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प्रधानमंत्री आवास योजना का अलॉटमेंट रोकने के खिलाफ दायर की गई याचिका खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने फ्लैट का आवंटन रोकने और इसकी लॉटरी पर रोक लगाने को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है. याचिका क्राइम प्रिवेंशन कंट्रोल ऑफ इंडिया नामक संस्था ने दाखिल की थी.

प्रधानमंत्री आवास योजना
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Published : Jun 30, 2023, 10:45 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने फ्लैट का आवंटन रोकने और इसकी लॉटरी पर रोक लगाने को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है. जनहित याचिका क्राइम प्रिवेंशन कंट्रोल ऑफ इंडिया नामक संस्था ने दाखिल की थी. इस पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की अवकाश कालीन खंडपीठ में सुनवाई की.

सत्यापन में लापरवाही का लगाया था आरोप : याचिका में कहा गया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना में बने आवासों के आवंटन के लिए लॉटरी निकालने पर रोक लगाई जाए, क्योंकि अधिकारियों ने बिना सही तरीके से सत्यापन किए तमाम लोगों को इस योजना के लिए अपात्र घोषित कर दिया है. यह भी मांग की गई थी कि अपात्र घोषित किए गए लोगों, जिन्होंने योजना को लेकर आपत्तियां दाखिल की थीं. उनका भौतिक सत्यापन कराया जाए, उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जिन्होंने बिना सही तरीके से जांच के तमाम लोगों को अपात्र घोषित कर दिया.

9 जून को ही हो चुका है अलॉटमेंट : प्रयागराज विकास प्राधिकरण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी तथा अधिवक्ता विभु राय और धनंजय ने याचिका का विरोध किया. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि याची ने अपनी योग्यता का खुलासा नहीं किया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार जनहित याचिका में ऐसा किया जाना जरूरी है. उनका यह भी कहना था कि याचिका अर्थहीन हो चुकी है. क्योंकि अलॉटमेंट 9 जून को ही हो चुका है और तीसरे पक्ष का हित सृजित होने के बाद याचिका स्वत: ख़ारिज किए जाने योग्य है. इन दलीलों के बाद याची के अधिवक्ता ने स्वयं कोर्ट से अनुरोध किया कि वह याचिका पर बल नहीं देना चाहते हैं. जिस पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

यह भी पढ़ें: श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा मामले में हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को झटका, याचिका खारिज

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने फ्लैट का आवंटन रोकने और इसकी लॉटरी पर रोक लगाने को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है. जनहित याचिका क्राइम प्रिवेंशन कंट्रोल ऑफ इंडिया नामक संस्था ने दाखिल की थी. इस पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की अवकाश कालीन खंडपीठ में सुनवाई की.

सत्यापन में लापरवाही का लगाया था आरोप : याचिका में कहा गया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना में बने आवासों के आवंटन के लिए लॉटरी निकालने पर रोक लगाई जाए, क्योंकि अधिकारियों ने बिना सही तरीके से सत्यापन किए तमाम लोगों को इस योजना के लिए अपात्र घोषित कर दिया है. यह भी मांग की गई थी कि अपात्र घोषित किए गए लोगों, जिन्होंने योजना को लेकर आपत्तियां दाखिल की थीं. उनका भौतिक सत्यापन कराया जाए, उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जिन्होंने बिना सही तरीके से जांच के तमाम लोगों को अपात्र घोषित कर दिया.

9 जून को ही हो चुका है अलॉटमेंट : प्रयागराज विकास प्राधिकरण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी तथा अधिवक्ता विभु राय और धनंजय ने याचिका का विरोध किया. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि याची ने अपनी योग्यता का खुलासा नहीं किया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार जनहित याचिका में ऐसा किया जाना जरूरी है. उनका यह भी कहना था कि याचिका अर्थहीन हो चुकी है. क्योंकि अलॉटमेंट 9 जून को ही हो चुका है और तीसरे पक्ष का हित सृजित होने के बाद याचिका स्वत: ख़ारिज किए जाने योग्य है. इन दलीलों के बाद याची के अधिवक्ता ने स्वयं कोर्ट से अनुरोध किया कि वह याचिका पर बल नहीं देना चाहते हैं. जिस पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

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