प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण से निपटने के सरकारी रवैये की तीखी आलोचना की है और कहा है कि सरकार माई वे या नो वे (मेरा रास्ता या कोई रास्ता नहीं ) की जिद छोड़े और लोगों के सुझावों पर भी अमल करे. साथ ही कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है और पूछा है कि पंचायत चुनाव के दौरान सरकार की गाइडलाइंस का पालन क्यों नही किया गया. इसकी वजह से चुनाव ड्यूटी कर रहे 135 लोगों की मौत की खबर है.
चुनाव आयोग पर कार्रवाई की बात
कोर्ट ने आयोग से जवाब मांगा है कि क्यों न उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए और आपराधिक अभियोग चलाया जाए. साथ ही कोर्ट ने बचे चुनाव में तुरंत गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश भी दिया है और चेतावनी दी है कि अवहेलना करने पर चुनाव करा रहे अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी.
दिए सुझाव
कोर्ट ने अधिक संक्रमित प्रदेश के नौ शहरों के लिए कई सुझाव दिए हैं और उन पर अमल करने तथा सचिव स्तर के अधिकारी के हलफनामे के साथ तीन मई तक अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने प्रदेश के नौ शहरों लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर नगर, आगरा, गोरखपुर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर व झांसी के जिला जजों को आदेश दिया है कि सिविल जज सीनियर रैंक के न्यायिक अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में तैनात करे, जो शासन की कोरोना मरीजों की रिपोर्ट सप्ताहांत में महानिबंधक हाईकोर्ट को भेजे, जिसे सुनवाई के दिन कोर्ट में पेश किया जाए.
जीवन भाग्य भरोसे
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कोरोना मामले में कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि लोगों का जीवन भाग्य भरोसे है. कोरोना के भय से लोगों ने स्वयं को अपने घर में लॉकडाउन कर लिया है. सड़कें, गलियां रेगिस्तान की तरह सुनसान पड़ी हैं. शहरी आबादी कोरोना की चपेट में है. डॉक्टर, स्टाफ थक चुके हैं. जीवन रक्षक दवाएं ,इंजेक्शन की मारामारी है. आक्सीजन, मांग और आपूर्ति के मानक पर खरी नहीं उतर रही. नकली दवाएं बेचते रोज लोग पकड़े जा रहे हैं. सरकार के उपाय नाकाफी हैं. कोर्ट ने सचिव गृह तरूण गुप्ता द्वारा उठाये गएं कदमों और बनाई योजना को मानने से इंकार कर दिया और कुछ सुझाव देते हुए अमल करने का निर्देश दिया है.
दी जाए जानकारी
कोर्ट ने कहा कि जिला पोर्टल पर अस्पतालों में बेड की स्थिति की जानकारी दी जाए. एन्टीजन रिपोर्ट निगेटिव होने पर अस्पताल मरीज को भर्ती करने से मना न करें, उन्हे एक हफ्ते गैर कोविड वार्ड में रखा जाए. संविदा पर स्टाफ व कंप्यूटर आपरेटर नियुक्त किए जाएं. इनकी कमी न होने पाए. कोर्ट ने कहा है कि नागरिकों को आक्सीजन न दे पाना शर्मनाक है. कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर, हेल्थ वर्कर को 6 घंटे के रोटेशन पर तैनाती की जाए. जिले स्तर पर अधिक कोविड सेन्टर बनाने पर विचार किया जाए. साथ ही सुविधायुक्त एम्बुलेंस की संख्या बढ़ाई जाए. कोर्ट ने चेतावनी दी है कि पेपर वर्क बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इन सभी सुझावों पर राज्य सरकार को अमल करने का निर्देश दिया है.
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मांगी जानकारी
इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार से नौ नगरों के एल-दो व एल-तीन अस्पतालों के बेड की स्थिति व संख्या तथा डिमांड की जानकारी मांगी है. मामले में अगली सुनवाई 3 मई को होगी.