प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस सही तरीके से विवेचना नहीं कर रही तो हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर निष्पक्ष विवेचना के समादेश की मांग के बजाय सक्षम मजिस्ट्रेट की अदालत में जाना चाहिए.
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के साकिरी बसु केस के हवाले से कहा कि न्यायिक मजिस्ट्रेट को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने या दर्ज एफआईआर की निष्पक्ष विवेचना कराने या सही विवेचना न होने पर विवेचना अधिकारी बदलने या दूसरी एजेंसी को जांच स्थानांतरित करने सहित केस की मानीटरिंग/निगरानी करने का अधिकार है. इसलिए मजिस्ट्रेट के समक्ष अर्जी दाखिल करनी चाहिए.
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कोर्ट ने संभल के गुन्नौर थाने में दर्ज अपहरण केस को लेकर दाखिल याचिका निस्तारित कर दी है. कहा कि याची कानून के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष अर्जी देकर उसे मिली शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है. यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने सत्य प्रकाश की याचिका पर दिया है.
याचिका में गुन्नौर थाने में 2021 में दर्ज अपहरण केस की निष्पक्ष विवेचना करने का समादेश जारी करने की मांग की गई थी. याची का कहना था कि पुलिस अभियुक्तों से मिली हुई है. सही तरीके से विवेचना नहीं कर रही है. अभी तक न किसी अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया और न ही दर्ज एफआईआर में चार्जशीट ही दाखिल की गई है.