प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से फार्मासिस्ट के खाली पदों की भर्ती के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि आयोग को ग्रुप सी की भर्ती करने का अधिकार है. उसकी सक्षमता को चुनौती नहीं दी जा सकती. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने भरत और 16 अन्य 2003 के फार्मासिस्ट के डिप्लोमा धारकों की याचिका पर दिया है.
सरकारी अधिवक्ता जे. एस बुन्देला का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश पर 2002 तक के कार्यरत फार्मासिस्टों को हर प्रकार के खाली पदों पर संतृप्त किया गया है. यह सभी को समायोजित करने की भर्ती की गई है. इसके बाद नियम बदल गए हैं. अब नई नियमावली के अनुसार 7 दिसंबर 2020 के उप सचिव स्वास्थ्य के आदेश से पदों को भरने की कार्रवाई की जा रही है. इसलिए पुराने नियम से भर्ती की मांग नहीं की जा सकती.
राज्य सरकार के अधिवक्ता का यह भी कहना था कि वर्षों से भर्ती न होने के कारण 1998 से पहले के डिप्लोमा धारक फार्मासिस्टों की भर्ती का आदेश दिया गया. बाद में जिसे बढ़ाकर 2002 तक के कार्यरत डिप्लोमा धारक फार्मासिस्टों को शामिल किया गया. यह भर्ती सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर की गई है.
अब महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं सेवाएं उत्तर प्रदेश ने फिर से भर्ती कार्रवाई शुरू की है. जो नियमानुसार है. उसमें कोई अवैधानिकता नहीं है. 2002 तक के फार्मासिस्टों को संतृप्त करने के बाद खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की गई है. कोर्ट ने भर्ती कार्रवाई को विधि सम्मत मानते हुए याचिका खारिज कर दी है.