प्रयागराजः धान की कुटाई का मूल्य न बढ़ाए जाने से नाराज राइस मिल वेलफेयर एसोसिएशन ने मिलों की चाभी सरकार को देकर विरोध जताया. मिल मालिकों ने कहा कि प्रदेश सरकार से सन् 1978 से राइस मिलों को 10 रुपये प्रति कुंतल कुटाई का रेट मिल रहा है. अब महंगाई काफी बढ़ चुकी है इसलिए इसे बढ़ाया जाए. इसी के विरोध में राइस मिल मालिकों ने अफसरों को अपनी मिलों की चाभियां सौंपी.
एक ओर दीपावली का त्यौहार है और वहीं दूसरी तरफ राइस मिल मालिक आर-पार के मूड में हैं. राइस मिल मालिको का कहना है कि बिजली, डीजल, पेट्रोल और लेबर के रेट बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं. ऐसे में हमें धान की कुटाई का रेट भी बढ़कर मिलना चाहिए. धान की कुटाई का रेट न बढ़ाए जाने से नाराज राइस मिलरों ने 3 महीने से अपनी मिलें बंद कर रखीं हैं. उनका कहना है कि मशीनों और उनके पुर्जो के दाम भी काफी बढ़ गए हैं, ऐसे में मिल चला पाना हमारे बस में नहीं रह गया है.
राइस मिल मालिकों ने दस सूत्रीय मांगों को लेकर संभागीय खाद्य नियंत्रक देशराज यादव को ज्ञापन और मिलों की चाभियां सौंपी. कहा गया कि मिलर्स को धान कूट करके के 45 दिन के अंदर चावल के रूप में जमा करना होता है. उसके बाद अर्थदंड के रूप में होडिंग चार्ज लगने लगता है. कुटाई जाड़े के मौसम में होती है. मौसम तथा गोदाम में लेबर की कमी और पीडीएस उठान में रेक लग जाने के कारण 45 दिन में चावल जमा नहीं कर पाते हैं. मांग की गई कि इस अवधि को बढ़ाकर 75 दिन किया जाना चाहिए.
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यह भी मांग की गई कि धान और चावल का परिवहन मिलर के द्वारा कराया जाए. अधोमानक धान को रिजेक्ट करने का अधिकार मिलर्स को दिया जाए. धान की प्राप्ति मिलर्स के डिजिटल हस्ताक्षर से करने की व्यवस्था की जाए. चावल में आने वाली नमी के बदले चावल लिया जाए न कि बिल से कटौती हो. पुराने बकायेदारों मिलर्स के लिए एकमुश्त समाधान योजना लागू करके काम करने का अवसर दिया जाए.