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ऑर्गेनिक फार्मिंग से लाखों की कमाई, घर में उगाए ये सब्जी-फल, प्रगतिशील किसानों ने बताया तरीका - FRUIT VEGETABLE FLOWER EXHIBITION

युवा किसानों ने जैविक खेती के स्टार्टअप से बढ़ाई आमदनी, अब लोगों को कर रहे जागरूक.

राजभवन में लगाई गई है प्रदर्शनी.
राजभवन में लगाई गई है प्रदर्शनी. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 9, 2025, 11:31 AM IST

लखनऊ : एग्रीकल्चर में एमएससी कर चुके शुभम तिवारी जैविक खेती से खुद की तकदीर बदल रहे हैं. इससे उनकी आमदनी बढ़ी है. वह लोगों को इसके लिए प्रेरित भी करते हैं. 12वीं में पढ़ रहे उनके भाई दिवेश तिवारी भी अभी से ऑर्गेनिक फार्मिंग में दिलचस्पी ले रहे हैं. वह अपने भाई के स्टार्टअप में पूरा सहयोग करते हैं. लोगों को बताते हैं कि कैसे वे अपने घरों में ही जैविक तरीके से फल-फूल और सब्जी उगा सकते हैं.

प्रदर्शनी में प्रगतिशील किसान लोगों को कर रहे जागरूक. (Video Credit; ETV Bharat)

ऐसे सैकड़ों किसान राजभवन में प्रादेशिक फल, शाक-भाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं. यहां उन्होंने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगा रखी है. यूपी के विभिन्न स्मारकों के मॉडलों को उन्होंने पुष्पों से ही तैयार कर दिया है. प्रदर्शनी में फूलों और सब्जियों की बहुत सारी प्रजातियां हैं. इन्हें देखने और इनकी खूबियां जानने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. इन प्रगतिशील किसानों ने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव साझा किए. पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट...

कम जगह में गार्डनिंग कर उठाएं लाभ : लखनऊ के रहने वाले शुभम तिवारी ने बताया कि उन्होंने एमएससी एग्रीकल्चर किया है. कोरोना काल में उन्होंने गार्डनिंग की तैयारी शुरू की. इसके बाद नया स्टार्टअप शुरू करने का ख्याल आया. योजना बनाई कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे लोगों को ऑर्गेनिक खेती के बारे में बता सकें. उन्हें जागरूक कर सकें कि कैसे कम जगह में घरों में गार्डनिंग कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि सब्जियों के दाम भी बढ़ रहे हैं. हमें ऑर्गेनिक चीज नहीं मिल रही है. बाजार में ऑर्गेनिक समान है, लेकिन उन पर भरोसा करना मुश्किल है. लिहाजा हम लोगों को यह बता रहे हैं कि कैसे वह हरी साग, सब्जी, फल-फूल घर में ही उगा सकते हैं.

शुभम ने बताया कि लोगों को रुझान अब ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ रहा है. वे इसके लिए गंभीरता से प्रयास भी कर रहे हैं. ऑर्गेनिक खेती करके हम अच्छा इनकम कमा रहे हैं. महीने में लगभग एक लाख कमा लेते हैं. ऑर्गेनिक तरीके से पैदा की गईं फल-सब्जिया पूरी तरह से शुद्ध होती हैं. इन पर किसी भी तरह का केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है. हम अन्य किसानों को भी इसके लिए जागरूक करते हैं. बताते हैं कि कैसे अपना स्टार्टअप शुरू कर मुनाफा कमा सकते हैं.

पॉलिबैग में उगाते हैं सब्जी-फल, केमिकल का नहीं करते इस्तेमाल : दिवेश तिवारी ने बताया कि अभी मैं 12वीं क्लास में पढ़ाई कर रहा हूं. ऑर्गेनिक खेती की तरफ हमेशा से मेरा रुझान रहा है. शुरुआत से ही मैं घर पर हरी साग-सब्जी को लगाता रहा हूं. मुझे काफी अनुभव है. बड़े भाई शुभम से मुझे सीखने को मिला कि किस तरह से हम ऑर्गेनिक खेती को बढ़ा सकते हैं. इसके बाद भाई के स्टार्टअप में मैं भी लग गया. हम पॉलिबैग में सब्जियां और फल को लगाते हैं. पेड़ पौधों को लगाते समय हम इस बात का ध्यान देते हैं कि अच्छे ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल करें. इसमें कोई भी केमिकल नहीं होता है. किसानों को भी हम अत्याधुनिक तकनीक से रूबरू कराते हैं. आज भी किसान पुराने तरीके से ही गेहूं-चावल की खेती कर रहे हैं. उन्हें समझाया जाता है कि वे किस तरह से मौसमी साग-सब्जियों और फलों की खेती करके अच्छी अर्निंग कर सकते हैं.

जैविक खेती के प्रति बढ़ रहा रुझान.
जैविक खेती के प्रति बढ़ रहा रुझान. (Photo Credit; ETV Bharat)

ऑर्गेनिक गार्डनिंग में रुचि दिखा रहे लोग : ऐशबाग की रहने वाली रोशनी मिश्रा ने बताया कि हर साल वह राज भवन में लगने वाली प्रदर्शनी में घूमने के लिए आती हैं. उन्होंने कहा कि मुझे ऑर्गेनिक खेती करना पसंद है. मैंने घर पर छत पर ऑर्गेनिक गार्डनिंग कर रखी है. एक साथ सब्जियां लगाई है. साथ ही हमने ऐसे प्लांट्स लगाए हैं, जो सिर्फ एक बार ही नहीं होता है. बल्कि ऐसी सब्जियां लगाई हैं, जिनके पेड़ से हमें बार-बार सब्जियां मिल सकती हैं. इसमें टमाटर, मिर्च, चुकंदर, बैगन, शिमला मिर्च, भिंडी और तरोई शामिल हैं. इनका एक बार प्लांट लग जाने के बाद यह बार-बार हमें सब्जियां देते हैं. वहीं, गोभी, आलू या फिर ब्रोकली जैसी सब्जियां हमें सिर्फ एक बार ही मिलती है. इसलिए ज्यादातर मैं ऐसी खेती करती हूं, जिसमें मुझे एक बार पौधे लगाने पर हमेशा सब्जियां मिले. उन्होंने कहा कि जब हम घर पर पेड़ पौधे लगाते हैं तो हमें शुद्ध सब्जियां मिलती है. जिसमें किसी तरह का कोई केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है. एक महीने के भीतर ये पौधे सब्जियां देने लगते हैं.

निराला नगर की रहने वाली मनीषा ने बताया कि हर्बल चीज हर किसी को पसंद होती है. अगर हम खानपान की बात करें तो ऑर्गेनिक सामान हमें लेना पसंद होता है. सब्जियां खाने में स्वादिष्ट होती हैं. आजकल बाजार में हर कोई केमिकल वाली सब्जियां बेच रहा है. उन्हें पैसों से मतलब होता है. लेकिन, हम कुछ ऐसी ऑर्गेनिक खेती अपने गार्डन में कर लेते हैं, जिससे हमें मौसमी सब्जी मिल जाती है. अलीगंज के रहने वाली बबीता चौहान ने बताया कि इस मौसम में हमने पालक, मेंथी, शिमला मिर्च गार्डन में लगाया है. जब हम इस तरह के किसी प्रदर्शनी में जाते हैं तो हमें अच्छे-अच्छे बीज मिल जाते हैं, जिससे हम अपने घर के गार्डन में सब्जियां उगाते हैं.

अलीगंज की रहने वाली शालिनी टंडन ने बताया कि लखनऊ में बहुत सारी ऐसी प्रदर्शनी आयोजित होती है, जहां पर घर में ही खेती करने की टिप्स दी जाती है. बहुत सारे युवा इस समय ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं. इनसे हमें सीखने को मिलता है कि हम किस तरह से अपने घर में ऑर्गेनिक खेती कर सकते हैं. इस समय हम मौसम के हिसाब से हरी साग सब्जियां उगा रहे हैं. यह पूरी तरह से ऑर्गेनिक होती हैं क्योंकि इसमें हम किसी भी तरह का केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

प्रदर्शनी में जानकारी के लिए पहुंच रहे लोग.
प्रदर्शनी में जानकारी के लिए पहुंच रहे लोग. (Photo Credit; ETV Bharat)

उप्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 के तहत उद्यमियों को मिलती हैं ये सुविधाएं : खाद्य प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करने के लिए 12.5 एकड़ से अधिक भूमि खरीदने की अनुमति, गैर-कृषि उपयोग घोषणा के लिए सर्कल रेट पर मूल्य का 2 प्रतिशत शुल्क के रूप में जमा करने की छूट, परियोजना स्थल में आने वाली सरकारी भूमि के विनिमय (Exchange) में अनिवार्य रूप से भूमि के मूल्य का 25 प्रतिशत धनराशि जमा किए जाने पर छूट, भूमि उपयोग का रूपांतरण पर 50 प्रतिशत की छूट, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों पर बाहरी विकास शुल्क (External Development Charges) में 75 प्रतिशत की छूट, खाद्य प्रसंस्करण इकाई के लिए स्टांप शुल्क की शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति.

प्रसंस्करण के लिए मण्डी का लाइसेंस प्रदेश की किसी भी मण्डी का लाइसेंस पूरे प्रदेश में कार्य करने के लिए अधिकृत होगा. प्रसंस्करण इकाइयों के लिए राज्य के बाहर लाए गए कृषि उत्पाद के लिए मण्डी शुल्क और उपकर से छूट, प्रसंस्करण इकाइयों को सीधे बेचे जाने वाले कृषि उत्पाद के लिए मंडी शुल्क और उपकर से छूट, प्रसंस्करण इकाइयों को बिजली आपूर्ति के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 75 केवीए तक लागत का 50 प्रतिशत, महिला उद्यमी के लिए लागत का 90 प्रतिशत सौर ऊर्जा परियोजना पर सब्सिडी. निर्यात के लिए परिवहन सब्सिडी (नेपाल, बंगलादेश एवं भूटान को छोड़कर) खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों द्वारा निर्यात किए जाने वाले उत्पाद पर परियोजना की वास्तविक लागत का 25 प्रतिशत छूट.

यह भी पढ़ें : योगी सरकार किसानों को करेगी मालामाल, ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी की खेती पर 40 फीसदी सब्सिडी

लखनऊ : एग्रीकल्चर में एमएससी कर चुके शुभम तिवारी जैविक खेती से खुद की तकदीर बदल रहे हैं. इससे उनकी आमदनी बढ़ी है. वह लोगों को इसके लिए प्रेरित भी करते हैं. 12वीं में पढ़ रहे उनके भाई दिवेश तिवारी भी अभी से ऑर्गेनिक फार्मिंग में दिलचस्पी ले रहे हैं. वह अपने भाई के स्टार्टअप में पूरा सहयोग करते हैं. लोगों को बताते हैं कि कैसे वे अपने घरों में ही जैविक तरीके से फल-फूल और सब्जी उगा सकते हैं.

प्रदर्शनी में प्रगतिशील किसान लोगों को कर रहे जागरूक. (Video Credit; ETV Bharat)

ऐसे सैकड़ों किसान राजभवन में प्रादेशिक फल, शाक-भाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं. यहां उन्होंने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगा रखी है. यूपी के विभिन्न स्मारकों के मॉडलों को उन्होंने पुष्पों से ही तैयार कर दिया है. प्रदर्शनी में फूलों और सब्जियों की बहुत सारी प्रजातियां हैं. इन्हें देखने और इनकी खूबियां जानने के लिए काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. इन प्रगतिशील किसानों ने ईटीवी भारत के साथ अपने अनुभव साझा किए. पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट...

कम जगह में गार्डनिंग कर उठाएं लाभ : लखनऊ के रहने वाले शुभम तिवारी ने बताया कि उन्होंने एमएससी एग्रीकल्चर किया है. कोरोना काल में उन्होंने गार्डनिंग की तैयारी शुरू की. इसके बाद नया स्टार्टअप शुरू करने का ख्याल आया. योजना बनाई कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे लोगों को ऑर्गेनिक खेती के बारे में बता सकें. उन्हें जागरूक कर सकें कि कैसे कम जगह में घरों में गार्डनिंग कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि सब्जियों के दाम भी बढ़ रहे हैं. हमें ऑर्गेनिक चीज नहीं मिल रही है. बाजार में ऑर्गेनिक समान है, लेकिन उन पर भरोसा करना मुश्किल है. लिहाजा हम लोगों को यह बता रहे हैं कि कैसे वह हरी साग, सब्जी, फल-फूल घर में ही उगा सकते हैं.

शुभम ने बताया कि लोगों को रुझान अब ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ रहा है. वे इसके लिए गंभीरता से प्रयास भी कर रहे हैं. ऑर्गेनिक खेती करके हम अच्छा इनकम कमा रहे हैं. महीने में लगभग एक लाख कमा लेते हैं. ऑर्गेनिक तरीके से पैदा की गईं फल-सब्जिया पूरी तरह से शुद्ध होती हैं. इन पर किसी भी तरह का केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है. हम अन्य किसानों को भी इसके लिए जागरूक करते हैं. बताते हैं कि कैसे अपना स्टार्टअप शुरू कर मुनाफा कमा सकते हैं.

पॉलिबैग में उगाते हैं सब्जी-फल, केमिकल का नहीं करते इस्तेमाल : दिवेश तिवारी ने बताया कि अभी मैं 12वीं क्लास में पढ़ाई कर रहा हूं. ऑर्गेनिक खेती की तरफ हमेशा से मेरा रुझान रहा है. शुरुआत से ही मैं घर पर हरी साग-सब्जी को लगाता रहा हूं. मुझे काफी अनुभव है. बड़े भाई शुभम से मुझे सीखने को मिला कि किस तरह से हम ऑर्गेनिक खेती को बढ़ा सकते हैं. इसके बाद भाई के स्टार्टअप में मैं भी लग गया. हम पॉलिबैग में सब्जियां और फल को लगाते हैं. पेड़ पौधों को लगाते समय हम इस बात का ध्यान देते हैं कि अच्छे ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल करें. इसमें कोई भी केमिकल नहीं होता है. किसानों को भी हम अत्याधुनिक तकनीक से रूबरू कराते हैं. आज भी किसान पुराने तरीके से ही गेहूं-चावल की खेती कर रहे हैं. उन्हें समझाया जाता है कि वे किस तरह से मौसमी साग-सब्जियों और फलों की खेती करके अच्छी अर्निंग कर सकते हैं.

जैविक खेती के प्रति बढ़ रहा रुझान.
जैविक खेती के प्रति बढ़ रहा रुझान. (Photo Credit; ETV Bharat)

ऑर्गेनिक गार्डनिंग में रुचि दिखा रहे लोग : ऐशबाग की रहने वाली रोशनी मिश्रा ने बताया कि हर साल वह राज भवन में लगने वाली प्रदर्शनी में घूमने के लिए आती हैं. उन्होंने कहा कि मुझे ऑर्गेनिक खेती करना पसंद है. मैंने घर पर छत पर ऑर्गेनिक गार्डनिंग कर रखी है. एक साथ सब्जियां लगाई है. साथ ही हमने ऐसे प्लांट्स लगाए हैं, जो सिर्फ एक बार ही नहीं होता है. बल्कि ऐसी सब्जियां लगाई हैं, जिनके पेड़ से हमें बार-बार सब्जियां मिल सकती हैं. इसमें टमाटर, मिर्च, चुकंदर, बैगन, शिमला मिर्च, भिंडी और तरोई शामिल हैं. इनका एक बार प्लांट लग जाने के बाद यह बार-बार हमें सब्जियां देते हैं. वहीं, गोभी, आलू या फिर ब्रोकली जैसी सब्जियां हमें सिर्फ एक बार ही मिलती है. इसलिए ज्यादातर मैं ऐसी खेती करती हूं, जिसमें मुझे एक बार पौधे लगाने पर हमेशा सब्जियां मिले. उन्होंने कहा कि जब हम घर पर पेड़ पौधे लगाते हैं तो हमें शुद्ध सब्जियां मिलती है. जिसमें किसी तरह का कोई केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है. एक महीने के भीतर ये पौधे सब्जियां देने लगते हैं.

निराला नगर की रहने वाली मनीषा ने बताया कि हर्बल चीज हर किसी को पसंद होती है. अगर हम खानपान की बात करें तो ऑर्गेनिक सामान हमें लेना पसंद होता है. सब्जियां खाने में स्वादिष्ट होती हैं. आजकल बाजार में हर कोई केमिकल वाली सब्जियां बेच रहा है. उन्हें पैसों से मतलब होता है. लेकिन, हम कुछ ऐसी ऑर्गेनिक खेती अपने गार्डन में कर लेते हैं, जिससे हमें मौसमी सब्जी मिल जाती है. अलीगंज के रहने वाली बबीता चौहान ने बताया कि इस मौसम में हमने पालक, मेंथी, शिमला मिर्च गार्डन में लगाया है. जब हम इस तरह के किसी प्रदर्शनी में जाते हैं तो हमें अच्छे-अच्छे बीज मिल जाते हैं, जिससे हम अपने घर के गार्डन में सब्जियां उगाते हैं.

अलीगंज की रहने वाली शालिनी टंडन ने बताया कि लखनऊ में बहुत सारी ऐसी प्रदर्शनी आयोजित होती है, जहां पर घर में ही खेती करने की टिप्स दी जाती है. बहुत सारे युवा इस समय ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं. इनसे हमें सीखने को मिलता है कि हम किस तरह से अपने घर में ऑर्गेनिक खेती कर सकते हैं. इस समय हम मौसम के हिसाब से हरी साग सब्जियां उगा रहे हैं. यह पूरी तरह से ऑर्गेनिक होती हैं क्योंकि इसमें हम किसी भी तरह का केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

प्रदर्शनी में जानकारी के लिए पहुंच रहे लोग.
प्रदर्शनी में जानकारी के लिए पहुंच रहे लोग. (Photo Credit; ETV Bharat)

उप्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 के तहत उद्यमियों को मिलती हैं ये सुविधाएं : खाद्य प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करने के लिए 12.5 एकड़ से अधिक भूमि खरीदने की अनुमति, गैर-कृषि उपयोग घोषणा के लिए सर्कल रेट पर मूल्य का 2 प्रतिशत शुल्क के रूप में जमा करने की छूट, परियोजना स्थल में आने वाली सरकारी भूमि के विनिमय (Exchange) में अनिवार्य रूप से भूमि के मूल्य का 25 प्रतिशत धनराशि जमा किए जाने पर छूट, भूमि उपयोग का रूपांतरण पर 50 प्रतिशत की छूट, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों पर बाहरी विकास शुल्क (External Development Charges) में 75 प्रतिशत की छूट, खाद्य प्रसंस्करण इकाई के लिए स्टांप शुल्क की शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति.

प्रसंस्करण के लिए मण्डी का लाइसेंस प्रदेश की किसी भी मण्डी का लाइसेंस पूरे प्रदेश में कार्य करने के लिए अधिकृत होगा. प्रसंस्करण इकाइयों के लिए राज्य के बाहर लाए गए कृषि उत्पाद के लिए मण्डी शुल्क और उपकर से छूट, प्रसंस्करण इकाइयों को सीधे बेचे जाने वाले कृषि उत्पाद के लिए मंडी शुल्क और उपकर से छूट, प्रसंस्करण इकाइयों को बिजली आपूर्ति के लिए ग्रामीण क्षेत्र में 75 केवीए तक लागत का 50 प्रतिशत, महिला उद्यमी के लिए लागत का 90 प्रतिशत सौर ऊर्जा परियोजना पर सब्सिडी. निर्यात के लिए परिवहन सब्सिडी (नेपाल, बंगलादेश एवं भूटान को छोड़कर) खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों द्वारा निर्यात किए जाने वाले उत्पाद पर परियोजना की वास्तविक लागत का 25 प्रतिशत छूट.

यह भी पढ़ें : योगी सरकार किसानों को करेगी मालामाल, ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी की खेती पर 40 फीसदी सब्सिडी

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