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प्रयागराज माघ मेला 2022ः इस तकनीक से स्वच्छ बनाया जाएगा नदियों का पानी

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Published : Jan 7, 2022, 9:50 AM IST

प्रयागराज माघ मेला में स्वच्छ जल के लिए प्रयागराज के नालों में विभिन्न तकनीकों से किए जा रहे शोधन के संबंध में मंडलायुक्त संजय गोयल की अध्यक्षता में हुई बैठक. नालों के पास बसे लोगों को नालों में कूड़ा डालने से रोकने के लिए एनजीओ की मदद से फैलाएंगे जागरूकता. 60 नालों में विभिन्न प्रकार के शोधन से साफ किए जा रहे पानी की रेंडम सैंपलिंग कराने का आदेश.

प्रयागराज माघ मेला 2022
प्रयागराज माघ मेला 2022

प्रयागराज: माघ मेला में स्वच्छ जल के लिए प्रयागराज के नालों में विभिन्न तकनीकों से किए जा रहे शोधन के संबंध में मंडलायुक्त संजय गोयल की अध्यक्षता में गांधी सभागार में समीक्षा बैठक हुई. शोधन के पश्चात नदियों में छोड़े जा रहे पानी को और साफ बनाने के लिए अतिरिक्त तकनीक को लेकर विस्तार से चर्चा की गई. इस पर रेंडम सैंपलिंग कर जल निगम से रिपोर्ट मांगी गई है. जिसमें निर्देशित हुआ कि नालों के पास बसे लोगों को नालों में कूड़ा डालने से रोकने के लिए एनजीओ की मदद से जागरूकता फैलाएं. जो भी कार्यदायी संस्थाएं नालों के शोधन के कार्य से जुड़ी हुई हैं उनका दिसंबर माह तक के बकाए का भुगतान शीघ्र करें.

बैठक में मंडलायुक्त ने जल निगम के अधिकारियों को सभी 60 नालों में विभिन्न प्रकार के शोधन से साफ किए जा रहे पानी की रेंडम सैंपलिंग कराने का आदेश दिया. इसके साथ ही उन्होंने अतिरिक्त तकनीकी हस्तक्षेप से पानी को और बेहतर बनाने को लेकर 2 दिन के अंदर उनके समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. रिपोर्ट में किस तरह के अतिरिक्त रिमेडियेशन की आवश्यकता किन-किन स्थानों पर है उसकी विस्तृत जानकारी उन स्थानों के लॉटीट्यूड-लोंगिट्यूड के साथ मांगी गई है.

यह भी पढ़ें- UP Weather Update: बारिश और हवाओं ने गिराया दिन का तापमान, जानें अपने शहर का हाल


इसी क्रम में नालों के पास बसे लोगों को नालों में कूड़ा डालने से रोकने के दृष्टिगत उनमें जागरूकता फैलाने के भी निर्देश दिए गए. इस कार्य के लिए नगर आयुक्त रवि रंजन को एनजीओ के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी भी दी गई है. साथ ही जो भी कार्यदाई संस्थाएं नालों के शोधन के कार्य से जुड़ी हुई हैं उनका दिसंबर माह तक के बकाए का भुगतान शीघ्र करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

इसी क्रम में नालों के पानी की सैंपलिंग कर गंदे पानी को नदियों में जाने से रोकने के दृष्टिगत पिछले दिनों बनाई गई प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड(pollution control board), नगर निगम एवं गंगा प्रदूषण संयुक्त टीम (ganga pollution joint team) को विभिन्न स्थानों पर हफ्ते में दो बार की जा रही सेंपलिंग को बढ़ाकर अल्टरनेट डेज पर करने का निर्देश दिया गया. जिसकी रिपोर्ट मंडलायुक्त एवं मेला अधिकारी के साथ-साथ नगर आयुक्त को भी भेजी जाएगी.

वर्तमान में प्रयागराज नगर में कुल 76 नाले हैं. जिसमें से 16 नाले स्थाई रूप से विभिन्न 7 एसटीपी से जुड़े हुए हैं. शेष 60 नालों में से 6 में फाइटोरिमेडियेशन तकनीक, 54 नालों में बायोरेमेडीएशन तकनीक शोधन का कार्य नगर निगम प्रयागराज द्वारा किया जा रहा है. सभी एसटीपी अनटैप्ड नालों एवं गंगा व यमुना नदी की जल गुणवत्ता की जांच यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जा रही है.

एसटीपी की जांच सप्ताह में एक बार, अनटैप्ड नालों की जांच सप्ताह में दो बार तथा गंगा व यमुना नदी की प्रतिदिन जल गुणवत्ता की जांच बोर्ड द्वारा की जा रही है. पूर्व में टेस्टिंग 10 दिन में 1 बार की जा रही थी जो कि अब सप्ताह में 3 बार की जाएगी. वर्तमान में बोर्ड से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार एसटीपी व अनटैप्ड नालों का शोधन मानक के अनुरूप है. गंगा व यमुना नदी की जल गुणवत्ता स्नान योग्य है.

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प्रयागराज: माघ मेला में स्वच्छ जल के लिए प्रयागराज के नालों में विभिन्न तकनीकों से किए जा रहे शोधन के संबंध में मंडलायुक्त संजय गोयल की अध्यक्षता में गांधी सभागार में समीक्षा बैठक हुई. शोधन के पश्चात नदियों में छोड़े जा रहे पानी को और साफ बनाने के लिए अतिरिक्त तकनीक को लेकर विस्तार से चर्चा की गई. इस पर रेंडम सैंपलिंग कर जल निगम से रिपोर्ट मांगी गई है. जिसमें निर्देशित हुआ कि नालों के पास बसे लोगों को नालों में कूड़ा डालने से रोकने के लिए एनजीओ की मदद से जागरूकता फैलाएं. जो भी कार्यदायी संस्थाएं नालों के शोधन के कार्य से जुड़ी हुई हैं उनका दिसंबर माह तक के बकाए का भुगतान शीघ्र करें.

बैठक में मंडलायुक्त ने जल निगम के अधिकारियों को सभी 60 नालों में विभिन्न प्रकार के शोधन से साफ किए जा रहे पानी की रेंडम सैंपलिंग कराने का आदेश दिया. इसके साथ ही उन्होंने अतिरिक्त तकनीकी हस्तक्षेप से पानी को और बेहतर बनाने को लेकर 2 दिन के अंदर उनके समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. रिपोर्ट में किस तरह के अतिरिक्त रिमेडियेशन की आवश्यकता किन-किन स्थानों पर है उसकी विस्तृत जानकारी उन स्थानों के लॉटीट्यूड-लोंगिट्यूड के साथ मांगी गई है.

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इसी क्रम में नालों के पास बसे लोगों को नालों में कूड़ा डालने से रोकने के दृष्टिगत उनमें जागरूकता फैलाने के भी निर्देश दिए गए. इस कार्य के लिए नगर आयुक्त रवि रंजन को एनजीओ के माध्यम से लोगों में जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी भी दी गई है. साथ ही जो भी कार्यदाई संस्थाएं नालों के शोधन के कार्य से जुड़ी हुई हैं उनका दिसंबर माह तक के बकाए का भुगतान शीघ्र करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

इसी क्रम में नालों के पानी की सैंपलिंग कर गंदे पानी को नदियों में जाने से रोकने के दृष्टिगत पिछले दिनों बनाई गई प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड(pollution control board), नगर निगम एवं गंगा प्रदूषण संयुक्त टीम (ganga pollution joint team) को विभिन्न स्थानों पर हफ्ते में दो बार की जा रही सेंपलिंग को बढ़ाकर अल्टरनेट डेज पर करने का निर्देश दिया गया. जिसकी रिपोर्ट मंडलायुक्त एवं मेला अधिकारी के साथ-साथ नगर आयुक्त को भी भेजी जाएगी.

वर्तमान में प्रयागराज नगर में कुल 76 नाले हैं. जिसमें से 16 नाले स्थाई रूप से विभिन्न 7 एसटीपी से जुड़े हुए हैं. शेष 60 नालों में से 6 में फाइटोरिमेडियेशन तकनीक, 54 नालों में बायोरेमेडीएशन तकनीक शोधन का कार्य नगर निगम प्रयागराज द्वारा किया जा रहा है. सभी एसटीपी अनटैप्ड नालों एवं गंगा व यमुना नदी की जल गुणवत्ता की जांच यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की जा रही है.

एसटीपी की जांच सप्ताह में एक बार, अनटैप्ड नालों की जांच सप्ताह में दो बार तथा गंगा व यमुना नदी की प्रतिदिन जल गुणवत्ता की जांच बोर्ड द्वारा की जा रही है. पूर्व में टेस्टिंग 10 दिन में 1 बार की जा रही थी जो कि अब सप्ताह में 3 बार की जाएगी. वर्तमान में बोर्ड से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार एसटीपी व अनटैप्ड नालों का शोधन मानक के अनुरूप है. गंगा व यमुना नदी की जल गुणवत्ता स्नान योग्य है.

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