प्रयागराज: सावन माह में सभी शिवालयों में भगवान शिव के जयकारे से गूंज उठती है. यमुना किनारे स्थित मनकामेश्वर मंदिर का अपना एक इतिहास है. कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास के लिए निकले तो यमुना किनारे लगे वट वृक्ष के नीचे रात बिताई और सुबह शिवलिंग स्थापित कर पूजा पाठ किया. तभी से यहां मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना हुई है. सावन माह में भगवान शिव के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रहती है. लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में कोई भक्त सच्चे मन से जो भी मन्नत मांगता है, वह निश्चित रूप से पूरी होती है. इसलिए इस मंदिर को मानकेश्वर नाम से जाना जाने लगा.
मनकामेश्वर मंदिर में उमड़े शिवभक्त, सावन माह में दर्शन करने से पूरी होती है हर मनोकामना
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में विख्यात मनकामेश्वर मंदिर में मौजूद शिवलिंग के प्रति लोगों की कई मान्यताएं हैं. मानकेश्वर मंदिर के प्रभारी महंत ने बताया कि भगवान शंकर काम को भस्म करके साक्षात इस मंदिर में विराजमान हुए थे.
प्रयागराज: सावन माह में सभी शिवालयों में भगवान शिव के जयकारे से गूंज उठती है. यमुना किनारे स्थित मनकामेश्वर मंदिर का अपना एक इतिहास है. कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास के लिए निकले तो यमुना किनारे लगे वट वृक्ष के नीचे रात बिताई और सुबह शिवलिंग स्थापित कर पूजा पाठ किया. तभी से यहां मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना हुई है. सावन माह में भगवान शिव के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रहती है. लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में कोई भक्त सच्चे मन से जो भी मन्नत मांगता है, वह निश्चित रूप से पूरी होती है. इसलिए इस मंदिर को मानकेश्वर नाम से जाना जाने लगा.
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प्रयागराज: सावन माह में देश के सभी शिवालयों में सुबह होती ही भगवान शिव की जयकारे लगने लगती है. भगवा रंग में रंगे कावरिया रुद्राभिषेक करने के लिए लाइन लगाकर खड़े रहते हैं.
यमुना किनारे स्थित मनकामेश्वर मंदिर का अपना एक इतिहास है. कहा जाता है कि जब भगवान राम बनवास के निकले तो एक रात यमुना के किनारे लगे वट वृक्ष के नीचे रात गुजारी और सुबह होते ही भगवान शिव की शिवलिंग स्थापित कर पूजा पाठ किया. तभी से यहाँ मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना की गई.
लोगों की यह मान्यता है कि इस मंदिर में कोई भक्त सच्चे मन से जो भी मन्नत मांगता है वह निश्चित रूप से मनोकामना पूर्ण होती है. इसलिए इस मंदिर को मनकामेश्वर नाम से जाना जाने लगा. सावन माह में भगवान शिव के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से लेकर शाम तक जमा रहती है.
Body: देवताओं ने किया भगवान शिव का रुद्राभिषेक
मानकेश्वर मंदिर के प्रभारी महंत ब्रम्हचारी श्री धरानंद ने बताया कि सावन का पवित्र महीना इस लिए मनाया जाता है कि जब समुद्र मंथन हुया था और उससे निकलने वाले विष को भगवान शंकर ने प्रकृति को बचाने के लिए ग्रहण किया था. ऐसा करने से भगवान शिव का शरीर तपने लगा था. इस तप से बचाने के लिए भगवान शिव के ऊपर सभी देवताओं जलाभिषेक और रुद्राभिषेक पूरे माह किया गया था. इसलिए इस माह को सावन माह के रूप में मनाने जाता है. इसका उल्लेख पुराणों में किया गया है.
इस माह में भगवान शिव साच्छात धरती में विराजमान होते हैं, जो कोई भी सच्चे मन से भगवान शिव को जलाभिषेक कर मनोकामना मांगता है वह निश्चित रूप से पूरी होती है.
Conclusion:काम को भस्म करके भगवान शंकर हुए हैं स्थापित
मानकेश्वर मंदिर के प्रभारी महंत ने बताया कि भगवान शंकर ने काम को भस्म करके साच्छात इस मंदिर में विराजमान हुए थे. इसलिए इस मंदिर का नाम कामेश्वरनाथ पड़ा. सावन माह में।भगवान शिव सभी शिवालयों में विराजमान होते हैं. इस माह जो कोई भी भगवान शिव का सच्चे मन से अभिषेक करता है उसकी मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होती है. पुराणों में भी मानकेश्वर मंदिर का जिक्र किया गया है. यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं का मन की इच्छा पूरी होती है. इसलिए इस मंदिर को मानकेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है.
ऋण मुक्तेश्वर के दर्शन करने से सभी ऋणों से मिलती है मुक्ति
महंत ब्रम्हचारी श्री धरानंद ने बताया कि यमुना के किनारे बसे मानकेश्वर मंदिर के बगल में भगवान शिव का ऋण मुक्तेश्वर मंदिर का स्थापना किया गया है. कहा जाता है इस मंदिर में भगवान शिव को 51 बार अभिषेक करने से सभी ऋणों से मुक्ति मिलती है. ऐसा मान्यता है इस मंदिर का. सावन महीने में अपार जनसमुदाय भगवान शिव के दर्शन के लिए आया करती है.