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ढाई साल की बच्ची की हत्या के आरोप में मेहंदी हसन की जमानत अर्जी खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र में ढाई साल की अबोध बच्ची का षड्यंत्र के तहत अपहरण कर जघन्य हत्या करने के आरोपी मेंहदी हसन की दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने मेहंदी हसन की दूसरी जमानत अर्जी पर दिया है. अर्जी पर अधिवक्ता के डीएस चंदेल, शिकायत कर्ता के अधिवक्ता अभिषेक चौहान, एके ओझा व अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने बहस की.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jul 24, 2021, 5:25 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र में ढाई साल की अबोध बच्ची का षड्यंत्र के तहत अपहरण कर जघन्य हत्या करने के आरोपी मेंहदी हसन की दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि सह अभियुक्तों को जमानत देते समय हत्या की प्रकृति पर विचार नहीं किया गया.

बच्ची के शरीर पर कई चोटें होना, पैर की हड्डी टूटना, शरीर के अंग गायब होने की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा किया गया है. बहुत ही जघन्य अपराध किया गया है, ऐसे में जमानत पर रिहा करने का कोई औचित्य नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने मेहंदी हसन की दूसरी जमानत अर्जी पर दिया है. अर्जी पर अधिवक्ता के डीएस चंदेल, शिकायत कर्ता के अधिवक्ता अभिषेक चौहान, एके ओझा व अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने बहस की.

मालूम हो कि, याची के भाई ने मृतक बच्ची के पिता से लोन लिया था. वापस मांगने पर जाहिद, असलम, सुस्ता और मेहंदी हसन ने आपराधिक साजिश की. जिसके बाद 30 मई 2019 को बच्ची घर से लापता हो गई, और दो जून को उसकी लाश मिली. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या में क्रूरता का खुलासा हुआ. याची का कहना था कि सह अभियुक्त जाहिद वह अन्य की जमानत मंजूर कर ली गई है. इसलिए याची को भी जमानत पर रिहा किया जाय. कोर्ट ने अपराध की जघन्यता को देखते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र में ढाई साल की अबोध बच्ची का षड्यंत्र के तहत अपहरण कर जघन्य हत्या करने के आरोपी मेंहदी हसन की दूसरी जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि सह अभियुक्तों को जमानत देते समय हत्या की प्रकृति पर विचार नहीं किया गया.

बच्ची के शरीर पर कई चोटें होना, पैर की हड्डी टूटना, शरीर के अंग गायब होने की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा किया गया है. बहुत ही जघन्य अपराध किया गया है, ऐसे में जमानत पर रिहा करने का कोई औचित्य नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने मेहंदी हसन की दूसरी जमानत अर्जी पर दिया है. अर्जी पर अधिवक्ता के डीएस चंदेल, शिकायत कर्ता के अधिवक्ता अभिषेक चौहान, एके ओझा व अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने बहस की.

मालूम हो कि, याची के भाई ने मृतक बच्ची के पिता से लोन लिया था. वापस मांगने पर जाहिद, असलम, सुस्ता और मेहंदी हसन ने आपराधिक साजिश की. जिसके बाद 30 मई 2019 को बच्ची घर से लापता हो गई, और दो जून को उसकी लाश मिली. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या में क्रूरता का खुलासा हुआ. याची का कहना था कि सह अभियुक्त जाहिद वह अन्य की जमानत मंजूर कर ली गई है. इसलिए याची को भी जमानत पर रिहा किया जाय. कोर्ट ने अपराध की जघन्यता को देखते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया है.

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