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विधि विश्वविद्यालय का राष्ट्रपति ने किया शिलान्यास, न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर दिया जोर - राष्ट्रपति ने किया शिलान्यास

इलाहाबाद हाईकोर्ट के मैदान में शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय एवं बहुमंजिला पार्किंग स्थल व अधिवक्ता चेंबर का राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिलान्यास किया. इस दौरान आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि महिलाओं की मानसिकता ही न्यायिक प्रवृति की होती है.

विधि विश्वविद्यालय का राष्ट्रपति ने किया शिलान्यास
विधि विश्वविद्यालय का राष्ट्रपति ने किया शिलान्यास
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Published : Sep 11, 2021, 8:22 PM IST

प्रयागराज: संगमनगरी पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय व बहुमंजिला पार्किंग स्थल और अधिवक्ता चैंबर का शिलान्यास किया. इस दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित करते हुए उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर बल दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि महिलाओं की मानसिकता ही न्यायिक प्रवृति की होती है. वे पारिवारिक जीवन निभाते हुए उत्कृष्टतापूर्ण तरीके से अपना कार्य करती हैं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया संबोधित.

राष्ट्रपति ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि इसी इलाहाबाद हाईकोर्ट में वर्ष 1921 में देश की पहली महिला वकील पूर्णिलिया स्वराज को नामित किया गया. पिछले माह ही सुप्रीम कोर्ट में नौ जजों की नियुक्ति में पहली बार तीन महिला न्यायाधीश भी नियुक्त की गई है. इनमें से एक भारत की मुख्य न्यायाधीश भी बनेंगी. राष्ट्रपति ने कहा न्यायिक क्षेत्र में 12 फीसदी महिला जजों की भागीदारी है. इसमें बढ़ोतरी की जानी चाहिए.

राष्ट्रपति ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रस्तावित निर्माण के दोनों ही कार्य न्याय प्रदान करने की दिशा में सराहनीय प्रयास हैं. उन्होंने कहा कि सरकार व हाईकोर्ट न्याय सुधार के निरंतर प्रयास कर रहे हैं. देश की सबसे अधिक आबादी वाले राज्य की जनता को न्याय प्रदान करते हुए हाईकोर्ट ने समाज और देश को वैचारिक उन्नति दी है.

'सुविधाओं की कमी के कारण कठिनाई उठानी पड़ती है'
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि उन्हें गणतंत्र के तीनों अंगों का अनुभव है. अधिवक्ता के रूप में देखा कि सुविधाओं की कमी के कारण कठिनाई उठानी पड़ती है. ये निर्माण अधिवक्ता और वादकारी दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे. उन्होंने कहा कि लोग न्यायालय आने में हिचकिचाते हैं. न्याय सामान्य भाषा में हो, कम खर्च में हो और सभी को न्याय मिले तथा न्याय व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी हो, इसके लिए सोच में बदलाव लाना होगा.राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 21 तक सबकी पहुंच में न्याय हो, यही इसकी सफलता की कसौटी है.राष्ट्रपति ने लंबित मुकदमों खासकर आपराधिक मामलों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि बार और बेंच को आपसी तालमेल से हल निकालना चाहिए. संसाधनों की उपलब्धता इसका मजबूत आधार है.

  • माननीय राष्ट्रपति आदरणीय श्री राम नाथ कोविन्द जी के कर कमलों द्वारा उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, प्रयागराज तथा एडवोकेट चैम्बर एवं मल्टीलेवल पार्किंग का शिलान्यास... https://t.co/3fF0N86fde

    — Yogi Adityanath (@myogiadityanath) September 11, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

प्रयागराज धर्म व शिक्षा का केंद्र रहा है. राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के लिए यह सर्वोत्तम स्थान है. कानून के शासन में गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा और प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है. 12वीं कक्षा के बाद ही छात्र विधि शिक्षा को अपना कैरियर बनायेंगे. ऐसे में प्रारंभ से ही गुणवत्तापूर्ण व श्रेष्ठतम शिक्षा पर जोर दिया जाए. बाद में सुधार एक जटिल प्रक्रिया है.

राष्ट्रपति ने कहा कि आज का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि स्वामी विवेकानंद ने आज ही के दिन अमेरिका में विश्व धर्म सभा में जो उद्घोष किया था, पूरा विश्व उससे भारत की आध्यात्मिक शक्ति से प्रभावित हुआ था. यदि विश्व ने उसे अपनाया होता तो 9/11की घटना न हुई होती. उन्होंने उम्मीद जताई कि युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानंद के विचारों से भारत को विश्व में शीर्षस्थ स्थान दिलाएगी.

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया संबोधित
वहीं इस मौके पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रपति ने 28 अगस्त को गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय की आधार शिला रखने के बाद प्रयागराज में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय व बहुमंजिली पार्किंग स्थल और अधिवक्ता चेंबर का शिलान्यास किया. उनका यह योगदान अभिनंदनीय है. उन्होंने कहा कि प्रयागराज प्राचीन काल से ज्ञान की नगरी रही है. साथ ही इस शहर ने न्याय व्यवस्था में भी अग्रणी भूमिका निभाई है. प्रस्तावित विश्वविद्यालय में कानून की शिक्षा की व्यवस्था की गई है तो यहां शोध भी होगा. ऐसे में बेहतर प्रशिक्षण से न्याय में देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा. आधुनिक तकनीकी से परिपूर्ण निर्माण होगा. न्यायिक ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं.

देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित आपराधिक मुकदमों की स्थिति पर उंगली नहीं उठा रहा हूं और न ही किसी को दोष देना चाहता हूं, लेकिन मैं यहां की बार और बेंच से अनुरोध करूंगा कि वे आपस में एक-दूसरे के सहयोग से इसका हल निकालें.

'हम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों से मधुर संबंध बनाना चाहते हैं'
वहीं केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने इस अवसर पर कहा कि केंद्र सरकार न्याय पालिका के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों से मधुर संबंध बनाना चाहते हैं तथा रिटायर जजों से भी संबंध बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि प्रयागराज में राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही यहां विधि के क्षेत्र में उच्चस्तरीय अनुसंधान की सुविधा के साथ ही आवासीय और खेलकूद की सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी. किरण रिजिजू ने कहा कि कानून मंत्री होने के नाते मैं आश्वासन देता हूं कि हम सबके साथ मिलकर न्याय प्रणाली को और मजबूती देने के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि मीडिएशन और आर्बिट्रेशन के क्षेत्र में सरकार महत्वपूर्ण काम कर रही है ताकि वैकल्पिक न्याय प्रणाली को और मजबूत किया जा सके. इस पर संसद के आगामी सत्र पर में बिल लाने की तैयारी है.

'भारत के मुख्य न्यायाधीश को विवि का विजिटर बनाने की व्यवस्था की है'
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमने न्यायपालिका के विकास के लिए वर्षों से लंबित योजनाओं का शुभारंभ किया है. हाईकोर्ट के वकीलों को मल्टी लेवल पार्किंग व चेंबर तथा राष्ट्रीय स्तर के विधि विश्वविद्यालय का लंबे समय से इंतजार था. न्याय पालिका के डिजिटाइजेशन के लिए राज्य सरकार ने 70 करोड़ रुपये दिए हैं, जिसमें से 30 करोड़ रुपये हाईकोर्ट के लिए और 18 करोड़ रुपये लैपटॉप के लिए आवंटित किए गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में हमने तकनीक के महत्व को समझा है. इसलिए न्याय पालिका को तकनीक से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. विधि विश्वविद्यालय को हमने राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश को इसका विजिटर बनाने की व्यवस्था की है.

मुख्यमंत्री ने इस विधि विश्वविद्यालय को देश प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की को समर्पित करने की ओर भी संकेत दिया. समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने प्रदेश सरकार द्वारा न्याय पालिका के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की. इससे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मल्टी लेवल पार्किंग और राष्ट्रीय विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी. देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एबी सरन के तैल चित्र का अनावरण किया. समारोह में इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए हाईकोर्ट के लिए चेंबर और पार्किंग की व्यवस्था करने के लिए राज्य सरकार के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया. अंत में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने आभार जताया.

ये लोग रहे मौजूद
इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति विनीत सरन एवं न्यायमूर्ति विक्रम नाथ के अलावा जम्मू कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल, इलाहाबाद हाईकोर्ट के अन्य न्यायाधीश, राज्य सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक सहित अन्य कैबिनेट मंत्री, सांसद, मेयर अभिलाषा गुप्ता, हाईकोर्ट बार के पदाधिकारी व कार्यकारिणी सदस्य भी उपस्थित थे.

इसे भी पढ़ें- राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रयागराज पहुंचे, राज्यपाल और सीएम ने किया स्वागत

प्रयागराज: संगमनगरी पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय व बहुमंजिला पार्किंग स्थल और अधिवक्ता चैंबर का शिलान्यास किया. इस दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित करते हुए उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर बल दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि महिलाओं की मानसिकता ही न्यायिक प्रवृति की होती है. वे पारिवारिक जीवन निभाते हुए उत्कृष्टतापूर्ण तरीके से अपना कार्य करती हैं.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया संबोधित.

राष्ट्रपति ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि इसी इलाहाबाद हाईकोर्ट में वर्ष 1921 में देश की पहली महिला वकील पूर्णिलिया स्वराज को नामित किया गया. पिछले माह ही सुप्रीम कोर्ट में नौ जजों की नियुक्ति में पहली बार तीन महिला न्यायाधीश भी नियुक्त की गई है. इनमें से एक भारत की मुख्य न्यायाधीश भी बनेंगी. राष्ट्रपति ने कहा न्यायिक क्षेत्र में 12 फीसदी महिला जजों की भागीदारी है. इसमें बढ़ोतरी की जानी चाहिए.

राष्ट्रपति ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रस्तावित निर्माण के दोनों ही कार्य न्याय प्रदान करने की दिशा में सराहनीय प्रयास हैं. उन्होंने कहा कि सरकार व हाईकोर्ट न्याय सुधार के निरंतर प्रयास कर रहे हैं. देश की सबसे अधिक आबादी वाले राज्य की जनता को न्याय प्रदान करते हुए हाईकोर्ट ने समाज और देश को वैचारिक उन्नति दी है.

'सुविधाओं की कमी के कारण कठिनाई उठानी पड़ती है'
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि उन्हें गणतंत्र के तीनों अंगों का अनुभव है. अधिवक्ता के रूप में देखा कि सुविधाओं की कमी के कारण कठिनाई उठानी पड़ती है. ये निर्माण अधिवक्ता और वादकारी दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे. उन्होंने कहा कि लोग न्यायालय आने में हिचकिचाते हैं. न्याय सामान्य भाषा में हो, कम खर्च में हो और सभी को न्याय मिले तथा न्याय व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी हो, इसके लिए सोच में बदलाव लाना होगा.राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 21 तक सबकी पहुंच में न्याय हो, यही इसकी सफलता की कसौटी है.राष्ट्रपति ने लंबित मुकदमों खासकर आपराधिक मामलों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि बार और बेंच को आपसी तालमेल से हल निकालना चाहिए. संसाधनों की उपलब्धता इसका मजबूत आधार है.

  • माननीय राष्ट्रपति आदरणीय श्री राम नाथ कोविन्द जी के कर कमलों द्वारा उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, प्रयागराज तथा एडवोकेट चैम्बर एवं मल्टीलेवल पार्किंग का शिलान्यास... https://t.co/3fF0N86fde

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प्रयागराज धर्म व शिक्षा का केंद्र रहा है. राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के लिए यह सर्वोत्तम स्थान है. कानून के शासन में गुणवत्तापूर्ण कानूनी शिक्षा और प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है. 12वीं कक्षा के बाद ही छात्र विधि शिक्षा को अपना कैरियर बनायेंगे. ऐसे में प्रारंभ से ही गुणवत्तापूर्ण व श्रेष्ठतम शिक्षा पर जोर दिया जाए. बाद में सुधार एक जटिल प्रक्रिया है.

राष्ट्रपति ने कहा कि आज का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि स्वामी विवेकानंद ने आज ही के दिन अमेरिका में विश्व धर्म सभा में जो उद्घोष किया था, पूरा विश्व उससे भारत की आध्यात्मिक शक्ति से प्रभावित हुआ था. यदि विश्व ने उसे अपनाया होता तो 9/11की घटना न हुई होती. उन्होंने उम्मीद जताई कि युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानंद के विचारों से भारत को विश्व में शीर्षस्थ स्थान दिलाएगी.

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया संबोधित
वहीं इस मौके पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रपति ने 28 अगस्त को गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय की आधार शिला रखने के बाद प्रयागराज में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय व बहुमंजिली पार्किंग स्थल और अधिवक्ता चेंबर का शिलान्यास किया. उनका यह योगदान अभिनंदनीय है. उन्होंने कहा कि प्रयागराज प्राचीन काल से ज्ञान की नगरी रही है. साथ ही इस शहर ने न्याय व्यवस्था में भी अग्रणी भूमिका निभाई है. प्रस्तावित विश्वविद्यालय में कानून की शिक्षा की व्यवस्था की गई है तो यहां शोध भी होगा. ऐसे में बेहतर प्रशिक्षण से न्याय में देरी का सामना नहीं करना पड़ेगा. आधुनिक तकनीकी से परिपूर्ण निर्माण होगा. न्यायिक ढांचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं.

देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित आपराधिक मुकदमों की स्थिति पर उंगली नहीं उठा रहा हूं और न ही किसी को दोष देना चाहता हूं, लेकिन मैं यहां की बार और बेंच से अनुरोध करूंगा कि वे आपस में एक-दूसरे के सहयोग से इसका हल निकालें.

'हम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों से मधुर संबंध बनाना चाहते हैं'
वहीं केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने इस अवसर पर कहा कि केंद्र सरकार न्याय पालिका के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों से मधुर संबंध बनाना चाहते हैं तथा रिटायर जजों से भी संबंध बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि प्रयागराज में राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही यहां विधि के क्षेत्र में उच्चस्तरीय अनुसंधान की सुविधा के साथ ही आवासीय और खेलकूद की सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी. किरण रिजिजू ने कहा कि कानून मंत्री होने के नाते मैं आश्वासन देता हूं कि हम सबके साथ मिलकर न्याय प्रणाली को और मजबूती देने के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि मीडिएशन और आर्बिट्रेशन के क्षेत्र में सरकार महत्वपूर्ण काम कर रही है ताकि वैकल्पिक न्याय प्रणाली को और मजबूत किया जा सके. इस पर संसद के आगामी सत्र पर में बिल लाने की तैयारी है.

'भारत के मुख्य न्यायाधीश को विवि का विजिटर बनाने की व्यवस्था की है'
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमने न्यायपालिका के विकास के लिए वर्षों से लंबित योजनाओं का शुभारंभ किया है. हाईकोर्ट के वकीलों को मल्टी लेवल पार्किंग व चेंबर तथा राष्ट्रीय स्तर के विधि विश्वविद्यालय का लंबे समय से इंतजार था. न्याय पालिका के डिजिटाइजेशन के लिए राज्य सरकार ने 70 करोड़ रुपये दिए हैं, जिसमें से 30 करोड़ रुपये हाईकोर्ट के लिए और 18 करोड़ रुपये लैपटॉप के लिए आवंटित किए गए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में हमने तकनीक के महत्व को समझा है. इसलिए न्याय पालिका को तकनीक से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है. विधि विश्वविद्यालय को हमने राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश को इसका विजिटर बनाने की व्यवस्था की है.

मुख्यमंत्री ने इस विधि विश्वविद्यालय को देश प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की को समर्पित करने की ओर भी संकेत दिया. समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने प्रदेश सरकार द्वारा न्याय पालिका के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की. इससे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मल्टी लेवल पार्किंग और राष्ट्रीय विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी. देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एबी सरन के तैल चित्र का अनावरण किया. समारोह में इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए हाईकोर्ट के लिए चेंबर और पार्किंग की व्यवस्था करने के लिए राज्य सरकार के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया. अंत में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह ने आभार जताया.

ये लोग रहे मौजूद
इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति विनीत सरन एवं न्यायमूर्ति विक्रम नाथ के अलावा जम्मू कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल, इलाहाबाद हाईकोर्ट के अन्य न्यायाधीश, राज्य सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक सहित अन्य कैबिनेट मंत्री, सांसद, मेयर अभिलाषा गुप्ता, हाईकोर्ट बार के पदाधिकारी व कार्यकारिणी सदस्य भी उपस्थित थे.

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