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हड़ताल में गवाही रोकी तो वकीलों पर चलेगा अवमानना का केस, हाई कोर्ट ने दिए सख्त आदेश - High Court order to Director General

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हड़ताल में गवाही रोकने वाले वकीलों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया है. कोर्ट ने कहा कि हड़ताल के कारण किसी मुकदमें गवाही या अन्य प्रक्रिया प्रभावित होती है तो वकीलों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 7, 2023, 10:44 PM IST

प्रयागराजः वकीलों की हड़ताल के कारण यदि किसी मुकदमे में गवाही अथवा गवाह का बयान दर्ज करने या उसका परीक्षण करने की प्रक्रिया प्रभावित होती है तो इसके लिए दोषी वकीलों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश भी ऐसे वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा. वकीलों की हड़ताल से गवाहों का परीक्षण और मुकदमे का ट्रायल प्रभावित होने से मुकदमों के निस्तारण पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं.

महानिबंधक को भी तत्काल कार्रवाई के दिए निर्देशः हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी विचारण न्यायालयों को निर्देश दिया है कि यदि वकील गवाही में बाधा पहुंचाते हैं तो उनका नाम वह अपने रिकॉर्ड में दर्ज करें और इसकी रिपोर्ट बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और हाई कोर्ट को भेजें. कोर्ट ने बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश को भी निर्देश दिया है कि वह ट्रायल कोर्ट से प्राप्त होने वाली ऐसी शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषी वकील के खिलाफ कार्रवाई करें. साथ ही कोर्ट ने हाईकोर्ट के महानिबंधक को निर्देश दिया है कि वह ट्रायल कोर्ट से प्राप्त होने वाली ऐसी रिपोर्ट पर संबंधित वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की प्रक्रिया प्रारंभ करें.

तीन लोगों की याचिका पर कोर्ट दिया आदेशः नूर आलम, सूरज पासी, अब्दुल वाजिद की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने दिया है. याचियों ने द्वितीय, तृतीय जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया था. जिस पर कोर्ट ने उनके मुकदमों के इतने समय तक लंबित रहने का कारण पूछा और संबंधित ट्रायल कोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी. ट्रायल कोर्ट द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया कि वकीलों के बार-बार हड़ताल करने से मुकदमे के गवाहों की गवाही और उनके प्रति परीक्षण आदि की प्रक्रिया प्रभावित होती है. जिसकी वजह से मुकदमे के निस्तारण में विलंब होता है.

कोर्ट ने इस संबंध में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को अपनी ओर से सभी अधिवक्ता संगठनों को निर्देश जारी करने के लिए कहा था. काउंसिल की ओर से कोर्ट में कहा गया कि बार काउंसिल के अध्यक्ष ने सभी अधिवक्ता संगठनों को इस आशय का निर्देश भी जारी किया है कि हड़ताल, प्रदर्शन आदि के दौरान यदि किसी मुकदमे में गवाही होनी है या किसी गवाह की प्रति परीक्षा होनी है तो उससे संबंधित वकील को इस कार्य से रोका न जाए तथा उसे गवाही की प्रक्रिया संपन्न करने दी जाए. अदालत ने बार कांउसिल अध्यक्ष के उक्त आदेश को अपने निर्णय में दर्ज भी किया है.

इसे भी पढ़ें-हाई कोर्ट का आदेश, नाबालिग को भी उसकी इच्छा के विरुद्ध संरक्षण गृह में नहीं रख सकते

प्रयागराजः वकीलों की हड़ताल के कारण यदि किसी मुकदमे में गवाही अथवा गवाह का बयान दर्ज करने या उसका परीक्षण करने की प्रक्रिया प्रभावित होती है तो इसके लिए दोषी वकीलों के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश भी ऐसे वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा. वकीलों की हड़ताल से गवाहों का परीक्षण और मुकदमे का ट्रायल प्रभावित होने से मुकदमों के निस्तारण पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं.

महानिबंधक को भी तत्काल कार्रवाई के दिए निर्देशः हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी विचारण न्यायालयों को निर्देश दिया है कि यदि वकील गवाही में बाधा पहुंचाते हैं तो उनका नाम वह अपने रिकॉर्ड में दर्ज करें और इसकी रिपोर्ट बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और हाई कोर्ट को भेजें. कोर्ट ने बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश को भी निर्देश दिया है कि वह ट्रायल कोर्ट से प्राप्त होने वाली ऐसी शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए दोषी वकील के खिलाफ कार्रवाई करें. साथ ही कोर्ट ने हाईकोर्ट के महानिबंधक को निर्देश दिया है कि वह ट्रायल कोर्ट से प्राप्त होने वाली ऐसी रिपोर्ट पर संबंधित वकील के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की प्रक्रिया प्रारंभ करें.

तीन लोगों की याचिका पर कोर्ट दिया आदेशः नूर आलम, सूरज पासी, अब्दुल वाजिद की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने दिया है. याचियों ने द्वितीय, तृतीय जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया था. जिस पर कोर्ट ने उनके मुकदमों के इतने समय तक लंबित रहने का कारण पूछा और संबंधित ट्रायल कोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी. ट्रायल कोर्ट द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया कि वकीलों के बार-बार हड़ताल करने से मुकदमे के गवाहों की गवाही और उनके प्रति परीक्षण आदि की प्रक्रिया प्रभावित होती है. जिसकी वजह से मुकदमे के निस्तारण में विलंब होता है.

कोर्ट ने इस संबंध में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को अपनी ओर से सभी अधिवक्ता संगठनों को निर्देश जारी करने के लिए कहा था. काउंसिल की ओर से कोर्ट में कहा गया कि बार काउंसिल के अध्यक्ष ने सभी अधिवक्ता संगठनों को इस आशय का निर्देश भी जारी किया है कि हड़ताल, प्रदर्शन आदि के दौरान यदि किसी मुकदमे में गवाही होनी है या किसी गवाह की प्रति परीक्षा होनी है तो उससे संबंधित वकील को इस कार्य से रोका न जाए तथा उसे गवाही की प्रक्रिया संपन्न करने दी जाए. अदालत ने बार कांउसिल अध्यक्ष के उक्त आदेश को अपने निर्णय में दर्ज भी किया है.

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