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गलत आदेश देने के आदती हैं वाराणसी जिला जज: हाईकोर्ट - High Court NEWS

हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए वाराणसी के जिला जज को मूल पत्रावली के साथ 28 नवंबर को तलब किया है.

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गलत आदेश देने के आदती हैं वाराणसी जिला
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Published : Nov 25, 2022, 7:53 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालती कार्यवाही में लापरवाही के लिए वाराणसी के जिला जज को मूल पत्रावली के साथ 28 नवंबर को तलब किया है. साथ ही 12 अक्तूबर 2022 व एक नवंबर 2022 को मियाद बाधित पुनरीक्षण अर्जी पर उनके मनमाने आदेश पर रोक लगा दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने असीम कुमार दास की याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि काल बाधित पुनरीक्षण अर्जी विलंब में माफी के साथ दाखिल की गई. इसके बावजूद जिला जज वाराणसी ने मियाद अर्जी निस्तारित किए बगैर 12 अक्तूबर 22 को सम्मन जारी कर दिया. उसके बाद याची 13 अक्तूबर को अदालत में हाजिर हुआ और आपत्ति दाखिल की. उसे सम्मन तामील नहीं हुआ है. सम्मन तामील करने के कदम उठाने का आदेश दिया गया है. 14 अक्तूबर की तिथि तय थी लेकिन वकीलों की हड़ताल की कारण सुनवाई नहीं हो सकी. याचिका में कहा गया है कि जब तक मियाद अधिनियम की धारा पांच की अर्जी तय नहीं होती, तब तक सम्मन जारी नहीं किया जा सकता. जिला जज ने इस प्रावधान की उपेक्षा की है.

हाईकोर्ट ने कहा कि इससे पहले भी एक अन्य मामले में जिला जज वाराणसी ने देरी माफ किए बगैर पुनरीक्षण अर्जी स्वीकार कर ली थी. रिपोर्ट तलब हुई तो कहा कि ऐसा गलती से हो गया. हालांकि कोर्ट ने नरम रुख अपनाते हुए इसे प्रशासनिक कार्यवाही के लिए संदर्भित नहीं किया. साथ ही कहा कि इस मामले से स्पष्ट है कि जिला जज गलत आदेश देने के आदती हैं.

ये भी पढे़ंः बहू डिंपल ने फोन कर चाचा शिवपाल से ये कहा, फिर एक हो गया मुलायम कुनबा

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालती कार्यवाही में लापरवाही के लिए वाराणसी के जिला जज को मूल पत्रावली के साथ 28 नवंबर को तलब किया है. साथ ही 12 अक्तूबर 2022 व एक नवंबर 2022 को मियाद बाधित पुनरीक्षण अर्जी पर उनके मनमाने आदेश पर रोक लगा दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने असीम कुमार दास की याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि काल बाधित पुनरीक्षण अर्जी विलंब में माफी के साथ दाखिल की गई. इसके बावजूद जिला जज वाराणसी ने मियाद अर्जी निस्तारित किए बगैर 12 अक्तूबर 22 को सम्मन जारी कर दिया. उसके बाद याची 13 अक्तूबर को अदालत में हाजिर हुआ और आपत्ति दाखिल की. उसे सम्मन तामील नहीं हुआ है. सम्मन तामील करने के कदम उठाने का आदेश दिया गया है. 14 अक्तूबर की तिथि तय थी लेकिन वकीलों की हड़ताल की कारण सुनवाई नहीं हो सकी. याचिका में कहा गया है कि जब तक मियाद अधिनियम की धारा पांच की अर्जी तय नहीं होती, तब तक सम्मन जारी नहीं किया जा सकता. जिला जज ने इस प्रावधान की उपेक्षा की है.

हाईकोर्ट ने कहा कि इससे पहले भी एक अन्य मामले में जिला जज वाराणसी ने देरी माफ किए बगैर पुनरीक्षण अर्जी स्वीकार कर ली थी. रिपोर्ट तलब हुई तो कहा कि ऐसा गलती से हो गया. हालांकि कोर्ट ने नरम रुख अपनाते हुए इसे प्रशासनिक कार्यवाही के लिए संदर्भित नहीं किया. साथ ही कहा कि इस मामले से स्पष्ट है कि जिला जज गलत आदेश देने के आदती हैं.

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