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सरकारी अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों ने तीमारदारों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा - तीमारदारों की पिटाई

प्रयागराज के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल (Swarooprani Nehru Hospital Prayagraj) में जूनियर डॉक्टरों ने तीमारदारों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. हालांकि इस मामले में किसी पक्ष की ओर से शिकायत नहीं दर्ज करवाई गई है.

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Published : Oct 27, 2022, 11:02 PM IST

प्रयागराज: जिले के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल (Swarooprani Nehru Hospital Prayagraj) में गुरुवार की शाम उस वक्त अफरातफरी मच गई जब एक मरीज के परिजन चिल्लाते हुए पुरानी बिल्डिंग से बाहर निकल रहे थे. इन परिजनों को मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर दौड़ाते हुए पीट रहे थे. जूनियर डॉक्टरों की भीड़ से बचने के लिए परिजन कैम्पस में इधर उधर भाग रहे थे. परिजनों को पीटने के बाद जूनियर डॉक्टरों का झुंड वहां से लौट गया. इसके बाद एसआरएन पुलिस चौकी से पहुंचे पुलिस वालों ने उन परिजनों को अस्पताल से दूसरी जहग शिफ्ट कर दिया गया. हालांकि किसी भी पक्ष ने कोई शिकायत नहीं की है. हालांकि अस्पताल परिसर में घटना की चर्चा जरूर हो रही है.

स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में मिर्जापुर से आये युवक का इलाज चल रहा था. दो बार सर्जरी के बाद भी उसे आराम नहीं मिला तो परिजनों ने खराब इलाज करने का आरोप लगाते हुए मरीज को दूसरी जगह रेफर करने की मांग की. अस्पताल में घटिया इलाज का आरोप लगाने की वजह से वार्ड में इलाज करने वाले जूनियर डॉक्टर भड़क गए और उनकी परिजनों से कहासुनी होने लगी. इस दौरान बात बिगड़ी और मारपीट की नौबत आ गयी. इसके बाद जूनियर डॉक्टर और तीमारदारों के बीच मारपीट हुई. डॉक्टर कमजोर पड़ने की जानकारी मिलते ही अस्पताल के दूसरे वार्डों से भी जूनियर डॉक्टर वहां पहुंच गए. इसके बाद डॉक्टरों का झुंड मरीज के परिजनों पर टूट पड़ा. एक एक कर सभी की पिटाई की जाने लगी. जिसके बाद पिटते हुए मरीज के परिजन वार्ड से बाहर भागे. लेकिन डॉक्टरों की भीड़ ने वार्ड के बाहर भी खदेड़कर परिजनों को पीटा.

कैम्पस में हो रही गुंडई का कुछ लोगों ने वीडियो बनाना चाहा तो उनका मोबाइल भी छीन लिया. एक व्यक्ति द्वारा विरोध करने पर उसका मोबाइल पटक दिया गया. जूनियर डॉक्टरो की गुंडई कैम्पस में चलती रही, लेकिन वहां बनी पुलिस चौकी में तैनात पुलिस वाले भी रोकने की हिम्मत नहीं जुटा सके. डॉक्टरो का झुंड जब शांत हुआ तो पुलिस वालों ने पिटे हुए परिजनों को मरीज के साथ अस्पताल से बाहर जाने में मदद की. वहीं रात तक इस मामले में किसी भी पक्ष की तरफ से कोई शिकायत नहीं दर्ज करवाई गई. जिस वजह से पुलिस और मेडिकल कॉलेज में अफसर घटना की जानकारी से भी इंकार करते रहे. हालांकि अस्पताल में इस बात की हर तरफ चर्चा जरूर हो रही है.

यह भी पढ़ें: सावधान! ब्लड और प्लेटलेट्स लेते समय बरतें ये सावधानियां, थोड़ी सी लापरवाही बन सकती जानलेवा

प्रयागराज: जिले के स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल (Swarooprani Nehru Hospital Prayagraj) में गुरुवार की शाम उस वक्त अफरातफरी मच गई जब एक मरीज के परिजन चिल्लाते हुए पुरानी बिल्डिंग से बाहर निकल रहे थे. इन परिजनों को मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर दौड़ाते हुए पीट रहे थे. जूनियर डॉक्टरों की भीड़ से बचने के लिए परिजन कैम्पस में इधर उधर भाग रहे थे. परिजनों को पीटने के बाद जूनियर डॉक्टरों का झुंड वहां से लौट गया. इसके बाद एसआरएन पुलिस चौकी से पहुंचे पुलिस वालों ने उन परिजनों को अस्पताल से दूसरी जहग शिफ्ट कर दिया गया. हालांकि किसी भी पक्ष ने कोई शिकायत नहीं की है. हालांकि अस्पताल परिसर में घटना की चर्चा जरूर हो रही है.

स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में मिर्जापुर से आये युवक का इलाज चल रहा था. दो बार सर्जरी के बाद भी उसे आराम नहीं मिला तो परिजनों ने खराब इलाज करने का आरोप लगाते हुए मरीज को दूसरी जगह रेफर करने की मांग की. अस्पताल में घटिया इलाज का आरोप लगाने की वजह से वार्ड में इलाज करने वाले जूनियर डॉक्टर भड़क गए और उनकी परिजनों से कहासुनी होने लगी. इस दौरान बात बिगड़ी और मारपीट की नौबत आ गयी. इसके बाद जूनियर डॉक्टर और तीमारदारों के बीच मारपीट हुई. डॉक्टर कमजोर पड़ने की जानकारी मिलते ही अस्पताल के दूसरे वार्डों से भी जूनियर डॉक्टर वहां पहुंच गए. इसके बाद डॉक्टरों का झुंड मरीज के परिजनों पर टूट पड़ा. एक एक कर सभी की पिटाई की जाने लगी. जिसके बाद पिटते हुए मरीज के परिजन वार्ड से बाहर भागे. लेकिन डॉक्टरों की भीड़ ने वार्ड के बाहर भी खदेड़कर परिजनों को पीटा.

कैम्पस में हो रही गुंडई का कुछ लोगों ने वीडियो बनाना चाहा तो उनका मोबाइल भी छीन लिया. एक व्यक्ति द्वारा विरोध करने पर उसका मोबाइल पटक दिया गया. जूनियर डॉक्टरो की गुंडई कैम्पस में चलती रही, लेकिन वहां बनी पुलिस चौकी में तैनात पुलिस वाले भी रोकने की हिम्मत नहीं जुटा सके. डॉक्टरो का झुंड जब शांत हुआ तो पुलिस वालों ने पिटे हुए परिजनों को मरीज के साथ अस्पताल से बाहर जाने में मदद की. वहीं रात तक इस मामले में किसी भी पक्ष की तरफ से कोई शिकायत नहीं दर्ज करवाई गई. जिस वजह से पुलिस और मेडिकल कॉलेज में अफसर घटना की जानकारी से भी इंकार करते रहे. हालांकि अस्पताल में इस बात की हर तरफ चर्चा जरूर हो रही है.

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