प्रयागराज: कहते हैं कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती, अगर हिम्मत और जज्बा हो तो कोई भी दिक्कतें मायने नहीं रखती और ये कर दिखाया है स्पाइनल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी बीमारी को मात देने वाली नेहा ने. नेहा 20 मई को व्हील चेयर पर बैठकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट) में शामिल होगी. उसकी इच्छा पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा के दौरान परिवार के किसी सदस्य के साथ रहने की अनुमति भी दे दी है.
शारीरिक दिक्कत से पीड़ित नेहा की खासियत
- जो बैठ जाये हार कर,कह दो उन्हें ललकार कर, मेहनत करो मेहनत करो. ये कविता लिखने वाली नेहा कई बड़ी सफलताओं के बाद अब क्रेट की परीक्षा देने जा रही है.
- नेहा स्पाइनल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी की बीमारी से पीडित हैं लेकिन उन्होंने यह कर दिखाया है कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती. सीबीएससी बोर्ड से नेहा ने 12 में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा रैंक हासिल किया था.
- नेहा की बीमारी का आलम यह है कि अगर वह बैठे बैठे गिरने लगे तो खुद नही संभल पाती. नेहा के पिता इनको उठाने- बैठाने से लेकर स्कूल भी व्हील चेयर पर पहुंचाते हैं.
- इनके पिता ने अपनी बेटी की देखभाल के लिए सेवानिवृत्त होने के पहले ही नौकरी छोड़ दी.
'मेरी बेटी पूरे दिन पढ़ाई में ध्यान देती है, और इस बीमारी से पीड़ित होने के बाद सीबीएससी बोर्ड से नेहा ने 12 में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा रैंक हासिल किया था. 2006 में नेहा ने इनोवेटिव साइंस कैटगरी में आलू से बिजली पैदा करने वाला मॉडल बनाया था. उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने इनको नेशनल बालश्री अवार्ड से नवाजा था. नेहा 8 बार कलाम से मिल चुकी है और ये आईएएस बनना चाहती हैं'.
-क्षमा मेहरोत्रा, नेहा की मां