प्रयागराज: संगम तट पर चल रहे माघ मेला में रविवार को माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ कल्पवास की समाप्ति हो जाएगी. पौष पूर्णिमा से शुरू हुआ कल्पवास का व्रत माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ संपन्न हो जाएगा. माघी पूर्णिमा पर गंगा और त्रिवेणी संगम में स्नान करने के बाद कल्पवासी तंबुओं का शहर छोड़कर अपने घरों के लिए रवाना हो जाएंगे.
संगम तट पर माघी पूर्णिमा के मौके पर रविवार को लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंचेगे. गंगा भक्त ब्रह्मुहूर्त से ही त्रिवेणी संगम और अलग-अलग गंगा घाटों पर स्नान के लिए जुटेंगे. माघी पूर्णिमा स्नान पर्व को देखते हुए मेला पुलिस और मेला प्रशासन की तरफ से तैयारियां पूरी होने का दावा किया गया है. श्रद्धालुओं के सुरक्षित स्नान के लिए मेला क्षेत्र में 17 घाट तैयार किये गए हैं. घाटों पर यात्रियों को सुरक्षित तरीके से डुबकी लगवाने के लिए नदी के अंदर पानी में भी बैरिकेडिंग की गयी है. जिससे कि कोई भी श्रद्धालु स्नान करते समय गहरे पानी में न जा सके. जिससे लाखों श्रद्धालु स्नान करके सुरक्षित अपने घर वापस जा सके. मुख्य स्नान पर्वो की तरह ही रविवार को भी घाटों पर जल पुलिस के साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें निगरानी और राहत बचाव के लिए तैनात रहेंगी. वहीं, मेला क्षेत्र में रास्तों पर भी ट्रैफिक और सुरक्षा को लेकर व्यापक इंतजाम किए गए हैं.
आयुष्मान योग में स्नान कर पुण्य कमाएंगे श्रद्धालु
माघी पूर्णिमा पर रविवार की सुबह की पहली किरण के साथ ही श्रद्धालु स्नान शुरू कर देंगे. माघ महीने का ये अंतिम स्नान के साथ माघ महीने में किया जाने वाला कल्पवास समाप्त हो जाएगा. ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय ने बताया कि इस बार माघी पूर्णिमा के पर्व पर आयुष्मान योग बन रहा है. आयुष्मान योग में श्रद्धालु ब्रह्ममुहूर्त से ही त्रिवेणी तट पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाएंगे. माघी पूर्णिमा पर ग्रहों के संयोग से बन रहे इस आयुष्मान योग में पवित्र नदी में स्नान करना विशेष फलदायी होता है. यही वजह है कि रविवार को गंगा घाटों और संगम में डुबकी लगाएंगे उन पर मां गंगा की कृपा बनी रहेगी.
18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर भी जुटेगी भीड़
माघ मेले के ज्यादातर कल्पवासी एक माह तक चले कठिन जप तप की साधना के बाद माघी पूर्णिमा पर स्नान कर वापस चले जाते हैं. जबकि कुछ कल्पवासी माघी पूर्णिमा के तीन दिन बाद होने वाले त्रिजटा स्नान के लिए रुक जाते हैं. वहीं, मेला क्षेत्र में रविवार के बाद से कल्पवासी नहीं रहेंगे. लेकिन मेला क्षेत्र की पुलिस और प्रशासन की व्यवस्था महाशिवरात्रि तक कायम रहेगी. 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ माघ मेले का समापन औपचारिक समापन हो जाएगा.
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