प्रयागराजः जिले के कोतवाली में तैनात इंस्पेक्टर नरेंद्र प्रसाद को कोरोना महामारी ने गम के सागर में डूबो दिया. उनकी पत्नी और भाभी को इस महामारी ने निगल लिया. लेकिन ये इंस्पेक्टर टूटा नहीं. बल्कि अपने फर्ज के लिए अपनों की तेरहवीं तक टाल दी, और वापस ड्यूटी की कमान संभाल ली. इस संकट काल में गम के सागर में डूबे नरेंद्र प्रसाद के इस त्याग की अफसर भी सराहना कर रहे हैं.
28 अप्रैल से ड्यूटी पर इंस्पेक्टर
इंस्पेक्टर नरेंद्र प्रसाद पत्नी और भाभी की मौत के पांच दिन बाद ही प्रयागराज पहुंचकर ड्यूटी करने लगे. उनका कहना है कि पत्नी और भाभी को तो महामारी से नहीं बचा सके. लेकिन मुस्तैदी से इलाके में ड्यूटी करेंगे, तो दूसरों की जिंदगी जरूर बचा सकते हैं. क्योंकि इस महामारी से बचाव के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को घरों में रखना जरूरी है. इसलिए वो पत्नी की तेरहवीं किये बिना खाकी का फर्ज निभाने के लिए वापस ड्यूटी पर आ गये हैं. इस दौरान वो और उनकी टीम जितनी मुस्तैदी से ड्यूटी करेगी, उतना ही ज्यादा लोग घरों में रहेंगे. जितना ज्यादा लोग घरों में रहेंगे, उतने ही सुरक्षित रहेंगे. जिससे लोगों की जिंदगी बची रहेगी.
23 सालों से कर रहे हैं नौकरी
प्रयागराज कोतवाली में तैनात इंस्पेक्टर नरेंद्र प्रसाद मूल रूप से मऊ जिले के रहने वाले हैं. 1998 में यूपी पुलिस में उनका चयन हुआ. जिसके बाद 23 सालों की नौकरी के दौरान कई जिलों में पोस्टिंग हो चुकी है. करीब 2 दो साल से उनकी तैनाती प्रयागराज में है. अलग-अलग थानों के बाद फिलहाल वो शहर कोतवाली में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं. महामारी के इस दौर में उन्होंने पत्नी और भाभी के साथ 4 दूसरे करीबियों की मौत का दंश झेला है. महामारी में दूसरों की मौत न हो, इसके लिए उन्होंने अपनों का क्रिया-कर्म छोड़ ड्यूटी पर मुस्तैद हो गए.
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पत्नी का अंतिम संस्कार करने के बाद इंस्पेक्टर ने अपने दो बेटों को संभाला. उनका बड़ा बेटा चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ से परास्नातक की पढ़ाई कर रहा है. जबकि छोटा बेटा खड़गपुर से बीटेक माइनिंग की पढ़ाई कर रहा है. पत्नी की मौत के बाद दोनों बेटों को समझाने और सांत्वना देने के बाद नरेंद्र प्रसाद फिर से ड्यूटी करने के लिए प्रयागराज पहुँच गए, और 28 अप्रैल से ड्यूटी संभाल ली.
इंस्पेक्टर के त्याग की आईजी के पी सिंह ने सराहना की
वर्तमान समय नरेंद्र प्रसाद के लिए दुखों भरा है. लेकिन इस कठिन समय मे उन्होंने पत्नी की तेरहवीं करने की जगह फर्ज निभाते हुए जनसेवा करने का फैसला लिया, और ड्यूटी पर वापस आ गए. उनके मुताबिक उन्होंने इस महामारी में पत्नी और भाभी समेत अपने 6 करीबियों को खोया है. इसलिए महामारी से हो रही मौतों के दर्द को बखूबी समझते हैं. आईजी के पी सिंह का कहना है कि इंस्पेक्टर की सेवा भावना से दूसरों को भी सीख लेनी चाहिए. वर्दी का फर्ज निभाने वाले इस खाकी वर्दीधारी की अब अफसर भी खूब सराहना कर रहे हैं.