प्रयागराज: देश के किसी भी कोने में दशहरा उत्सव की शुरुवात भगवान राम की पूजा करने के साथ होती है. लेकिन प्रयागराज में कटरा रामलीला कमेटी द्वारा शुरू होने वाली रामलीला में पहले भगवान राम की नहीं बल्कि रावण की पूजा और शोभा यात्रा निकालकर की जाती है. यह आयोजन पूरे उत्तर भारत में एक मात्र प्रयागराज में होता है.
यहां की परंपरा है कि रावण की पूजा करना उसके बाद चांदी हौदे में बैठाकर पूरे धूमधाम से उनकी बारात निकालकर रामलीला का आयोजन किया जाता है. प्रयागराज में रावण की बारात से दशहरे की शुरुआत होती है. यहां रावण की बारात में रावण का विशेष श्रृंगार किया जाता है. रावण की विशेष पूजा-अर्चना और आरती के बाद उनकी हाथी पर सवारी निकाली जाती है. आगे रावण जबकि पीछे उनके बाराती चलते हैं. बारातियों में राक्षस-पिशाच बैंड बाजों की धुनों पर नाचते गाते चलते हैं. रावण की ये बारात भरतद्वाज आश्रम से निकालकर शहर में घुमाई जाती है.
सदियों से चली आ रही है यह परंपरा-
आयोजक सुधीर गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि सदियों से यह परंपरा चली आ रही है और ऋषि मुनि भरतद्वाज के नाती रावण थे. इसलिए यहां की परंपरा है कि पहले रावण की पूजा होगी फिर भगवान राम की. रावण बारात निकलने से ही प्रयागराज में दशहरा उत्सव का भी शुभारंभ हो जाता है.