प्रयागराजः सैम हिग्गिनबॉटम कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरबी लाल और उनके भाई विनोद बी लाल तथा मैथ्यू सैमुअल सहित अन्य लोगों के खिलाफ जबरन धर्मांतरण कराए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने आरबी लाल व अन्य आरोपियों की अग्रिम जमानत पर दिया है.
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता जीएस चतुर्वेदी ने आरोपियों की ओर से बहस तथा अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एके को सुनकर दिया है. आधार लिया गया कि याची पर लगाए गए जबरन धर्मांतरण के आरोप बेबुनियाद व राजनीति से प्रेरित हैं. यह भी कहा गया कि इस मामले की विवेचना अधिकारी पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं. वास्तविकता यह है कि जिस चर्च के द्वारा धर्मांतरण कराने का आरोप है, याची उस चर्च का सदस्य तक नहीं है. याची सैम हिग्गिनबॉटम कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति हैं.
उल्लेखनीय है कि आरबी लाल सहित अन्य लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन अधिनियम 1921 की धारा 3/5 (1) तथा आईपीसी की धारा 531, 520, 420, 467, 468, 471 के तहत कोतवाली फतेहपुर में विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी हिमांशु दीक्षित ने मुकदमा दर्ज कराया है. जिसमें आरोप है कि उपरोक्त आरोपियों की मिलीभगत से इवेंजलिकल चर्च ऑफ इंडिया में 90 हिंदुओं का धर्मांतरण कराया गया है. शिकायत पर जब अधिकारियों की टीम चर्च में पहुंची तो उन्होंने पादरी विजय मसीह से पूछताछ की. विजय ने अधिकारियों को बताया कि धर्मांतरण की प्रक्रिया पिछले 34 दिनों से जारी है. जो कि 40 में दिन यह पूरी हो जाएगी. न्यायालय ने पूर्व में आरोपियों को अपना बयान दर्ज कराने तथा विवेचना में सहयोग करने का निर्देश दिया था. साथ ही कहा था कि इनकी गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि कोर्ट ने इससे पूर्व पासपोर्ट सरेंडर और बयान दर्ज कराने का निर्देश दिया था. उसका अभियुक्तों ने पालन नहीं किया गया है.
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