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पितृ विसर्जन अमावस्या आज, मंगलकामना के साथ श्रद्धा से करें पुरखों को विदा - पितृ विसर्जन

यूपी के प्रयागराज के संगम तट के विभिन्न घाटों पर भोर से ही पितरों की विदाई का कार्यक्रम चल रहा है. 15 दिन की अवधि तक चलने वाले श्राद्ध का 17 सिंतबर को अंतिम दिन है. आश्विन माह की अमावस्या को पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है. इस दिन से श्राद्ध समाप्त होते हैं. इस दिन पितरों को विदा कर दिया जाता है.

पितृ विसर्जन अमावस्या आज
पितृ विसर्जन अमावस्या आज
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Published : Sep 17, 2020, 12:42 PM IST

प्रयागराज: गुरुवार को अश्विन मां कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. इस तिथि को मोक्षदायिनी अमावस्या या पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन पितृपक्ष के दौरान मृत्युलोक से आए हुए पितृ वापस लौट जाते हैं. शास्त्र व धार्मिक मान्यताओं में आज के दिन पितरों की विदाई की जाती है. इसको लेकर के गुरुवार सुबह से प्रयागराज संगम तट के विभिन्न घाटों पर भोर से ही पितरों की विदाई का कार्यक्रम चल रहा है. प्रयागराज जनपद सहित प्रदेश के विभिन्न इलाकों से आए हुए श्रद्धालु अपने पितरों की विदाई कर रहे हैं.

पितृ विसर्जन अमावस्या आज.

उदय तिथि में ही पड़ने वाली अमावस्या में पितरों का श्राद्ध किया जाता है
पितृ पक्ष के अंतिम दिन संगम तट पर आए हुए लोग पिंडदान कर श्राद्ध या तर्पण करते हैं. ब्राह्मणों को भोजन कराकर अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त कर उनकी विदाई करते हैं. शास्त्रों की मान्यता के अनुसार यदि किसी भी व्यक्ति को पितृ की मृत्यु की तिथि अगर ज्ञात नहीं है, तो उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ विसर्जन अमावस्या को ही उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जा सकता है. वैसे तो अमावस्या की तिथि 16 सितंबर को शाम 7 बजकर 58 मिनट पर ही आ गई थी, जो 17 सितंबर को 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगी. पुराणों व शास्त्रों में वर्णन के अनुसार उदय तिथि में ही पड़ेने वाली अमावस्या में पितरों का श्राद्ध किया जाता है, इससे देव बहुत प्रसन्न होते हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ संपन्न हुआ श्राद्ध का कार्यक्रम
लोगो ने पितरों से आशीर्वाद की कामना व उनके मोक्ष के लिए पूरे संगम क्षेत्र में श्रद्धा भाव से श्राद्ध व तर्पण किया. खास बात यह रही कि कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए संगम क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग के माध्यम से श्राद्ध का कार्यक्रम संपन्न कराया. जिससे आने वाले किसी भी श्रद्धालुओं को कोविड-19 का संक्रमण न हो सके. वैसे तो पित्र विसर्जन अमावस्या के अगले दिल से नवरात्रि लग जाता है. लेकिन इस बार अधिमास पड़ने के कारण नवरात्रि 18 अक्टूबर से शुरू होगा.

प्रयागराज: गुरुवार को अश्विन मां कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. इस तिथि को मोक्षदायिनी अमावस्या या पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन पितृपक्ष के दौरान मृत्युलोक से आए हुए पितृ वापस लौट जाते हैं. शास्त्र व धार्मिक मान्यताओं में आज के दिन पितरों की विदाई की जाती है. इसको लेकर के गुरुवार सुबह से प्रयागराज संगम तट के विभिन्न घाटों पर भोर से ही पितरों की विदाई का कार्यक्रम चल रहा है. प्रयागराज जनपद सहित प्रदेश के विभिन्न इलाकों से आए हुए श्रद्धालु अपने पितरों की विदाई कर रहे हैं.

पितृ विसर्जन अमावस्या आज.

उदय तिथि में ही पड़ने वाली अमावस्या में पितरों का श्राद्ध किया जाता है
पितृ पक्ष के अंतिम दिन संगम तट पर आए हुए लोग पिंडदान कर श्राद्ध या तर्पण करते हैं. ब्राह्मणों को भोजन कराकर अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त कर उनकी विदाई करते हैं. शास्त्रों की मान्यता के अनुसार यदि किसी भी व्यक्ति को पितृ की मृत्यु की तिथि अगर ज्ञात नहीं है, तो उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ विसर्जन अमावस्या को ही उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जा सकता है. वैसे तो अमावस्या की तिथि 16 सितंबर को शाम 7 बजकर 58 मिनट पर ही आ गई थी, जो 17 सितंबर को 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगी. पुराणों व शास्त्रों में वर्णन के अनुसार उदय तिथि में ही पड़ेने वाली अमावस्या में पितरों का श्राद्ध किया जाता है, इससे देव बहुत प्रसन्न होते हैं.

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ संपन्न हुआ श्राद्ध का कार्यक्रम
लोगो ने पितरों से आशीर्वाद की कामना व उनके मोक्ष के लिए पूरे संगम क्षेत्र में श्रद्धा भाव से श्राद्ध व तर्पण किया. खास बात यह रही कि कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए संगम क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग के माध्यम से श्राद्ध का कार्यक्रम संपन्न कराया. जिससे आने वाले किसी भी श्रद्धालुओं को कोविड-19 का संक्रमण न हो सके. वैसे तो पित्र विसर्जन अमावस्या के अगले दिल से नवरात्रि लग जाता है. लेकिन इस बार अधिमास पड़ने के कारण नवरात्रि 18 अक्टूबर से शुरू होगा.

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