प्रयागराज : नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) साल में दो बार जेईई मेन परीक्षा आयोजित करती है. 7 फरवरी को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जेईई मेंस सेशन 1 का रिजल्ट घोषित किया था. इस एग्जाम में देश भर में इंजीनियरिंग में दाखिला लेने वाले छात्र प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे. इसके नतीजे चौंकाने वाले रहे क्योंकि मेडिकल की तैयारी करने वाले कई छात्रों ने भी हैं जेईई मेन्स एग्जाम में भी टॉपर्स के बराबर परसेंटाइल हासिल किया. प्रयागराज में चलने वाली प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान में मेडिकल की तैयारी कर रहे 10 से अधिक छात्रों ने 90 से 99 से अधिक परसेंटाइल हासिल किया. माना जाता है कि मेडिकल की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स की पकड़ गणित में कम होती है. एक्सपर्ट टीचर्स का कहना है कि मेडिकल के ऐसे छात्र जिनकी फिजिक्स और केमेस्ट्री में अच्छी पकड़ है, वे इन्हीं दो सब्जेक्ट्स के सहारे इंजीनियरिंग की इस परीक्षा में भी अच्छा परसेंटाइल हासिल कर लेते हैं.
आकाश इंस्टीट्यूट के प्रयागराज ब्रांच के सहायक मैनेजर बी एल प्रसाद ने बताया कि मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्र अपनी तैयारी को चेक करने के लिए जेईई की प्रवेश परीक्षा में शामिल होते हैं. देश भर में जेईई एग्जाम में शामिल होने वाले मेडिकल की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स की तादाद काफी है. बी एल प्रसाद और केमिका पॉइंट जैसी नामी कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों का कहना है कि NTA की ओर से आयोजित इस परीक्षा में किसी के शामिल होने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है. इस कारण मेडिकल में एडमिशन की ख्वाहिश रखने वाले स्टूडेंट फिजिक्स और केमेस्ट्री में अपनी तैयारी की टेस्टिंग करने के उद्देश्य से जेईई प्रवेश परीक्षा में भी शामिल हो जाते हैं. इंजीनियरिंग की राष्ट्रीय स्तर की इस प्रवेश परीक्षा में फिजिक्स और केमेस्ट्री के बलबूते अच्छे मार्क्स स्कोर भी कर लेते हैं.
इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए इंटर में मैथ्स अनिवार्य : एक्सपर्ट्स शिक्षक के एन सिंह और प्रिया का कहना है कि मेडिकल की तैयारी करने वाले जिन छात्रों ने बेहतर परसेंटाइल के साथ जेईई मेन्स क्रैक कर लिया है, उनके एडमिशन में पेंच है. इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए इंटर या (+2) में गणित में पास होना अनिवार्य है. जिन छात्रों ने इंटर में मैथ्स के साथ 12वीं की परीक्षा पास की होगी, उन्हें ही दाखिले का मौका मिलेगा. उन्होंने कहा कि कुछ छात्र होते हैं जो अपनी पढ़ाई का आंकलन करने के लिए ही NTA की ओर से आयोजित जेईई प्रवेश परीक्षा में शामिल हो जाते हैं. इस परीक्षा में मिले परसेंटाइल के आधार पर वह मेडिकल की पढ़ाई की तैयारी करते हैं.
परसेंटेज और परसेंटाइल में अंतर : इन शिक्षकों ने परसेंटेज और परसेंटाइल में अंतर को भी समझाया है. उन्होंने बताया कि कुल 500 अंकों वाली किसी परीक्षा में 500 अंक पाने वाले अभ्यर्थी का शत प्रतिशत अंक बनेगा. इस 500 अंक की परीक्षा में जिस छात्र को सर्वोच्च अंक मिलता है, उसी से परसेंटाइल तय होता है. उदाहरण के लिए इस 500 की परीक्षा में टॉपर छात्र ने 430 अंक हासिल किए तो 430 अंक हासिल करने वाला को शत प्रतिशत परसेंटाइल हासिल करने वाला माना जाएगा. इसी 430 अंक के आधार पर अन्य सभी परीक्षार्थियों का परसेंटाइल तय होगा. यही वजह है कि इंजीनियरिंग की इस परीक्षा में गणित विषय की तैयारी न करने के बावजूद सिर्फ फिजिक्स और केमिस्ट्री में शत प्रतिशत अंक हासिल करने वाले छात्र बेहतर परसेंटाइल स्कोर कर लेते हैं