प्रयागराज: संगमनगरी में गाय के गोबर से बन रहे दीपक इस साल पूरे देश के प्रमुख मंदिरों को रोशन करेंगे. विश्व हिंदू परिषद के गौरक्षा विभाग की ओर से बहरिया ब्लॉक के 'प्रेम गोशाला' में गाय के गोबर से लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति और दिया तैयार किया जा रहा है. यह दीये देश के प्रमुख मंदिरों में और खासकर अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव में भेजे जाएंगे. दीयों को स्वयं सेवक संस्था की महिलाएं तैयार कर रही हैं.
इस पहल से एक तरफ जहां इस बार की दिवाली को इको फ्रेंडली बनाने की कोशिश की जा रही है तो वहीं महिलाओं को भी रोजगार मुहैया कराने की कवायद विश्व हिंदू परिषद की ओर से की जा रही है. विश्व हिंदू परिषद, काशी प्रांत मंत्री (गौरक्षक विभाग) लाल मणि तिवारी ने कहा कि गाय के गोबर से बने दीये और गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा से किसी भी तरह से प्रदूषण नहीं फैलता है. गाय के गोबर से बनने वाले यह दीये और गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा, मथुरा, काशी, अयोध्या और देश के प्रमुख मंदिरों में भेजे जाएंगे. अयोध्या के दीपोत्सव में यह भेजे जाएंगे.
काशीप्रांत मंत्री गौरक्षक विभाग लाल मणि तिवारी ने बताया कि गांव की महिलाएं सुबह 10 बजे शाम 4 बजे तक दीया और गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा बनाती हैं. मूर्ती और दिए में शुद्ध मिट्टी, गाय का गोबर और लकड़ी का बुरादा मिलाकर तैयार किया जाता है. दिये और प्रतिमा में किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. यानि केमिकल फ्री दिए इस बार दिवाली में जलाए जाएंगे.
काशी प्रान्त मंत्री ने बताया कि मूर्ति की रंगाई में नेचुरल रंगों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें हल्दी, चंदन, रोली सहित गंगा जल से तैयार प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. मूर्ति को सुंगन्धित बनाने के लिए गुलाब की पंखुड़ियों की खुशबू दी जाती है. गाय के गोबर से बने दीपक प्रयोग करने से एक तरफ जहां घरों में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होगा तो वहीं यह दीपक वातावरण को भी शुद्ध रखेगा.