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प्रयागराज: 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में जोड़ने की गुहार - प्रयागराज समाचार

यूपी के प्रयागराज में 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में जोड़ने के लिए कश्यप, निषाद, बिंद, माझी, प्रजापति, राजभर महासंघ ने गुहार लगाई. इस संबंध में महासंघ ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा.

पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में जोड़ने की लगाई गुहार
पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में जोड़ने की लगाई गुहार
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Published : Sep 15, 2020, 10:48 AM IST

प्रयागराज: सोमवार को कश्यप, निषाद, बिंद, माझी, प्रजापति, राजभर महासंघ ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. इनकी मांग है कि 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में जोड़ा जाए. अनुसूचित जाति में ना जुड़ने के कारण इन जातियों के लोग भुखमरी के कगार पर चले गए हैं, क्योंकि इनको नौकरियां मिलने में काफी कठिनाई हो रही है. देशभर में रोजगार की कमी होने के कारण ये जातियां देश के विभिन्न राज्यों में निवास कर रही हैं.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में 17 पिछड़ी जातियां हैं, जिसमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, धीवर, प्रजापति, बिंद, धीमान, बाथम, तुरहा, गोड़िया, माझी, मछुआ भर और राजभर आदि 17 जातियों के लोग अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. इसके लिए उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ के द्वारा 17 जातियों के संबंध में सर्वे कराया गया था.

महासंघ का कहना है कि सर्वे में इन जातियों को एससी-एसटी में शामिल किए जाने का आदेश मिल गया था. इसके बाद भी अभी तक इन जातियों को अनुसूचित जाति में नहीं जोड़ा गया, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण इन जातियों के लोग ना कोई रोजगार कर पा रहे हैं और ना तो इनको सरकारी नौकरियों में मिलने वाली छूट ही मिल पा रही है.

पैसे की कमी होने के कारण बच्चे पढ़ भी नहीं पा रहे हैं. अगर सरकार इन जातियों को एससी -एसटी का दर्जा दे देती है तो आने वाली पीढ़ी भी पढ़ लिख कर समाज में नाम रोशन करेगी.
-नन्द लाल निषाद,पूर्व पार्षद

प्रयागराज: सोमवार को कश्यप, निषाद, बिंद, माझी, प्रजापति, राजभर महासंघ ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. इनकी मांग है कि 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में जोड़ा जाए. अनुसूचित जाति में ना जुड़ने के कारण इन जातियों के लोग भुखमरी के कगार पर चले गए हैं, क्योंकि इनको नौकरियां मिलने में काफी कठिनाई हो रही है. देशभर में रोजगार की कमी होने के कारण ये जातियां देश के विभिन्न राज्यों में निवास कर रही हैं.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में 17 पिछड़ी जातियां हैं, जिसमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, धीवर, प्रजापति, बिंद, धीमान, बाथम, तुरहा, गोड़िया, माझी, मछुआ भर और राजभर आदि 17 जातियों के लोग अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. इसके लिए उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ के द्वारा 17 जातियों के संबंध में सर्वे कराया गया था.

महासंघ का कहना है कि सर्वे में इन जातियों को एससी-एसटी में शामिल किए जाने का आदेश मिल गया था. इसके बाद भी अभी तक इन जातियों को अनुसूचित जाति में नहीं जोड़ा गया, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण इन जातियों के लोग ना कोई रोजगार कर पा रहे हैं और ना तो इनको सरकारी नौकरियों में मिलने वाली छूट ही मिल पा रही है.

पैसे की कमी होने के कारण बच्चे पढ़ भी नहीं पा रहे हैं. अगर सरकार इन जातियों को एससी -एसटी का दर्जा दे देती है तो आने वाली पीढ़ी भी पढ़ लिख कर समाज में नाम रोशन करेगी.
-नन्द लाल निषाद,पूर्व पार्षद

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