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किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ने उड़ाई पतंग

गुरुवार को मकर संक्रांति का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. धार्मिक नगरी प्रयागराज के संगम तट पर किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर कौशल्या नंदगिरी और उनके भक्तों ने पतंग उड़ाई.

किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ने उड़ाई पतंग
किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ने उड़ाई पतंग
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Published : Jan 14, 2021, 6:25 PM IST

प्रयागराज: मकर संक्रांति पर बच्‍चे हो या बड़े हर किसी पर पतंग उड़ाने का जुनून सवार हो जाता है. सुबह से ही आसमान में हर तरफ रंग-बिरंगी पतंगों से आकाश भर जाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली में खूब पतंग उड़ाई जाती है. धार्मिक नगरी प्रयागराज के संगम तट पर किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर कौशल्या नंदगिरी और उनके भक्तों ने पतंग उड़ाई.

किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ने उड़ाई पतंग

शुभता और खुशी का प्रतीक होती है पतंग

ज्योतिषाचार्य पंडित बिजेंद्र मिश्र ने बताया कि मकर सक्रांति के पर्व को बेहद पुण्य पर्व माना जाता है. कहा जाता है कि इस पर्व से ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. क्योंकि मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तर की ओर गमन करने लगता है. ऐसे में शुभता की शुरुआत का जश्न मनाने के लिए पतंग का सहारा लिया जाता है. वैसे भी पतंग को शुभता व खुशी का प्रतीक माना जाता है.

धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी

मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का रिवाज केवल धार्मिक महत्‍व ही नहीं रखता, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्‍व भी है. देखा जाए तो पतंग उड़ाने से कई व्‍यायाम हो जाते हैं. चूंकि यह पर्व सर्दियों में पड़ता है तो इससे शरीर को भी ऊर्जा मिलती है.

प्रयागराज: मकर संक्रांति पर बच्‍चे हो या बड़े हर किसी पर पतंग उड़ाने का जुनून सवार हो जाता है. सुबह से ही आसमान में हर तरफ रंग-बिरंगी पतंगों से आकाश भर जाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली में खूब पतंग उड़ाई जाती है. धार्मिक नगरी प्रयागराज के संगम तट पर किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर कौशल्या नंदगिरी और उनके भक्तों ने पतंग उड़ाई.

किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ने उड़ाई पतंग

शुभता और खुशी का प्रतीक होती है पतंग

ज्योतिषाचार्य पंडित बिजेंद्र मिश्र ने बताया कि मकर सक्रांति के पर्व को बेहद पुण्य पर्व माना जाता है. कहा जाता है कि इस पर्व से ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. क्योंकि मकर संक्रांति के दिन से ही सूर्य उत्तर की ओर गमन करने लगता है. ऐसे में शुभता की शुरुआत का जश्न मनाने के लिए पतंग का सहारा लिया जाता है. वैसे भी पतंग को शुभता व खुशी का प्रतीक माना जाता है.

धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी

मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का रिवाज केवल धार्मिक महत्‍व ही नहीं रखता, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्‍व भी है. देखा जाए तो पतंग उड़ाने से कई व्‍यायाम हो जाते हैं. चूंकि यह पर्व सर्दियों में पड़ता है तो इससे शरीर को भी ऊर्जा मिलती है.

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