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प्रयागराज में महापौर की सीट आरक्षित, पार्टियों के लिए बदले समीकरण - Mayor seat reserved for OBC

प्रयागराज में मेयर की सीट इस बार ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित हो गई है. इससे महापौर चुनाव के समीकरण बदल गए है. सीट रिर्जव होने के बाद भाजपा की मुश्किले ज्यादा बढ़ गई है. लेकिन बीजेपी नेता अपनी जाती दावा कर रहे हैं.

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प्रयागराज में महापौर की सीट आरक्षित
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Published : Dec 6, 2022, 10:06 PM IST

प्रयागराज: संगम नगरी में मेयर की सीट इस बार ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित(Seat reserved for OBC in Prayagraj) हो चुकी है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब प्रयागराज में महापौर की सीट जातीय आधार पर किसी वर्ग के लिए आरक्षित(Mayor seat reserved in Prayagraj) हुई है.सीट रिजर्व होने के बाद सभी दलों में टिकट के दावेदारों की संख्या घट गई है. जिससे राजनीतिक दलों को उम्मीदवार चुनने में थोड़ी आसानी होगी. जबकि आरक्षित वर्ग से बेहतरीन उम्मीदवार छांटकर सियासी समीकरण साधते हुए. उसे जीत दिलाने की चुनौती भी सभी दलों के लिए बढ़ गई है. राजनीतिक दल अब नए सिरे से अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गई हैं.

प्रयागराज में महापौर की सीट आरक्षित

सीट रिजर्व होने से बढ़ी भाजपा की मुश्किल: प्रयागराज में महापौर सीट आरक्षित होने से भाजपा की मुश्किलें थोड़ी जरूर बढ़ गई है. लेकिन, इसके बावजूद हर पार्टी अब भी पूरे दमखम व मजबूती के साथ चुनाव लड़ने का दावा कर रही है. बीजेपी नेता शैलेश पांडेय का दावा है कि उनकी पार्टी का उम्मीदवार चाहे जो भी हो वो मुद्दों और अपनी सरकारों की उपलब्धियों के दम पर चुनाव लड़ेगा और जीतेगा. वहीं, सपा नेता भी इस बार प्रयागराज में इतिहास रचने का दावा कर रहे हैं. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नेता संदीप यादव का दावा है कि प्रयागराज को उसके नाम व पहचान के मुताबिक अपेक्षित विकास नहीं मिल सका है, जिसको लेकर शहर की जनता में नाराजगी भी है. यही वजह है कि लोग इस बार यहां बदलाव की तैयारी में है और समाजवादी पार्टी को ही वोट देने वाले हैं.

बीजेपी और सपा में सीधी टक्करः इस चुनाव में मैदान में सपा और भाजपा के साथ ही कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ेगी. लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी और समाजवादी पार्टी में ही सीधा मुकाबला होना है. इस चुनाव में बाहुबली अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और एयर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर भी चुनाव मैदान में उतर सकती है. महापौर चुनाव में 100 वार्डों में लगभग 14 लाख से अधिक मतदाता हैं, जो मतदान करके महापौर चुनेंगे. भाजपा नेताओं का कहना है कि दो बार अभिलाष गुप्ता नन्दी के महापौर बनने और उनके द्वारा किये गए कार्यों का लाभ भाजपा उम्मीदवार को ही मिलेगा. वहीं, सपा नेताओं का दावा है कि भाजपा की मेयर की नाकामियों का खामियाजा बीजेपी उम्मीदवार को ही भुगतना पड़ेगा और सपा इस बार मेयर का चुनाव जीतेगी.



महापौर की सीट पहली बार हुई रिजर्व: चौहत्तरवें संशोधन विधेयक के बाद प्रयागराज की जनता ने अब तक पांच मेयर चुने हैं. हालांकि पांचों बार अलग अलग पार्टियों को ही कामयाबी मिली है. कोई भी पार्टी अब तक दो बार चुनाव नहीं जीत पाई है. 1995 में रीता बहुगुणा जोशी यहां निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सबसे पहला चुनाव जीती थीं. साल 2000 में समाजवादी पार्टी के डॉक्टर के पी श्रीवास्तव को जीत मिली थी. जबकि 2006 में कांग्रेस के चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह मेयर चुने गए थे. साल 2012 में मौजूदा मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीती थी. जबकि 2017 में उन्होंने पहली बार बीजेपी का कमल खिलाया था. नए परिसीमन में 20 वार्ड बढ़ने के बाद समाजवादी पार्टी पिछली बार के मुकाबले कुछ मजबूत हुई है. प्रयागराज में मेयर की सीट इस बार ओबीसी के लिए पहली बार रिजर्व हुई है. लेकिन, इससे पहले यहां जो भी चुनाव हुए हैं. उसमें सामान्य जाति के उम्मीदवारों को ही कामयाबी मिली थी.

यह भी पढ़ें: लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद बोले, प्रयागराज की सभी सीटों पर लहराएं परचम

प्रयागराज: संगम नगरी में मेयर की सीट इस बार ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित(Seat reserved for OBC in Prayagraj) हो चुकी है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब प्रयागराज में महापौर की सीट जातीय आधार पर किसी वर्ग के लिए आरक्षित(Mayor seat reserved in Prayagraj) हुई है.सीट रिजर्व होने के बाद सभी दलों में टिकट के दावेदारों की संख्या घट गई है. जिससे राजनीतिक दलों को उम्मीदवार चुनने में थोड़ी आसानी होगी. जबकि आरक्षित वर्ग से बेहतरीन उम्मीदवार छांटकर सियासी समीकरण साधते हुए. उसे जीत दिलाने की चुनौती भी सभी दलों के लिए बढ़ गई है. राजनीतिक दल अब नए सिरे से अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गई हैं.

प्रयागराज में महापौर की सीट आरक्षित

सीट रिजर्व होने से बढ़ी भाजपा की मुश्किल: प्रयागराज में महापौर सीट आरक्षित होने से भाजपा की मुश्किलें थोड़ी जरूर बढ़ गई है. लेकिन, इसके बावजूद हर पार्टी अब भी पूरे दमखम व मजबूती के साथ चुनाव लड़ने का दावा कर रही है. बीजेपी नेता शैलेश पांडेय का दावा है कि उनकी पार्टी का उम्मीदवार चाहे जो भी हो वो मुद्दों और अपनी सरकारों की उपलब्धियों के दम पर चुनाव लड़ेगा और जीतेगा. वहीं, सपा नेता भी इस बार प्रयागराज में इतिहास रचने का दावा कर रहे हैं. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नेता संदीप यादव का दावा है कि प्रयागराज को उसके नाम व पहचान के मुताबिक अपेक्षित विकास नहीं मिल सका है, जिसको लेकर शहर की जनता में नाराजगी भी है. यही वजह है कि लोग इस बार यहां बदलाव की तैयारी में है और समाजवादी पार्टी को ही वोट देने वाले हैं.

बीजेपी और सपा में सीधी टक्करः इस चुनाव में मैदान में सपा और भाजपा के साथ ही कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी भी चुनाव लड़ेगी. लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी और समाजवादी पार्टी में ही सीधा मुकाबला होना है. इस चुनाव में बाहुबली अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और एयर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर भी चुनाव मैदान में उतर सकती है. महापौर चुनाव में 100 वार्डों में लगभग 14 लाख से अधिक मतदाता हैं, जो मतदान करके महापौर चुनेंगे. भाजपा नेताओं का कहना है कि दो बार अभिलाष गुप्ता नन्दी के महापौर बनने और उनके द्वारा किये गए कार्यों का लाभ भाजपा उम्मीदवार को ही मिलेगा. वहीं, सपा नेताओं का दावा है कि भाजपा की मेयर की नाकामियों का खामियाजा बीजेपी उम्मीदवार को ही भुगतना पड़ेगा और सपा इस बार मेयर का चुनाव जीतेगी.



महापौर की सीट पहली बार हुई रिजर्व: चौहत्तरवें संशोधन विधेयक के बाद प्रयागराज की जनता ने अब तक पांच मेयर चुने हैं. हालांकि पांचों बार अलग अलग पार्टियों को ही कामयाबी मिली है. कोई भी पार्टी अब तक दो बार चुनाव नहीं जीत पाई है. 1995 में रीता बहुगुणा जोशी यहां निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सबसे पहला चुनाव जीती थीं. साल 2000 में समाजवादी पार्टी के डॉक्टर के पी श्रीवास्तव को जीत मिली थी. जबकि 2006 में कांग्रेस के चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह मेयर चुने गए थे. साल 2012 में मौजूदा मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीती थी. जबकि 2017 में उन्होंने पहली बार बीजेपी का कमल खिलाया था. नए परिसीमन में 20 वार्ड बढ़ने के बाद समाजवादी पार्टी पिछली बार के मुकाबले कुछ मजबूत हुई है. प्रयागराज में मेयर की सीट इस बार ओबीसी के लिए पहली बार रिजर्व हुई है. लेकिन, इससे पहले यहां जो भी चुनाव हुए हैं. उसमें सामान्य जाति के उम्मीदवारों को ही कामयाबी मिली थी.

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