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Allahabad High court: निदेशक बेसिक शिक्षा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ब्याज का भुगतान न करने और कोर्ट में उपस्थित न होने पर निदेशक बेसिक शिक्षा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है.

High court news
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Published : Feb 15, 2023, 9:25 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले में निदेशक बेसिक शिक्षा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने अनीता की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता कमल कुमार केसरवानी को सुनकर दिया है. एडवोकेट कमल केसरवानी ने बताया कि याची के पति राजवीर सिंह प्राथमिक विद्यालय चौकडा ब्लाक नौहझील जिला मथुरा में सहायक अध्यापक थे. याची के पति की सेवाकाल में मृत्यु हो गई थी.

उनकी मृत्यु के बाद याची को पारिवारिक पेंशन दी गई, लेकिन ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया. इसके लिए याचिका दाखिल की गई है. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने तीन माह में आठ प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान का आदेश दिया. इसके बावजूद भुगतान न होने पर अवमानना याचिका की गई तो जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने ग्रेच्युटी का भुगतान कर दिया. लेकिन ब्याज के लिए निदेशक बेसिक शिक्षा से अनुमति मांगी.

निदेशक ने अनुमति नहीं दी तो न्यायालय ने निदेशक बेसिक शिक्षा को एक मौका देते हुए ब्याज भुगतान का आदेश दिया. भुगतान न होने पर कोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा को तलब किया, लेकिन न तो ब्याज का भुगतान किया गया और न ही निदेशक बेसिक शिक्षा कोर्ट में उपस्थित हुए. इस पर कोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा कि विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी करने का निर्देश दिया है.

यह भी पढे़ं:High Court Bar Election:हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह और महासचिव नितिन शर्मा चुने गए

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले में निदेशक बेसिक शिक्षा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने अनीता की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता कमल कुमार केसरवानी को सुनकर दिया है. एडवोकेट कमल केसरवानी ने बताया कि याची के पति राजवीर सिंह प्राथमिक विद्यालय चौकडा ब्लाक नौहझील जिला मथुरा में सहायक अध्यापक थे. याची के पति की सेवाकाल में मृत्यु हो गई थी.

उनकी मृत्यु के बाद याची को पारिवारिक पेंशन दी गई, लेकिन ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं किया गया. इसके लिए याचिका दाखिल की गई है. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने तीन माह में आठ प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान का आदेश दिया. इसके बावजूद भुगतान न होने पर अवमानना याचिका की गई तो जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने ग्रेच्युटी का भुगतान कर दिया. लेकिन ब्याज के लिए निदेशक बेसिक शिक्षा से अनुमति मांगी.

निदेशक ने अनुमति नहीं दी तो न्यायालय ने निदेशक बेसिक शिक्षा को एक मौका देते हुए ब्याज भुगतान का आदेश दिया. भुगतान न होने पर कोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा को तलब किया, लेकिन न तो ब्याज का भुगतान किया गया और न ही निदेशक बेसिक शिक्षा कोर्ट में उपस्थित हुए. इस पर कोर्ट ने निदेशक बेसिक शिक्षा कि विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी करने का निर्देश दिया है.

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