ETV Bharat / state

...यहां भगवान राम नहीं बल्कि रावण की बारात निकालकर शुरू होती है रामलीला - रामलीला की शुरुआत रावण की बारात से

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक अनोखी रामलीला का आयोजन किया जाता है.जहां रामलीला की शुरुआत रावण की बारात निकालकर करते हैं. यहां बारात में रावण का विशेष श्रृंगार किया जाता और रावण की विशेष पूजा-अर्चना कर आरती के बाद उनकी हाथी पर सवारी भी निकाली जाती है.

प्रयागराज में एक अनोखी रामलीला का आयोजन .
author img

By

Published : Sep 29, 2019, 12:05 PM IST

प्रयागराज: देश के किसी भी कोने में दशहरा उत्सव की शुरुवात भगवान राम की पूजा करने के साथ होती है. लेकिन प्रयागराज में कटरा रामलीला कमेटी द्वारा शुरू होने वाली रामलीला में पहले भगवान राम की नहीं बल्कि रावण की पूजा और शोभा यात्रा निकालकर की जाती है. यह आयोजन पूरे उत्तर भारत में एक मात्र प्रयागराज में होता है.

जानकारी देते आयोजक.
रावण का किया जाता है विशेष श्रृंगार
यहां की परंपरा है कि रावण की पूजा करना उसके बाद चांदी हौदे में बैठाकर पूरे धूमधाम से उनकी बारात निकालकर रामलीला का आयोजन किया जाता है. प्रयागराज में रावण की बारात से दशहरे की शुरुआत होती है. यहां रावण की बारात में रावण का विशेष श्रृंगार किया जाता है. रावण की विशेष पूजा-अर्चना और आरती के बाद उनकी हाथी पर सवारी निकाली जाती है. आगे रावण जबकि पीछे उनके बाराती चलते हैं. बारातियों में राक्षस-पिशाच बैंड बाजों की धुनों पर नाचते गाते चलते हैं. रावण की ये बारात भरतद्वाज आश्रम से निकालकर शहर में घुमाई जाती है.
ऋषि मुनि भरतद्वाज के नाती थे रावण
कटरा रामलीला कमेठी ऋषि मुनि भरतद्वाज आश्रम से सटा हुआ है और रावण उनके नाती थे. इसलिए रावण के सम्मान के लिए यहां सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है. रावण बहुत ही बुद्धिमान और शक्तिशाली थे. जिसके लिए उनका सम्मान पूरा कटरा कमेटी करती है. इसलिए यहां सर्वप्रथम पूजा रावण की होती है. इसके बाद भगवान राम की पूजा राम दल निकालकर की जाती है. उत्तर भारत का यह अनोखा रामलीला है, जहां पहले रावण की और उसके बाद भगवान राम की पूजा की जाती है.

सदियों से चली आ रही है यह परंपरा-
आयोजक सुधीर गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि सदियों से यह परंपरा चली आ रही है और ऋषि मुनि भरतद्वाज के नाती रावण थे. इसलिए यहां की परंपरा है कि पहले रावण की पूजा होगी फिर भगवान राम की. रावण बारात निकलने से ही प्रयागराज में दशहरा उत्सव का भी शुभारंभ हो जाता है.

प्रयागराज: देश के किसी भी कोने में दशहरा उत्सव की शुरुवात भगवान राम की पूजा करने के साथ होती है. लेकिन प्रयागराज में कटरा रामलीला कमेटी द्वारा शुरू होने वाली रामलीला में पहले भगवान राम की नहीं बल्कि रावण की पूजा और शोभा यात्रा निकालकर की जाती है. यह आयोजन पूरे उत्तर भारत में एक मात्र प्रयागराज में होता है.

जानकारी देते आयोजक.
रावण का किया जाता है विशेष श्रृंगार
यहां की परंपरा है कि रावण की पूजा करना उसके बाद चांदी हौदे में बैठाकर पूरे धूमधाम से उनकी बारात निकालकर रामलीला का आयोजन किया जाता है. प्रयागराज में रावण की बारात से दशहरे की शुरुआत होती है. यहां रावण की बारात में रावण का विशेष श्रृंगार किया जाता है. रावण की विशेष पूजा-अर्चना और आरती के बाद उनकी हाथी पर सवारी निकाली जाती है. आगे रावण जबकि पीछे उनके बाराती चलते हैं. बारातियों में राक्षस-पिशाच बैंड बाजों की धुनों पर नाचते गाते चलते हैं. रावण की ये बारात भरतद्वाज आश्रम से निकालकर शहर में घुमाई जाती है.
ऋषि मुनि भरतद्वाज के नाती थे रावण
कटरा रामलीला कमेठी ऋषि मुनि भरतद्वाज आश्रम से सटा हुआ है और रावण उनके नाती थे. इसलिए रावण के सम्मान के लिए यहां सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है. रावण बहुत ही बुद्धिमान और शक्तिशाली थे. जिसके लिए उनका सम्मान पूरा कटरा कमेटी करती है. इसलिए यहां सर्वप्रथम पूजा रावण की होती है. इसके बाद भगवान राम की पूजा राम दल निकालकर की जाती है. उत्तर भारत का यह अनोखा रामलीला है, जहां पहले रावण की और उसके बाद भगवान राम की पूजा की जाती है.

सदियों से चली आ रही है यह परंपरा-
आयोजक सुधीर गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि सदियों से यह परंपरा चली आ रही है और ऋषि मुनि भरतद्वाज के नाती रावण थे. इसलिए यहां की परंपरा है कि पहले रावण की पूजा होगी फिर भगवान राम की. रावण बारात निकलने से ही प्रयागराज में दशहरा उत्सव का भी शुभारंभ हो जाता है.

Intro:प्रयागराज: उत्तर भारत का अनोखा रामलीला, जहां भगवान राम नहीं बल्कि रावण के बारात से शरू होती है रामलीला

प्रयागराज: भगवान राम नहीं यहां रावण की पूजा और बारात निकालकर शुरू होती है रामलीला, जाने क्यों

7000668169

प्रयागराज: देश के किसी भी कोने में दशहरा उत्सव की शुरुवात भगवान राम की पूजा करने के साथ होती है. लेकिन प्रयागराज में कटरा रामलीला कमेटी द्वारा शरू होने वाले रामलीला में पहले भगवान राम की नहीं बल्कि रावण की पूजा और शोभा यात्रा निकालकर की जाती है. यह आयोजन पूरे उत्तर भारत में एक मात्र प्रयागराज में होता है. यहां की परंपरा है कि रावण की पूजा करना उसके बाद चांदी हौदे में बैठाकर पूरे धूमधाम से उनकी बारात निकालकर रामलीला का आयोजन किया जाता है. उत्तर भारत मे अनोखा रामलीला हैं जहां भगवान राम की नहीं बल्कि रावण की पूजा से शरू होती है रामलीला और दशहरा उत्सव.



Body:रावण का किया जाता है विशेष श्रृंगार

प्रयागराज में  रावण की बारात से दशहरे की शरुआत हो गई है. यहां रावण की बारात में रावण का विशेष श्रृंगार किया जाता और रावण की विशेष पूजा अर्चना और आरती के बाद उनकी हाथी पर सवारी निकाली जाती है. आगे रावण पीछे उनके बाराती चलते है बारातियों में राक्षस पिसाच बैंड बाजों की धुनों पर ननाचते गाते चलते है. रावण की ये बारात भरतद्वाज आश्रम से निकल कर शहहर में घुमाई जाती है. यहां की परंपरा है कि रावण की बारात के बाद से इलाहाबाद में दशहरे की शरुआत हो जाती है. रावण के बारात के बाद से दसवीं तक रामदल निकाले जाने की परंपरा है.





Conclusion:ऋषि मुनि भरतद्वाज के नाती थे रावण

अध्यक्ष सुधीर गुप्ता बताते हैं कि कटरा रामलीला कमेठी ऋषि मुनि भरतद्वाज आश्रम से सटा हुआ है और रावण उनके नाती थे इसलिए रावण के सम्मान के लिए यहां सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है. रावण बहुत ही बुद्धिमान और शक्तिशाली थे जिसके लिए उनका सम्मान पूरा कटरा कमेठी करती है. इसलिए यहां सर्वप्रथम पूजा रावण की होती है इसके बाद भगवान राम की पूजा राम दल निकालकर की जाती है. उत्तर भारत का यह अनोखा रामलीला है जहां पहले रावण की पूजा की जाती है उसके बाद भगवान राम की.

सदियों से चली आ रही है यह परंपरा

आयोजन सुधीर गुप्ता ने बताया कि सदियों से यह परंपरा चली आ रही है और ऋषि मुनि भरतद्वाज के नाती रावण थे इसलिए यहां की परंपरा है कि पहले रावण की पूजा होगी फिर भगवान राम की. रावण बारात निकलने से ही प्रयागराज में दशहरा उत्सव का भी शुभारंभ हो जाता है.

बाईट- सुधीर गुप्ता, अध्यक्ष कटरा रामलीला कमेठी
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.