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अटल महोत्सव: डिजिटल सत्याग्रह से आएगी पत्रकारिता में नैतिकता - अटल महोत्सव का आयोजन

प्रयागराज शहर में रविवार को मुक्त विश्वविद्यालय में साप्ताहिक अटल महोत्सव का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल आईआईएमसी के महानिदेशक संजय द्विवेदी ने पत्रकारिता में नैतिकता, मुद्दे और चुनौतियों के विषय पर बातचीत की.

डिजिटल सत्याग्रह से आएगी पत्रकारिता में नैतिकता
डिजिटल सत्याग्रह से आएगी पत्रकारिता में नैतिकता
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Published : Dec 28, 2020, 9:07 AM IST

प्रयागराज: पत्रकारिता में नैतिकता के लिए आज डिजिटल सत्याग्रह की आवश्यकता है. डिजिटल सत्याग्रह के माध्यम से जनता को जागृत किया जाए कि वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हुए बुरा मत टाइप करें, बुरा मत लाइक करें और बुरा मत शेयर करें. सही खबरों की पड़ताल के साथ-साथ फेक खबरों को पहचानने की भी कोशिश होनी चाहिए. उक्त वक्तव्य आईआईएमसी के महानिदेशक प्रोफसर संजय द्विवेदी ने एक कार्यक्रम के दौरान दिया.

व्याख्यानमाला का आयोजन
उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज में रविवार को साप्ताहिक अटल जन्मोत्सव के अंतर्गत व्याख्यानमाला का आयोजन किया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और मुक्य वक्ता के रूप में भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) नई दिल्ली के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी शामिल थे.

प्रोफेसर द्विवेदी ने पत्रकारिता में नैतिकता, मुद्दे और चुनौतियों के विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि मीडिया की नैतिकता तब सुधरेगी, जब संपूर्ण समाज एवं परिवार में नैतिकता की भावना जागृत होगी. प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि आज न्यूज चैनल व्यूज चैनल में बदल गए हैं. समाज में फेक न्यूज़ और हेट न्यूज का बोलबाला है. उन्होंने कहा कि फेक न्यूज यलो जर्नलिज्म का ही नया रूपांतरण है, जबकि समाज में कड़वाहट पैदा करने के लिए हेट न्यूज बनाई जाती है.

हर व्यक्ति पत्रकार नहीं
डिजिटल मीडिया की मदद से फेक न्यूज और हेट न्यूज को नियंत्रित करना कठिन हो रहा है. हर व्यक्ति को पत्रकार नहीं कहा जा सकता. सोशल मीडिया पर जो एक्टिव है, वह पत्रकार नहीं है. केवल पत्रकार ही समाचार लिख सकता है. समाचार को किस तरह से लिखा जाए, यह प्रशिक्षण से सीखा जा सकता है.

प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि आज हमें मूल्य आधारित पत्रकारिता की तरफ बढ़ना पड़ेगा, अन्यथा न तो पत्रकारिता बचेगी और न ही देश बचेगा. तथ्यों को तोड़े मरोड़े बिना खबर प्रस्तुत करनी पड़ेगी. आज समाचार के भीतर विचार एवं विज्ञापन समाहित किए जा रहे हैं. समाचार में अपेक्षित तटस्थता का भाव रखना चाहिए. आज जर्नलिस्ट की कुर्सी पर एक्टिविस्ट आकर बैठ गए हैं. तथ्यों का सही रूप में निरूपण करना पत्रकार का ध्येय है, जबकि एक्टिविस्ट अपने अनुसार पत्रकारिता की दिशा तय करते हैं, जो ठीक नहीं है.

युवाओं को प्रशिक्षिण की जरूरत
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि अटल जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था. पत्रकार के रूप में उनकी ख्याति थी. विलक्षण लोग जीवन के हर क्षेत्र में मानक स्थापित करते हैं. पत्रकारिता के क्षेत्र में अटल जी ने भी एक मानक स्थापित किया. आज जिस तरह से पत्रकारिता बाजारवाद की भेंट चढ़ चुकी है, इससे हम सबको बचने की जरूरत है. पत्रकारिता के क्षेत्र में जाने वाले युवाओं को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है.

प्रोफेसर सिंह ने कहा कि सूचनाओं का प्रवाह जारी रहेगा. हमें केवल इसके खतरों से आगाह करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अटल जी निष्पक्ष एवं नैतिकता पूर्ण पत्रकारिता, लेखन आदि कार्यों के लिए युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे. अटल जी परिश्रम एवं समर्पण की बदौलत ही शीर्ष पर पहुंचे. उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए.

प्रयागराज: पत्रकारिता में नैतिकता के लिए आज डिजिटल सत्याग्रह की आवश्यकता है. डिजिटल सत्याग्रह के माध्यम से जनता को जागृत किया जाए कि वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हुए बुरा मत टाइप करें, बुरा मत लाइक करें और बुरा मत शेयर करें. सही खबरों की पड़ताल के साथ-साथ फेक खबरों को पहचानने की भी कोशिश होनी चाहिए. उक्त वक्तव्य आईआईएमसी के महानिदेशक प्रोफसर संजय द्विवेदी ने एक कार्यक्रम के दौरान दिया.

व्याख्यानमाला का आयोजन
उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज में रविवार को साप्ताहिक अटल जन्मोत्सव के अंतर्गत व्याख्यानमाला का आयोजन किया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और मुक्य वक्ता के रूप में भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) नई दिल्ली के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी शामिल थे.

प्रोफेसर द्विवेदी ने पत्रकारिता में नैतिकता, मुद्दे और चुनौतियों के विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि मीडिया की नैतिकता तब सुधरेगी, जब संपूर्ण समाज एवं परिवार में नैतिकता की भावना जागृत होगी. प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि आज न्यूज चैनल व्यूज चैनल में बदल गए हैं. समाज में फेक न्यूज़ और हेट न्यूज का बोलबाला है. उन्होंने कहा कि फेक न्यूज यलो जर्नलिज्म का ही नया रूपांतरण है, जबकि समाज में कड़वाहट पैदा करने के लिए हेट न्यूज बनाई जाती है.

हर व्यक्ति पत्रकार नहीं
डिजिटल मीडिया की मदद से फेक न्यूज और हेट न्यूज को नियंत्रित करना कठिन हो रहा है. हर व्यक्ति को पत्रकार नहीं कहा जा सकता. सोशल मीडिया पर जो एक्टिव है, वह पत्रकार नहीं है. केवल पत्रकार ही समाचार लिख सकता है. समाचार को किस तरह से लिखा जाए, यह प्रशिक्षण से सीखा जा सकता है.

प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि आज हमें मूल्य आधारित पत्रकारिता की तरफ बढ़ना पड़ेगा, अन्यथा न तो पत्रकारिता बचेगी और न ही देश बचेगा. तथ्यों को तोड़े मरोड़े बिना खबर प्रस्तुत करनी पड़ेगी. आज समाचार के भीतर विचार एवं विज्ञापन समाहित किए जा रहे हैं. समाचार में अपेक्षित तटस्थता का भाव रखना चाहिए. आज जर्नलिस्ट की कुर्सी पर एक्टिविस्ट आकर बैठ गए हैं. तथ्यों का सही रूप में निरूपण करना पत्रकार का ध्येय है, जबकि एक्टिविस्ट अपने अनुसार पत्रकारिता की दिशा तय करते हैं, जो ठीक नहीं है.

युवाओं को प्रशिक्षिण की जरूरत
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि अटल जी का व्यक्तित्व बहुआयामी था. पत्रकार के रूप में उनकी ख्याति थी. विलक्षण लोग जीवन के हर क्षेत्र में मानक स्थापित करते हैं. पत्रकारिता के क्षेत्र में अटल जी ने भी एक मानक स्थापित किया. आज जिस तरह से पत्रकारिता बाजारवाद की भेंट चढ़ चुकी है, इससे हम सबको बचने की जरूरत है. पत्रकारिता के क्षेत्र में जाने वाले युवाओं को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है.

प्रोफेसर सिंह ने कहा कि सूचनाओं का प्रवाह जारी रहेगा. हमें केवल इसके खतरों से आगाह करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अटल जी निष्पक्ष एवं नैतिकता पूर्ण पत्रकारिता, लेखन आदि कार्यों के लिए युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे. अटल जी परिश्रम एवं समर्पण की बदौलत ही शीर्ष पर पहुंचे. उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए.

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