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ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद विवाद की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी

काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर-मस्जिद विवाद की पोषणीयता की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में की जा रही है. अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Feb 10, 2021, 5:01 PM IST

प्रयागराज : काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर-मस्जिद सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई जारी है. अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं.

दलील जमीन पर वैधानिक कब्जा हिन्दुओं का

मंदिर की तरफ से दलील दी गई कि ज्ञानवापी स्थित विश्वेश्वर नाथ मंदिर तोड़ कर मस्जिद का रूप दिया गया है. अभी भी तहखाने सहित चारों तरफ की जमीन पर वैधानिक कब्जा हिन्दुओं का है. मस्जिद के पीछे श्रृंगार गौरी की पूजा होती है. कथा भी आयोजित होती है. नंदी भी मस्जिद की तरफ मुख करके विराजमान हैं. तहखाने के गेट पर हिन्दुओं और प्रशासन का ताला लगा है. दोनों की तरफ से खोला जाता है. मस्जिद के पीछे मंदिर का ढांचा साफ दिखाई देता है.

मस्जिद-मंदिर की स्थिति में बदलाव नहीं

याचियों का कहना है कि कानून के तहत 1947 की मस्जिद-मंदिर की स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता. स्थिति बदलने की मांग में दाखिल मुकदमा पोषणीय नहीं है. अपर सत्र न्यायाधीश वाराणसी मुकद्दमें की सुनवाई का आदेश देना गलत है. जबकि मंदिर की तरफ से कहा गया कि विवाद आजादी के पहले से चल रहा है. इसलिए बाद में पारित कानून से विधिक अधिकार नहीं छीने जा सकते.

प्रयागराज : काशी विश्वेश्वर नाथ मंदिर-मस्जिद सिविल वाद की पोषणीयता को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई जारी है. अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं.

दलील जमीन पर वैधानिक कब्जा हिन्दुओं का

मंदिर की तरफ से दलील दी गई कि ज्ञानवापी स्थित विश्वेश्वर नाथ मंदिर तोड़ कर मस्जिद का रूप दिया गया है. अभी भी तहखाने सहित चारों तरफ की जमीन पर वैधानिक कब्जा हिन्दुओं का है. मस्जिद के पीछे श्रृंगार गौरी की पूजा होती है. कथा भी आयोजित होती है. नंदी भी मस्जिद की तरफ मुख करके विराजमान हैं. तहखाने के गेट पर हिन्दुओं और प्रशासन का ताला लगा है. दोनों की तरफ से खोला जाता है. मस्जिद के पीछे मंदिर का ढांचा साफ दिखाई देता है.

मस्जिद-मंदिर की स्थिति में बदलाव नहीं

याचियों का कहना है कि कानून के तहत 1947 की मस्जिद-मंदिर की स्थिति में बदलाव नहीं किया जा सकता. स्थिति बदलने की मांग में दाखिल मुकदमा पोषणीय नहीं है. अपर सत्र न्यायाधीश वाराणसी मुकद्दमें की सुनवाई का आदेश देना गलत है. जबकि मंदिर की तरफ से कहा गया कि विवाद आजादी के पहले से चल रहा है. इसलिए बाद में पारित कानून से विधिक अधिकार नहीं छीने जा सकते.

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