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जानवरों की सेवा ही है ईश्वर की सेवा: खरगोश वाले बाबा

संगम नगरी माघ मेले का पावन पर्व चल रहा है. माघ मेले में हर एक चीज अद्भुत ही होती है, लेकिन इस बार माघ मेले में आने वाले संत-बाबा लोगों का खास ध्यान खींच रहे हैं. ऐसे ही एक बाबा है खरगोश बाबा. इन्होंने अपने आश्रम में सैकड़ों खरगोश पाले हुए हैं.

खरगोश वाले बाबा
खरगोश वाले बाबा
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Published : Feb 4, 2021, 7:10 PM IST

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की संगम नगरी में इन दिनों माघ मेला चल रहा है. मेले में आए साधु-संत लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. संतों के शिविरों में एक शिविर चित्रकुट से आए कपिलदेव महाराज का है. इनके आश्रम में शिष्यों से ज्यादा खरगोश रहते हैं. उनका कहना है कि इनकी सेवा ही असली कल्पवास है.

ये हैं खरगोश वाले बाबा
खरगोश के साथ खेलते हैं बाबा

वैष्णव संप्रदाय से आए निर्वाणी अखाड़े के कपिल देव महाराज इस समय माघ मेले में चर्चा का विषय बने हुए हैं. ये जीव से प्रेम करते हैं. उन्होंने अपने आश्रम में खरगोश पाल रखे हैं. आश्रम में चारों तरफ खरगोश ही खरगोश दिखते हैं. चित्रकूट के मां तारा आश्रम के महामंडलेश्वर कपिल देवदास नागा सन्यासी हैं. वो जहां बैठते हैं, उनके आसन के चारों ओर खरगोश ही नजर आते हैं. खरगोश बाबा को इतने प्रिय हैं कि वे बिना कि डर के बाबा के साथ खेलते रहते हैं.

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मोमोज खाते हैं खरगोश

10 सालों से पाल रहे हैं खरगोश

कपिल बाबा सांप और बंदर भी पाल चुके हैं. बाबा का कहना है कि 10 वर्षों से इनके आश्रम में खरगोश पाले जा रहे हैं. बाबा के इस काम में इनकी बेटी योगाचार्य राधिका वैष्णव अहम भूमिका निभाती है. राधिका का कहना है कि इन खरगोशों को सब कुछ खिलाया जाता है. इनको फास्ट फूड, मोमोज, चाउमिन खासतौर पर पसंद हैं.

खरगोश हैं शांति का प्रतीक

बाबा का कहना है कि श्वेत रंग शांति और एकाग्रता का प्रतीक है. इन खरगोशों का रंग भी वही है. इसलिए उनके पास रहने से मन को शांति मिलती है. माघ मेले में साधना में कोई विघ्न बाधा नहीं आती है. कथा के समय भी यह खरगोश उनके आस पास रहते हैं. बाबा कहते हैं कि मनुष्यों की सेवा लोग स्वार्थ से करते हैं. लेकिन जानवरों की सेवा भगवान की सेवा मानी जाती है. इसमें कोई स्वार्थ नही रहता. मनुष्य तो अपनी तकलीफों को बयां कर लेते हैं, लेकिन ये बेजुबान हैं. इसलिए इनकी सेवा सच्ची सेवा है.

जानवरों की सेवा ईश्वर की सेवा जैसा

ईश्वर ने कहा है कि पृथ्वी पर हर रूप में मेरा जन्म होगा. इसलिए इन पशु-पक्षियों की सेवा से मैं प्रसन्न हो जाउंगा. पुराणों में भी श्वेत पशु-पक्षियों का उल्लेख है. संत कहते है कि पुराणों में इन जानवरों का उल्लेख है. आज हम इस भगवा रूप को धारण करके प्रयागराज के माघ मेले में आए हैं, लेकिन हम सच्चा ध्यान नहीं लगा पाते. इन जीवों की सेवा से भगवान में ध्यान लगाना आसान हो जाता है. साथ ही संकल्प भी पूरा होता है. मानव से ज्यादा पशुओं की सेवा करनी चाहिए. यही धर्म है. भले ही माघ मेले में कई श्रद्धालु दिख रहे हों. मगर खरगोश वाले बाबा के पास आने से ज्ञान की अच्छी प्राप्ति हो रही है.

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की संगम नगरी में इन दिनों माघ मेला चल रहा है. मेले में आए साधु-संत लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. संतों के शिविरों में एक शिविर चित्रकुट से आए कपिलदेव महाराज का है. इनके आश्रम में शिष्यों से ज्यादा खरगोश रहते हैं. उनका कहना है कि इनकी सेवा ही असली कल्पवास है.

ये हैं खरगोश वाले बाबा
खरगोश के साथ खेलते हैं बाबा

वैष्णव संप्रदाय से आए निर्वाणी अखाड़े के कपिल देव महाराज इस समय माघ मेले में चर्चा का विषय बने हुए हैं. ये जीव से प्रेम करते हैं. उन्होंने अपने आश्रम में खरगोश पाल रखे हैं. आश्रम में चारों तरफ खरगोश ही खरगोश दिखते हैं. चित्रकूट के मां तारा आश्रम के महामंडलेश्वर कपिल देवदास नागा सन्यासी हैं. वो जहां बैठते हैं, उनके आसन के चारों ओर खरगोश ही नजर आते हैं. खरगोश बाबा को इतने प्रिय हैं कि वे बिना कि डर के बाबा के साथ खेलते रहते हैं.

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मोमोज खाते हैं खरगोश

10 सालों से पाल रहे हैं खरगोश

कपिल बाबा सांप और बंदर भी पाल चुके हैं. बाबा का कहना है कि 10 वर्षों से इनके आश्रम में खरगोश पाले जा रहे हैं. बाबा के इस काम में इनकी बेटी योगाचार्य राधिका वैष्णव अहम भूमिका निभाती है. राधिका का कहना है कि इन खरगोशों को सब कुछ खिलाया जाता है. इनको फास्ट फूड, मोमोज, चाउमिन खासतौर पर पसंद हैं.

खरगोश हैं शांति का प्रतीक

बाबा का कहना है कि श्वेत रंग शांति और एकाग्रता का प्रतीक है. इन खरगोशों का रंग भी वही है. इसलिए उनके पास रहने से मन को शांति मिलती है. माघ मेले में साधना में कोई विघ्न बाधा नहीं आती है. कथा के समय भी यह खरगोश उनके आस पास रहते हैं. बाबा कहते हैं कि मनुष्यों की सेवा लोग स्वार्थ से करते हैं. लेकिन जानवरों की सेवा भगवान की सेवा मानी जाती है. इसमें कोई स्वार्थ नही रहता. मनुष्य तो अपनी तकलीफों को बयां कर लेते हैं, लेकिन ये बेजुबान हैं. इसलिए इनकी सेवा सच्ची सेवा है.

जानवरों की सेवा ईश्वर की सेवा जैसा

ईश्वर ने कहा है कि पृथ्वी पर हर रूप में मेरा जन्म होगा. इसलिए इन पशु-पक्षियों की सेवा से मैं प्रसन्न हो जाउंगा. पुराणों में भी श्वेत पशु-पक्षियों का उल्लेख है. संत कहते है कि पुराणों में इन जानवरों का उल्लेख है. आज हम इस भगवा रूप को धारण करके प्रयागराज के माघ मेले में आए हैं, लेकिन हम सच्चा ध्यान नहीं लगा पाते. इन जीवों की सेवा से भगवान में ध्यान लगाना आसान हो जाता है. साथ ही संकल्प भी पूरा होता है. मानव से ज्यादा पशुओं की सेवा करनी चाहिए. यही धर्म है. भले ही माघ मेले में कई श्रद्धालु दिख रहे हों. मगर खरगोश वाले बाबा के पास आने से ज्ञान की अच्छी प्राप्ति हो रही है.

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