प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर थाना क्षेत्र में हत्या के आरोपियों की अपील मंजूर करते हुए उन्हें बरी करने के आदेश जारी कर दिए. हत्या के आरोप में आजीवन कैद की सजा को भी रद्द कर दिया.
जेल में बंद दो आरोपियों करीम व शहजाद को तत्काल रिहा करने तथा अन्य आरोपी वाजिद जो जमानत पर हैं, उसे बंधपत्र से मुक्त कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति सी.के राय की खंडपीठ ने करीम वाजिद व शहजाद की सजा के खिलाफ अपील मंजूर करते हुए दिया है.
कोर्ट ने कहा कि पुलिस विवेचना में झोल है. जिन दो चश्मदीद गवाहों का बयान लिया गया, उनकी गवाही नहीं करायी गई. जिन चश्मदीदों की गवाही हुई, उनका घटना स्थल पर मौजूद होना संदिग्ध है. देशी तमंचे से फायर कर हत्या का आरोप और कथित घटना स्थल पर खून का न पाया जाना संदेह पैदा करता है.
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घटना स्थल पर रोशनी का श्रोत नहीं बताया गया. स्पष्ट है कि उस समय बिजली नहीं थी. एक गवाह ने कहा, लाश खेत में ट्यूबवेल के पास थी. पुलिस ने विवेचना ठीक से नहीं की. संदेह से परे अपराध साबित करने में पूरी तरह से विफल रही है.
दर्ज एफआईआर के अनुसार दीपक अपनी मां कौशल देवी के साथ भाई राहुल के घर पर था. 29 जुलाई 12 को सुबह 5 बजे आरोपी देशी पिस्टल व असलहे के साथ आए और राहुल पर फायरिंग कर दी. धमकाते हुए भाग गए. राहुल को अस्पताल में डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया.
गवाह ने पुलिस को बताया कि उसने करीम को पकड़ लिया था. वह छुड़ाकर भाग गया. उसकी गवाही न कराना अभियोजन की कहानी पर संदेह पैदा करता है. रिश्तेदारों की गवाही से नहीं लगता कि वे घटना स्थल पर मौजूद थे. कोर्ट ने सत्र न्यायालय द्वारा सुनाई गई सजा रद्द करते हुए आरोपियों को बरी कर दिया है.