प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर जजों को मिल रही सुविधाओं पर पुनर्विचार किया. आंध्र प्रदेश के समान सुविधा देने को लेकर दाखिल रिटायर जजों की याचिका पर प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव वित्त एसएमए रिजवी और सचिव वित्त सरयू प्रसाद मिश्र को अवमानना में हिरासत में ले लिया. साथ ही प्रदेश शासन के मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव वित्त डॉ प्रशांत त्रिवेदी को वारंट जारी किया है. ये अधिकारी कई आदेशों के बावजूद एक या दूसरे बहाने से केस की सुनवाई टलवा रहे थे और कोर्ट में मांगी गई जानकारी नहीं दे रहे थे.
हिरासत में लिए गए दोनों सचिवों को अभिरक्षा में रखा गया है. दोनों सचिवों को जमानत पर छोड़ने का आग्रह किया गया तो कोर्ट ने इस पर नियत तिथि पर ही विचार करने को कहा. कोर्ट ने हिरासत में लिए गए दोनों अधिकारियों को अवमानना का आरोप तय करने के लिए 20 अप्रैल को 11 बजे न्यायालय में पेश करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने मुख्य सचिव एवं अपर मुख्य सचिव वित्त पर वारंट का तामिला सीजेएम लखनऊ के माध्यम से कराने का निर्देश देते हुए 20 अप्रैल को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा है. साथ ही उनसे पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ भी अवमानना का आरोप तय किया जाए.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ ने एसोसिएशन ऑफ सुप्रीम कोर्ट एंड हाईकोर्ट जजेज इलाहाबाद व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याची की ओर से अधिवक्ता का कहना था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दे रखा है कि आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा रिटायर जजों को दी जा रही सुविधाओं की तरह उत्तर प्रदेश में भी सुविधाएं लागू की जाएंगी. कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में दिए गए अंडरटेकिंग से ही वादाखिलाफी कर रही है और आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा रिटायर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को मिल रही सुविधाएं देने से आनाकानी कर रही है. सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी का कहना था कि कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया था, जो प्राप्त हो गया है. सरकार इसे कैबिनेट के समक्ष शीघ्र ही रखेगी.
सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि हाईकोर्ट की ओर से रूल्स में संशोधन का प्रस्ताव सरकार को भेजा जा चुका है, लेकिन सरकार इस स्कीम को लागू करने में धीमी प्रक्रिया अपना रही है, जो उचित नहीं है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर जजों को आंध्र प्रदेश सरकार की तरह सुविधाएं देने तथा घरेलू नौकरों एवं दिवंगत जजों की पत्नियों की सुविधा बढ़ाने की मांग की गई है.