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माघ मेलाः कल्पवास पर कोरोना की काली छाया - कोरोना की वजह से तीर्थ पुरोहित परेशान

आस्था की नगरी कहे जाने वाले प्रयागराज में जनवरी से माघ मेला शुरू होना है. हर साल तैयारी जोर-शोर से शुरू हो जाती हैं पर इस बार कोरोना गाइडलाइन के चलते तमाम समस्या खड़ी हो गई हैं. कल्पवासियों को भी कल्पवास करने के लिए पहले सर्टिफिकेट लेना होगा.

मेले की तैयारी
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Published : Dec 13, 2020, 1:05 PM IST

प्रयागराजः विश्वभर में आस्था की नगरी कहे जाने वाली संगम नगरी यानी प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले में इस बार तमाम समस्या खड़ी हो गई हैं. माघ मेले के शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं. कोरोना के कारण इस बार तमाम गाइडलाइन का पालन करना है. इन गाइड लाइन का पालन करते हुए आयोजन करना व हर बार की तरह श्रद्धालुओं का आना आसान नहीं लग रहा.

माघ मेला

पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
यहां गंगा, यमुना व सरस्वती नदियों के संगम तट पर हर वर्ष माघ मेला लगता है. इसमें लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. आगामी जनवरी में आयोजन होना है. प्रशासन इसकी तैयारी में जुटा है. पर इस बार कोरोना की काली छाया के कारण श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम होगी ऐसी आशंका है. तीर्थ पुरोहित भी परेशान हैं. उनका कहना है कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में 40 से 60 फीसद श्रद्धालुओं के ही आने की उम्मीद है.

कल्पवास के लिए सर्टिफिकेट
सबसे बड़ी समस्या कल्पवासियों के लिए है. इस बार कल्पवासियों को कल्पवास के लिए कोरोना सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा. इसके बिना कल्पवास करने की इजाजत नहीं होगी. तीर्थ पुरोहितों के मुताबिक ज्यादातर कल्पवासी बुजुर्ग होते हैं और ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. ऐसे में वह अपना कोविड-19 का सर्टिफिकेट कैसे हासिल करेंगे, यह एक बड़ी व्यवहारिक समस्या है. इसके अलावा इस बार कल्पवासियों के साथ उनके परिजन भी नहीं रह सकेंगे. इसके चलते बुजुर्गों की देखभाल करना ही उनके लिए बेहद मुश्किल होगा. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए तीर्थ पुरोहितों ने माघ मेला में कल्प वासियों को गंगा किनारे बसाने की मांग की है. साथ ही कल्प वासियों को संगम किनारे बसाने वाले तीर्थ पुरोहितों के लिए भी माघ मेला को लेकर कोविड गाइडलाइन जारी हुई है, उसे अमल में लाना टेढ़ी खीर होगी.

प्रयागराजः विश्वभर में आस्था की नगरी कहे जाने वाली संगम नगरी यानी प्रयागराज में लगने वाले माघ मेले में इस बार तमाम समस्या खड़ी हो गई हैं. माघ मेले के शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं. कोरोना के कारण इस बार तमाम गाइडलाइन का पालन करना है. इन गाइड लाइन का पालन करते हुए आयोजन करना व हर बार की तरह श्रद्धालुओं का आना आसान नहीं लग रहा.

माघ मेला

पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
यहां गंगा, यमुना व सरस्वती नदियों के संगम तट पर हर वर्ष माघ मेला लगता है. इसमें लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. आगामी जनवरी में आयोजन होना है. प्रशासन इसकी तैयारी में जुटा है. पर इस बार कोरोना की काली छाया के कारण श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम होगी ऐसी आशंका है. तीर्थ पुरोहित भी परेशान हैं. उनका कहना है कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में 40 से 60 फीसद श्रद्धालुओं के ही आने की उम्मीद है.

कल्पवास के लिए सर्टिफिकेट
सबसे बड़ी समस्या कल्पवासियों के लिए है. इस बार कल्पवासियों को कल्पवास के लिए कोरोना सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा. इसके बिना कल्पवास करने की इजाजत नहीं होगी. तीर्थ पुरोहितों के मुताबिक ज्यादातर कल्पवासी बुजुर्ग होते हैं और ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. ऐसे में वह अपना कोविड-19 का सर्टिफिकेट कैसे हासिल करेंगे, यह एक बड़ी व्यवहारिक समस्या है. इसके अलावा इस बार कल्पवासियों के साथ उनके परिजन भी नहीं रह सकेंगे. इसके चलते बुजुर्गों की देखभाल करना ही उनके लिए बेहद मुश्किल होगा. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए तीर्थ पुरोहितों ने माघ मेला में कल्प वासियों को गंगा किनारे बसाने की मांग की है. साथ ही कल्प वासियों को संगम किनारे बसाने वाले तीर्थ पुरोहितों के लिए भी माघ मेला को लेकर कोविड गाइडलाइन जारी हुई है, उसे अमल में लाना टेढ़ी खीर होगी.

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