प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी विधानसभा चुनाव में प्लास्टिक की प्रचार सामग्रियों के धड़ल्ले से भारी मात्रा में उपयोग को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने गाजियाबाद के निवासी आकाश वशिष्ठ की ओर से दाखिल याचिका पर निर्वाचन आयोग, मुख्य चुनाव अधिकारी उत्तर प्रदेश, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व प्रदेश सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिन्कर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाई के श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है. कोर्ट ने इसे गंभीर मसला मानते हुए कहा कि इसकी प्रासंगिकता न केवल प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव तक सीमित है अपितु बाद में भी इसके उपयोग पर नियंत्रण जरूरी है.
जनहित याचिका में कहा गया है कि यूपी में चुनाव के दौरान बड़े स्तर पर प्लास्टिक से तैयार किए गए बैनर, पोस्टर्स, सिग्नेज आदि सामानों का जनता के बीच उपयोग में लाया जा रहा है. इसे सड़कों व खुले स्थान पर फेंक दिया जाता है. यह प्लास्टिक वेस्ट रूल्स, सालिड वेस्ट रूल्स, हजार्डस वेस्ट रूल्स व इन्वायरनमेन्ट प्रोटेक्शन एक्ट 1986 का खुला उल्लंघन है.
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कहा गया कि गावों में जानवर खुले में घूमते हैं. इस प्रकार के प्लास्टिक विषैले होते हैं। इसके खाने अथवा उपयोग से कैंसर होने का खतरा है. प्रतिबंधित प्लास्टिक या पालिथीन से जनजीवन प्रभावित होता है. नाले बीबर चोक हो रहे हैं. सभी राजनीतिक दलों पर चुनाव में पालिथीन के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए.
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