प्रयागराज: संगम नगरी में लगने वाले माघ मेले में कल्पवास के दौरान पंचकोसी परिक्रमा का आध्यात्मिक महत्व है. बुधवार को संगम तट से साधु-संतों ने पंचकोसी परिक्रमा प्रारंभ की. परिक्रमा में अखाड़ों के साधु-संत, कल्पवासी और आम श्रद्धालुओं ने भाग लिया. परिक्रमा पथ की अगुवाई अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी, जूना अखाड़ा के महंत व अखाड़ा परिषद के सचिव महंत हरि गिरी ने किया.
पंचकोसी परिक्रमा त्रिवेणी संगम से प्रारंभ होकर बंधवा स्थित हनुमान मंदिर, अक्षय वट, भारद्वाज ऋषि आश्रम, वेणी माधव सहित सभी प्रमुख स्थलों पर जाएगी. परिक्रमा में शामिल जूना अखाड़ा के महंत श्री हरि गिरी ने कहा कि बुधवार से पंचकोसी परिक्रमा प्रारंभ हुई है. संगम में पूजन के बाद भारद्वाज ऋषि आश्रम में पंचकोसी परिक्रमा पूजन किया गया. यहां पर जल भी अर्पण किया गया.
महंत श्री हरि गिरी ने कहा कि इस पंचकोसी परिक्रमा का उद्देश्य उन सभी तीर्थ स्थलों व मंदिरों की तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना है, जहां पर अभी भी सुविधाओं का अभाव है. जब इन तीर्थ स्थलों व मंदिरों पर सुविधाएं बढ़ेंगी तो अधिक से अधिक श्रद्धालु यहां पर आएंगे, जिससे ये तीर्थ स्थल भी पर्यटन के नक्शे पर मौजूद होंगे.
अपने संबोधन के दौरान महंत श्री हरि गिरी ने बताया कि काशी में जब श्रद्धालु जाते हैं तो वहां पर दो से तीन दिन रुकते हैं. वहां के तीर्थ स्थलों का भ्रमण करते हैं. हमारी मंशा है कि इस पंचकोसी परिक्रमा के माध्यम से जो भी मंदिर हैं, उनका जीर्णोद्धार कराया जा सके. श्रद्धालु यहां आने के बाद इन सभी तीर्थ स्थलों का भ्रमण करें. इसको लेकर के यह प्रयास चल रहा है.
प्रयागराज में पंचकोसी परिक्रमा का आध्यात्मिक महत्व है. कल्पवास के दौरान सभी साधु-संत यहां पर आकर पंचकोसी परिक्रमा करते हैं और पूर्ण लाभ लेते हैं. साधु-संत धार्मिक स्थलों के प्रचार-प्रसार के साथ अपनी संस्कृति व परंपराओं की सही देखभाल हो, इसके लिए प्रयासरत भी हैं. भारद्वाज ऋषि और भगवान श्रीराम की वजह से प्रयागराज की भूमि जानी और पहचानी जाती है.
-श्री हरि गिरी, महंत, जूना अखाड़ा