष्मी जी और गणेशजी की मूर्ति को पुनः चौकी पर स्थापित करें. लक्ष्मी जी और गणेश जी को चंदन का तिलक लगाएं और पुष्प माला पहनाएं. खील-खिलौने, बताशे, मिष्ठान, फल, रुपये और स्वर्ण आभूषण रखें. इसके बाद गणेश जी और लक्ष्मी जी की कथा पढ़ें और आरती करें. पूजा समाप्त करने बाद प्रसाद वितरित करें. रोशनी के पर्व दीपावली पर्व पर इको फ्रेंडली ही गणेश लक्ष्मी की ही मूर्तियां पूजा करें साथी ग्रीन पटाखे जलाएं और प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाएं.



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