प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायक निधि के दुरुपयोग के मामले में आरोपी मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष और तीन नौकरशाह की कमेटी से विधायक निधि के दुरूपयोग की ऑडिट कराई जाय.
कोर्ट ने की टिप्पणी
हिंदी भाषी राज्यों में अंसारी की राबिन हुड की ख्याति के चलते पहचान बताने की जरूरत नहीं है. 1986 से अपराध से जुड़े अंसारी के खिलाफ 50 से अधिक आपराधिक केस दर्ज है, किन्तु आज तक किसी में भी उसे सजा नहीं मिल सकी. यह ह्वाइट कालर अपराधी न्याय व्यवस्था के लिए चुनौती बना हुआ है. जेल में बंद रहते विधायक चुना गया. विधायक निधि से 25 लाख रुपये स्कूल के लिए दिये, जिसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ, हजम कर गये. कर दाताओं के पैसे का दुरुपयोग किया गया. ऐसे में वह जमानत पर रिहा होने का हकदार नहीं हैं.
यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी (Justice Rahul Chaturvedi) ने मुख्तार अंसारी की जमानत अर्जी पर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अन्य आरोपी को मिली जमानत की पैरिटी याची के आपराधिक इतिहास को देखते हुए नहीं दी जा सकती. अर्जी पर अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने बहस की थी. कोर्ट ने 20 मई को फैसला सुरक्षित कर लिया था.
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गौरतलब है कि, मऊ जिले के सराय लखंसी थाने में मुख्तार अंसारी और चार अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर में विधायक निधि के दुरुपयोग का आरोप है. स्कूल निर्माण कार्य नहीं किया गया और पैसे की बंदरबांट कर ली गई. याची का कहना था कि विधायक निधि का आवंटन करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि फंड उन्हीं द्वारा जारी किया जाता है. विधायक होने के नाते उसे फंसाया गया है. कोर्ट ने याची की छवि और अपराधों में संलिप्तता और 2005 से जेल में बंद फिर भी किसी केस में सजा न हो पाने की जुगत को देखते हुए जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है और जमानत अर्जी खारिज कर दी है.
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