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प्रयागराज: व्हील चेयर पर बैठकर क्रेट को क्रैक करेंगी नेहा

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत, ये कहावत स्पाइनल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी बीमारी से पीड़ित नेहा पर बिल्कुल सही साबित होती है. नेहा 20 मई को व्हील चेयर पर बैठकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट) में शामिल होने जा रही हैं.

क्रेट को क्रैक करेंगी नेहा.
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Published : May 19, 2019, 8:45 PM IST

प्रयागराज: कहते हैं कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती, अगर हिम्मत और जज्बा हो तो कोई भी दिक्कतें मायने नहीं रखती और ये कर दिखाया है स्पाइनल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी बीमारी को मात देने वाली नेहा ने. नेहा 20 मई को व्हील चेयर पर बैठकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट) में शामिल होगी. उसकी इच्छा पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा के दौरान परिवार के किसी सदस्य के साथ रहने की अनुमति भी दे दी है.

क्रेट को क्रैक करेंगी नेहा.

शारीरिक दिक्कत से पीड़ित नेहा की खासियत

  • जो बैठ जाये हार कर,कह दो उन्हें ललकार कर, मेहनत करो मेहनत करो. ये कविता लिखने वाली नेहा कई बड़ी सफलताओं के बाद अब क्रेट की परीक्षा देने जा रही है.
  • नेहा स्पाइनल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी की बीमारी से पीडित हैं लेकिन उन्होंने यह कर दिखाया है कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती. सीबीएससी बोर्ड से नेहा ने 12 में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा रैंक हासिल किया था.
  • नेहा की बीमारी का आलम यह है कि अगर वह बैठे बैठे गिरने लगे तो खुद नही संभल पाती. नेहा के पिता इनको उठाने- बैठाने से लेकर स्कूल भी व्हील चेयर पर पहुंचाते हैं.
  • इनके पिता ने अपनी बेटी की देखभाल के लिए सेवानिवृत्त होने के पहले ही नौकरी छोड़ दी.

'मेरी बेटी पूरे दिन पढ़ाई में ध्यान देती है, और इस बीमारी से पीड़ित होने के बाद सीबीएससी बोर्ड से नेहा ने 12 में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा रैंक हासिल किया था. 2006 में नेहा ने इनोवेटिव साइंस कैटगरी में आलू से बिजली पैदा करने वाला मॉडल बनाया था. उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने इनको नेशनल बालश्री अवार्ड से नवाजा था. नेहा 8 बार कलाम से मिल चुकी है और ये आईएएस बनना चाहती हैं'.

-क्षमा मेहरोत्रा, नेहा की मां

प्रयागराज: कहते हैं कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती, अगर हिम्मत और जज्बा हो तो कोई भी दिक्कतें मायने नहीं रखती और ये कर दिखाया है स्पाइनल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी बीमारी को मात देने वाली नेहा ने. नेहा 20 मई को व्हील चेयर पर बैठकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट) में शामिल होगी. उसकी इच्छा पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा के दौरान परिवार के किसी सदस्य के साथ रहने की अनुमति भी दे दी है.

क्रेट को क्रैक करेंगी नेहा.

शारीरिक दिक्कत से पीड़ित नेहा की खासियत

  • जो बैठ जाये हार कर,कह दो उन्हें ललकार कर, मेहनत करो मेहनत करो. ये कविता लिखने वाली नेहा कई बड़ी सफलताओं के बाद अब क्रेट की परीक्षा देने जा रही है.
  • नेहा स्पाइनल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी की बीमारी से पीडित हैं लेकिन उन्होंने यह कर दिखाया है कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती. सीबीएससी बोर्ड से नेहा ने 12 में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा रैंक हासिल किया था.
  • नेहा की बीमारी का आलम यह है कि अगर वह बैठे बैठे गिरने लगे तो खुद नही संभल पाती. नेहा के पिता इनको उठाने- बैठाने से लेकर स्कूल भी व्हील चेयर पर पहुंचाते हैं.
  • इनके पिता ने अपनी बेटी की देखभाल के लिए सेवानिवृत्त होने के पहले ही नौकरी छोड़ दी.

'मेरी बेटी पूरे दिन पढ़ाई में ध्यान देती है, और इस बीमारी से पीड़ित होने के बाद सीबीएससी बोर्ड से नेहा ने 12 में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा रैंक हासिल किया था. 2006 में नेहा ने इनोवेटिव साइंस कैटगरी में आलू से बिजली पैदा करने वाला मॉडल बनाया था. उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने इनको नेशनल बालश्री अवार्ड से नवाजा था. नेहा 8 बार कलाम से मिल चुकी है और ये आईएएस बनना चाहती हैं'.

-क्षमा मेहरोत्रा, नेहा की मां

Intro:7007861412 प्रयागराज

कहते है कि प्रतिभा किसी चीज के लिए मोहताज नही होती ये कर दिखाया है स्पाइनल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी बीमारी को मात देने वाली नेहा । वो 20 मई को व्हील चेयर पर बैठकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की से आयोजित सँयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट) में शामिल होगी । उसकी इच्छा पर विश्वविद्यलय प्रशासन परीक्षा के दौरान परिवार के किसी सदस्य के साथ रहने की अनुमति भी दे दी है।


Body:जो बैठ जाये हार कर,कह दो उन्हें ललकार कर , मेहनत करो मेहनत करो । हा ये कविता लिखने वाली नेहा कई बार बड़ी सफलता के बाद अब क्रेट की परीक्षा देने जा रही है।टैगोर पब्लिक स्कूल से 10 और 12 कि पढ़ाई पूरी करने वाली नेहा मेहरोत्रा शहर के अतरसुइया स्थित गुजराती मोहल्ला की रहने वाली है। सी बी एस सी बोर्ड से नेहा ने 12 में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा रैंक हाशिल किया था। इस्पाइनल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी से बड़ी हिम्मत से लड़ने वाली नेहा ये कर दिखया है कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नही होती ।नेहा कहती है कि वह शरीर से विकलांग है मन से नही। नेहा की स्थिति ये है कि बैठे बैठे गिरने लगे तो खुद नही संभल पाती।नेहा के पिता नेहा को उठाने बैठाने से लेकर स्कूल भी व्हील चेयर पर पहुचाते है। नेहा के पिता ने नेहा की देखभाल के लिए नौकरी से सेवानिवृत्त होने के पहले ही नैकरी छोड़ दी। 2006 में इनोवेटिव साइंस कैटगरी में आलू से बिजली पैदा करने वाला मॉडल बनाया था उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने नेशनल बालश्री अवार्ड से नवाजा था।नेहा 8 बार कलाम से मिल चुकी है।नेहा आई ए एस बनाना चाहती है ।नेहा के पढ़ाई । नेहा की माँ झमा मेहरोत्रा का तो पूरे दिन अपने बेटी के पढ़ाई में ध्यान देती है। नेहा को गाने और पेटिंग का शौक है । समाजशास्त्र से एम ए की पढ़ाई पूरी कर चुकी यह छात्रा अब सोध करना चाहती है जिसके लिए उसे विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसकी इस स्थिति को देखते हुए साथ मे एक व्यक्ति को बैठने की अनुमति दे दी है।


Conclusion:फिलहाल नेहा के इस हौसले ने ये दिखा दिया है कि अगर मन मे कुछ करने की लगन हो तो ये सब दिक्कते मायने नही रखती और नेहा का ये हौसला उन लोगो के लिए एक उदाहरण है जो कि किसी भी तरह की शारीरिक दिक्कत की वजह से मायूश हो जाते है।
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