प्रयागराज: धर्म और अध्यात्म की नगरी प्रयागराज में भगवान शिव का एक ऐसा अनूठा मंदिर है जहां भोले भंडारी न्यायाधीश के रूप में विराजमान हैं और अपने भक्तों को उनके कर्मों पर निर्णय व न्याय करते हैं. भगवान शिव का यह अनूठा मंदिर, प्रयागराज के उत्तरी छोर गंगा किनारे स्थित है. भगवान भोलेनाथ का यह मंदिर "शिव कचहरी" के नाम से विख्यात है. देश प्रदेश के कोने-कोने से भगवान शिव के भक्त दर्शन करने यहां आते हैं. इस मंदिर में 286 शिवलिंग हैं. इनमें एक शिवलिंग न्यायाधीश के रूप में, तो बाकी वकील के रूप में हैं. बताया जाता है कि शिव कचहरी महादेव का मंदिर लगभग 150 वर्ष पुराना है.
कहते है मनुष्य को अपने जीवन में किए पुण्य और अच्छे कर्मों का फल तभी हासिल होता है, जब वह जाने अंजाने में हुए पापों का प्रायश्चित कर चुका होता है. इसी आस्था के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिव कचहरी मंदिर आते हैं. भक्तों के अनुसार शिव कचहरी मंदिर में भोले बाबा के दरबार में उनके भक्त अपनी गलतियों की माफी मांगने और उसका प्रायश्चित करने के लिए आते हैं. कोई चिट्ठी लिखकर अपनी अर्जी छोड़ जाता है और धीमी आवाज में अपनी बात कह देता. कई भक्त 'न्यायाधीश' भगवान शिव के सामने कान पकड़ कर उठक-बैठक करते हैं.
यहां लगता है भोलेनाथ की लगती है अदालत भक्त शिव कचहरी मंदिर में अपनी गलतियों की माफी और भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं. पंडित उदय तिवारी कई वर्षों से दरबार में हाजिरी लगाने की चाहत थी, लेकिन किसी कारणवश वे यहां नहीं आ पाए, उनका मानना है कि भोले बाबा की ऐसी कृपा हुई की इस वर्ष सावन माह में परिवार सहित दर्शन करने आए हैं. उनके अनुसार सावन माह में शिव कचहरी मंदिर में भोले भंडारी की दरबार लगता है, यहां लोग आस्था के साथ आते हैं. सावन माह भगवान भोलेनाथ का सबसे खास महीना होता है. शिव भक्त पूजा अर्चना करने आते हैं, भक्तों का मानना है सावन माह में परिवार सहित शिव कचहरी में रुद्राभिषेक करना पूजा अर्चना करने से भोले भंडारी प्रसन्न होते है. भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं. पंडित उदय तिवारी का मानना है भगवान भोले के पास चिट्ठी लिखकर अर्जी दी है. उनका न्याय जरूर होगा. क्योंकि भगवान शिव संपूर्ण पृथ्वी के न्यायाधीश हैं. ऐसे में हमें पूर्ण विश्वास है कि भगवान शिव सभी भक्तों को साथ न्याय करेंगे.
मंदिर में भोलेनाथ की लगती है अदालत शिव कचहरी मंदिर में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रा दीप्ति दुबे कहती हैं कि इस अनूठे शिव कचहरी मंदिर में जो भी मनोकामना के साथ भोले बाबा के दरबार में हाजिरी लगाता है, जो भी मांगता है भगवान मनोकामना पूर्ण करते है. दीप्ति दुबे कहती हैं कि शिव कचहरी महादेव मंदिर में स्वयं जज बैठे हैं. ऐसे में हम सभी छात्राएं इस मंदिर में आते हैं और जाने अनजाने में हुई गलतियां के लिए क्षमा मांगते हैं.मंदिर में भोलेनाथ की लगती है अदालत दीप्ति ने बताया कि कोरोना महामारी में हमारे पिताजी को तबीयत खराब हो गई थी. डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन स्वस्थ नहीं हो पा रहे थे. तभी शिव कचहरी महादेव मंदिर में भगवान भोले से हमने प्रार्थना की और उसके कुछ ही दिनों मेरे पिताजी पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर घर आ गए.मंदिर में भोलेनाथ की लगती है अदालत
सावन माह में दूर-दूर से महिलाएं भी शिव कचहरी मंदिर में भोलेबाबा के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आती हैं. पूजा अर्चना के साथ ही भजन कीर्तन भी करती हैं. उनका मानना है कि भक्तगण सच्चे दिल से भगवान की भक्ति करें, भगवान शिव यहां निर्णय व न्याय तो करते ही हैं, साथ ही भक्तों को इच्छित फल देते हुए उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी करते हैं.मंदिर में भोलेनाथ की लगती है अदालत शिव कचहरी मंदिर के पुजारी शंभू नाथ दुबे कहते हैं कि इस मंदिर को राजा पद्माजंग बहादुर ने 1865 में स्थापना कराई, साथ ही कई देवी देवता और भगवान को स्थापित किया. पुजारी जी के अनुसार इस मंदिर में उनकी तीसरी पीढ़ी चल रही है और मंदिर तकरीबन डेढ़ सौ साल पहले स्थापित कर शिव कचहरी नाम दिया गया था. इस अनूठे मंदिर में दो सौ अठ्ठासी शिवलिंग हैं.
पुजारी जी कहते हैं कि सावन माह और शिवरात्रि पर दूर-दूर से लोग आते हैं. भगवान शिव भक्तों के साथ इंसाफ करते हैं. भोले बाबा कल्याणकारी और दयालु भी हैं, इसलिए अलग-अलग तरीकों से माफी मांगने व गलतियों का प्रायश्चित करने वालों का कल्याण करते हैं .