प्रयागराज: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत शनिवार को प्रयागराज पहुंचे. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए भाजपा को खरी खोटी सुनाने के साथ ही बसपा प्रमुख मायावती को भी निशाने पर लिया. किसान नेता ने कहा कि मायावती भाजपा की तीसरी पार्टी हैं. मायावती पर सीधे हमला करते हुए कहा कि भाजपा की तीन पार्टियां हैं. एक तो भाजपा, दूसरी एआईएमआईएम और तीसरी मायावती हैं. जो भाजपा के लिए काम करती हैं. वहीं, उन्होंने अयोध्या में किए गए विकास को नकली विकास कहा. कहा कि भगवा रंग भाजपा का नहीं है, उनका तो काला रंग है. उन्हें काली टोपी लगानी चाहिए, जिसे वो लोग नहीं लगाते हैं. इसके साथ ही उप राष्ट्रपति के अपमान के मामले में उन्होंने कहा कि बीजेपी इसका राजनीतिक लाभ न ले, बल्कि मजाक उड़ाने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत आज प्रयागराज में आयोजित किसान प्रशिक्षण कार्यशाला में शामिल होने पहुंचे थे. जहां पर मीडिया से बात करते हुए किसान नेता ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला. उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उच्चस्थ संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति का जाति से बंधन नहीं होना चाहिए. न ही उनके मजाक को किसी जाति के मजाक से जोड़ा जाना चाहिए. इस मामले में केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिसने ये किया है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें.
'भगवान राम को राजनीति से दूर रखना चाहिए'
अयोध्या में रामलला के दर्शन कर लौटे किसान नेता ने कहा कि भगवान राम को राजनीति से दूर रखना चाहिए. वो सबके भगवान हैं. उनका नाम किसी एक दल के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए. इसी के साथ सिर पर भगवा पगड़ी पहनकर आने के सवाल पर किसान नेता ने उल्टा जवाब दिया. कहा कि भगवा किसी एक पार्टी का रंग नहीं है, यह पूरे सनातन धर्म का रंग है. उन्होंने कहा कि किसी रंग पर कोई दावा नहीं कर सकता है. भगवा रंग समाज का है, ऋषि मुनियों का है. यह रंग सिर्फ बीजेपी का नहीं है. इसी के साथ किसान नेता ने भाजपा पर हमलावर होते हुए कहा कि उनका संबंध आरएसएस से है और आरएसएस का रंग काली टोपी है. जिसे वो लोग नहीं लगाते हैं और भगवा रंग को पकड़े हुए हैं.
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि वह हिंदुत्व के साथ हैं और हिंदुत्व पर उनके लौटने की कोई बात नहीं है. एक दिन पहले अयोध्या में रामलला के दर्शन के बाद प्रयागराज पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि वह भगवान राम का दर्शन क्यों न करें. उनके पूर्वज तो अयोध्या से ही गए थे और वो भगवान राम के वंशज हैं. अयोध्या में किए जा रहे विकास कार्यों पर भी उन्होंने सरकार पर तंज कसा. उनका कहना है कि अयोध्या में नकली विकास हो रहा है. राम मंदिर में लग रहे पत्थरों पर सवाल उठाते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि इससे बेहतर रंग के पत्थर मायावती ने लखनऊ में लगवाए थे, उन्हीं से कुछ सीख लेते. साथ ही यह भी कहा कि वहां पर फाइवर की दीवारें क्यों बनवाई जा रही हैं. वहीं, बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक द्वारा सपा प्रमुख अखिलेश यादव को राम मंदिर के लोकार्पण कार्यक्रम में न बुलाए जाने के बयान पर भी राकेश टिकैत ने प्रतिक्रिया दी. उनका कहना है कि भाजपा नेता इसी तरह की बयानबाजी करते हैं, ताकि वोटों का ध्रुवीकरण हो सकें. जब तक ऐसे बयानों की वजह से उन्हें वोट मिलता रहेगा, वो ऐसे ही बयान देते रहेंगे.
2024 में बीजेपी के जीतने के सवाल पर भी किया तंज
2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय किसान यूनियन किसके साथ रहेगी के सवाल पर किसान नेता ने कहा कि किसानों के पास वोट कहां है. यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी इस बात से इनकार कर रही है कि किसानों ने उसे वोट नहीं दिया. लेकिन, जब हम किसानों से पूछते हैं तो किसानों ने कहा कि उन्होंने भाजपा को ही वोट दिया है. राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों ने हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी को वोट किया है. इसके साथ ही भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि 2024 में बीजेपी एक बार फिर से बीजेपी फर्जीवाड़ा करके जीत हासिल कर लेगी.
'बीजेपी शब्दों, रंगों और छुट्टियों की कर रही चोरी'
देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर सीएम योगी द्वारा छुट्टी घोषित करने और कार्यक्रम किए जाने पर भी राकेश टिकैत ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उनका कहना है कि चौधरी चरण सिंह केवल जाट नहीं थे, बल्कि किसानों के नेता थे. वह सिर्फ जाटों के ही नहीं, बल्कि सभी वर्गों के नेता थे. उनके जन्मदिन पर पहले से छुट्टी होती आई है. राकेश टिकैत का आरोप है कि भाजपा वाले छुट्टी से लेकर रंगों और शब्दों तक की चोरी कर रहे हैं. वहीं, भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष के चुनाव के बाद पहलवान साक्षी मलिक के संन्यास लेने और बजरंग पूनिया के अपने मेडल वापस किए जाने की पेशकश पर भी सरकार को ही घेरा. उनका कहना है कि पहलवानों का आंदोलन 6 महीने चला. लेकिन, उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे हताश और निराश होकर महिला और पुरुष पहलवानों ने यह कदम उठाया है.
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