प्रयागराजः संगम की रेती पर डेढ़ महीने से तक चलने वाला माघ मेला शनिवार को अपने समाप्ति की ओर है. माघ मेले में महाशिवरात्रि पर्व के अंतिम स्नान पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर माघ मेला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट रहा. मेला पुलिस अधीक्षक राजीव नारायण मिश्रा ने कहा कि तंबुओं का शहर प्रयागराज पूरी सुरक्षा व्यवस्था से लैस था. जिसकी पूरी तैयारी पहले ही कर ली गई थी.
धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में हर वर्ष माघ मेला का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. 6 जनवरी को आयोजित हुआ माघ मेला आज 44वें दिन 18 फरवरी को अपने समापन की ओर है. माघ मेले दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आते हैं. लेकिन इस बार का यह कुंभ मेला का रिहर्सल भी माना गया है. जहां इस बार के माघ मेले को मिनी कुंभ का दर्जा भी दिया गया है. माघ मेले के अंतिम स्नान महाशिवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए मेला प्रशासन ने पूरी तैयारी की थी. जहां सुबह भोर से ही श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर गंगा जल को शिवालयों में चढ़ाया. अंतिम स्नान पर्व पर भीड़ को देखते हुए मेला प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर रखी है. घाटों पर गहराई को लेकर विशेष जाल की व्यवस्था की गई.
मेला पुलिस अधीक्षक राजीव नारायण मिश्रा ने बताया कि इस बार लगभग 700 हेक्टेयर के साथ ही 6 सेक्टर में माघ मेला बसाया गया था. इसमें 14 स्नान घाट बनाए गए थे. सारे घाटों पर डीप वाटर बैरिकेडिंग की गई थी. इसके साथ ही रिवर लाइन भी बनाई गई थी. जिससे श्रद्धालुओं को कोई असुविधा ना हो सके. किसी तरह की कोई अप्रिय घटना से बचने के लिए कुशल तैराकों को हर घाटों पर तैनात किया गया था. साथ ही एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम के साथ-साथ रिवर एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गई थी. मेला पुलिस अधीक्षक ने बताया कि श्रद्धालुओं को देखने के लिए अस्थाई फ्लोटिंग चौकी की स्थापना भी की गई थी. इसके साथ ही 200 सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से पूरे मेले की निगरानी की जा रही थी. संगम घाट, अरेल घाट और झूंसी घाट पर ड्रोन कैमरों के माध्यम से निगरानी रखी जा रही थी. जिससे किसी तरह की असुविधा श्रद्धालुओं को न हो सके.
मेला पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आई ट्रिपल सी में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है. जिसमें 24 घंटे कर्मचारी नियुक्त थे. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस की विभिन्न इकाइयां जैसे नागरिक पुलिस, घुड़सवार पुलिस, यातायात पुलिस ,बम निरोधक दस्ता, पीएसी, एआरएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम और एटीएस के कमांडो के साथ पूरे मेले की सुरक्षा व्यवस्था को देखा जा रहा था. उन्होंने बताया कि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए भी पूरी तैयारी की गई थी. पूरे मेला क्षेत्र में 14 फायर स्टेशन बनाए गए थे. साथ ही मेला क्षेत्र में वॉच टावर बनाया गया था. जिससे मेला क्षेत्र में कहीं भी धुंवा उठता दिखता है तो उस पर तत्काल काबू पाया जा सके. इतना ही नहीं अगर मेले में भीड़ का दबाव बनता तो उसके लिए भी व्यवस्था मेला प्रशासन की तरफ से कर लिया गया था.
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