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नरेंद्र गिरि सुसाइड केस में नया मोड़, वादी बोले- उन्होंने नहीं दी थी लिखित तहरीर

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामले में वादी पवन महाराज और अमर गिरि ने कहा है कि उन्होंने किसी के खिलाफ कोई लिखित तहरीर नहीं दी थी.

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नहीं दी थी लिखित तहरीर
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Published : Aug 12, 2022, 6:57 PM IST

प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. 20 सितंबर 2021 को महंत नरेन्द्र गिरि के मौत के बाद पुलिस ने जो मुकदमा दर्ज किया था. उस मुकदमे को दर्ज करने के लिए पुलिस को कोई लिखित तहरीर नहीं दी गई थी. जबकि मुकदमे में महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य अमर गिरि और मंदिर के पुजारी पवन महाराज को बनाया गया था. अब इस मुकदमे के वादी रहे पवन महाराज और अमर गिरि का कहना है कि उन्होंने किसी के खिलाफ कोई लिखित तहरीर नहीं दी थी.

जानकारी देते अमर गिरि के वकील नीरज तिवारी

अमर गिरि के वकील नीरज तिवारी के अनुसार अमर गिरि और पवन महाराज ने पुलिस से मौखिक रूप से जानकारी दी गई थी. इसके अलावा पंचनामा में उन्होंने गवाह के रूप में दस्तखत किया था. दोनों की तरफ से यह भी जानकारी दी गई है कि जिस वक्त घटना हुई वो लेटे हनुमान मंदिर (बड़े हनुमान मंदिर) में थे. उन्हें मठ बाघम्बरी से कॉल करके घटना की जानकारी दी गई थी. इसके बाद अमर गिरि और पवन महाराज मठ पहुंचे थे. जहां पर उस वक्त तक पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ ही नेताओं का जमघट लग चुका था. इसके बाद नरेंद्र गिरि का शिष्य होने के नाते अमर गिरि से पंचनामा और किसी दूसरे कागज पर दस्तखत करवाये गए थे.


किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं दर्ज करवाया केस: हाईकोर्ट में वकील के जरिये दिए गए हलफनामे में दोनों वादियों (पवन महाराज और अमर गिरि) ने कहा है कि उनकी तरफ से दर्ज मुकदमे में किसने आनंद गिरि को नामजद किया, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. यही वजह है कि जब न्यायालय में उन्हें पक्ष रखने का मौका मिला, तो हलफनामे के जरिये उन्होंने अपनी बात कोर्ट के सामने रखी है. इसके साथ ही उनकी तरफ से यह मांग की जा रही है कि उनके नाम पर जिस एफआईआर में आनंद गिरि को आरोपी बताया गया है. उस एफआईआर पर किसी तरह की कोई कार्रवाई न की जाए. इसके साथ ही घटना के पीछे जो लोग हों उनका पता लगाकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

लिखित तहरीर न देने की बात कही: अमर गिरि के वकील नीरज तिवारी ने बताया कि अमर गिरि और पवन महाराज ने जो बातें हलफनामे के जरिये हाईकोर्ट में कही है. वही, बात उन्होंने सीबीआई से पूछताछ के दौरान भी कही थी. हाईकोर्ट में सीबीआई की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में अमर गिरि और पवन महाराज के बयान में भी यही लिखा है कि उन्होंने मौखिक सूचना दी थी. उनकी तरफ से किसी तरह की लिखित तहरीर किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं दी गई थी. घटना के बाद मठ में अफसरों की मौजूदगी में उनसे पंचनामा और सूचना देने के नाम पर कागज पेपर में दस्तखत करवाये गए थे. जिसके बाद भी उन्होंने पुलिस से मौखिक शिकायत ही की थी.

यह भी पढ़ें:नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामलाः आनंद गिरी की जमानत टली, अगली सुनवाई 18 अगस्त को

वकील नीरज तिवारी बताया कि दोनों वादियों की तरफ से यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ केस दर्ज नहीं करवाया था. यही वजह है कि अब वो उस एफआईआर पर कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं. उनका कहना है कि घटना के पीछे कोई दोषी होगा तो उसे भगवान हनुमान जी सजा देंगे. उनकी वजह से कोई बेगुनाह इस मामले में न फंसे. इस वजह से कोर्ट में उन्होंने हलफनाम दिया है.


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प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. 20 सितंबर 2021 को महंत नरेन्द्र गिरि के मौत के बाद पुलिस ने जो मुकदमा दर्ज किया था. उस मुकदमे को दर्ज करने के लिए पुलिस को कोई लिखित तहरीर नहीं दी गई थी. जबकि मुकदमे में महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य अमर गिरि और मंदिर के पुजारी पवन महाराज को बनाया गया था. अब इस मुकदमे के वादी रहे पवन महाराज और अमर गिरि का कहना है कि उन्होंने किसी के खिलाफ कोई लिखित तहरीर नहीं दी थी.

जानकारी देते अमर गिरि के वकील नीरज तिवारी

अमर गिरि के वकील नीरज तिवारी के अनुसार अमर गिरि और पवन महाराज ने पुलिस से मौखिक रूप से जानकारी दी गई थी. इसके अलावा पंचनामा में उन्होंने गवाह के रूप में दस्तखत किया था. दोनों की तरफ से यह भी जानकारी दी गई है कि जिस वक्त घटना हुई वो लेटे हनुमान मंदिर (बड़े हनुमान मंदिर) में थे. उन्हें मठ बाघम्बरी से कॉल करके घटना की जानकारी दी गई थी. इसके बाद अमर गिरि और पवन महाराज मठ पहुंचे थे. जहां पर उस वक्त तक पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के साथ ही नेताओं का जमघट लग चुका था. इसके बाद नरेंद्र गिरि का शिष्य होने के नाते अमर गिरि से पंचनामा और किसी दूसरे कागज पर दस्तखत करवाये गए थे.


किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं दर्ज करवाया केस: हाईकोर्ट में वकील के जरिये दिए गए हलफनामे में दोनों वादियों (पवन महाराज और अमर गिरि) ने कहा है कि उनकी तरफ से दर्ज मुकदमे में किसने आनंद गिरि को नामजद किया, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. यही वजह है कि जब न्यायालय में उन्हें पक्ष रखने का मौका मिला, तो हलफनामे के जरिये उन्होंने अपनी बात कोर्ट के सामने रखी है. इसके साथ ही उनकी तरफ से यह मांग की जा रही है कि उनके नाम पर जिस एफआईआर में आनंद गिरि को आरोपी बताया गया है. उस एफआईआर पर किसी तरह की कोई कार्रवाई न की जाए. इसके साथ ही घटना के पीछे जो लोग हों उनका पता लगाकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

लिखित तहरीर न देने की बात कही: अमर गिरि के वकील नीरज तिवारी ने बताया कि अमर गिरि और पवन महाराज ने जो बातें हलफनामे के जरिये हाईकोर्ट में कही है. वही, बात उन्होंने सीबीआई से पूछताछ के दौरान भी कही थी. हाईकोर्ट में सीबीआई की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में अमर गिरि और पवन महाराज के बयान में भी यही लिखा है कि उन्होंने मौखिक सूचना दी थी. उनकी तरफ से किसी तरह की लिखित तहरीर किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं दी गई थी. घटना के बाद मठ में अफसरों की मौजूदगी में उनसे पंचनामा और सूचना देने के नाम पर कागज पेपर में दस्तखत करवाये गए थे. जिसके बाद भी उन्होंने पुलिस से मौखिक शिकायत ही की थी.

यह भी पढ़ें:नरेंद्र गिरि आत्महत्या मामलाः आनंद गिरी की जमानत टली, अगली सुनवाई 18 अगस्त को

वकील नीरज तिवारी बताया कि दोनों वादियों की तरफ से यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ केस दर्ज नहीं करवाया था. यही वजह है कि अब वो उस एफआईआर पर कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं. उनका कहना है कि घटना के पीछे कोई दोषी होगा तो उसे भगवान हनुमान जी सजा देंगे. उनकी वजह से कोई बेगुनाह इस मामले में न फंसे. इस वजह से कोर्ट में उन्होंने हलफनाम दिया है.


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