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2013 पुलिस भर्ती में कट ऑफ से अधिक अंक पाने वालों को न बुलाने पर हाईकोर्ट सख्त - 2013 पुलिस भर्ती

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 2013 की पुलिस भर्ती में कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन व चिकित्सा जांच के लिए बुलाने के आदेश का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है. कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को दो मार्च तक मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है.

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Published : Feb 5, 2020, 7:45 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 2013 की पुलिस भर्ती में कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन व चिकित्सा जांच के लिए बुलाने के आदेश का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है. कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को दो मार्च तक मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गोरखपुर के अजय कुमार की याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि उप्र पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में वह सफल घोषित हुआ, लेकिन उसे दस्तावेज सत्यापित करने और चिकित्सा जांच के लिए नहीं बुलाया गया.


कहा गया कि कोर्ट में मुकदमों के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है. हाईकोर्ट ने अंकित कुमार केस में बोर्ड को कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के दस्तावेज सत्यापित करने व चिकित्सा जांच कराने के लिए बुलाने का निर्देश दिया है. दो साल बीत जाने के बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया है. कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार से जानकारी मांगी है.


वहीं एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में आधार कार्ड, बायोमेट्रिक कार्ड बनाने का कार्य लेकर मानदेय भुगतान न करने को लेकर दाखिल याचिका पर दो अधिकारियों द्वारा परस्पर विरोधी हलफनामा दाखिल करने को गंभीरता से लिया है और राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता से 3 सप्ताह में याचिका में लगाए गए आरोपों का जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 26 फरवरी को होगी.


यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने मथुरा निवासी प्रकाश चन्द्र अग्रवाल की याचिका पर दिया है. याची का कहना है एनपीआर के डायरेक्टर ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि मथुरा उत्तर प्रदेश 18 जिलों के 51 लाख 82 हजार का भुगतान किया गया है, जिसमें नगर पालिका मथुरा के लिए 216000 रूपये दिये गए हैं, जबकि जिलाधिकारी मथुरा ने अपने हलफनामे में कहा है कि विशेष सचिव के 30 मार्च 2018 को जारी पत्र के तहत कुल भुगतान 29 लाख 56 हजार रुपये का किया गया है.


याची का कहना है कि 51 लाख 82 हजार के स्थान पर 29 लाख 56 हजार का भुगतान करना और कोर्ट को गलत जानकारी देना, गुमराह करना है. दोनों में 22 लाख 26 हजार रुपये का अंतर है, जोकि झूठा और आपत्तिजनक है. याची का यह भी कहना है कि उसे इस कार्य के लिए ₹2000 2013-14 में ही दिए जाने थे, जिसका भुगतान नहीं किया गया.


हाईकोर्ट के आदेश पर दो किस्तों में ₹2000 का भुगतान 2019 में किया गया, लेकिन ब्याज एवं मुकदमे का हर्जा खर्चा अभी तक नहीं दिया गया है. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से याचिका में लगाए गए आरोपों का जवाब 26 फरवरी तक दाखिल करने का आदेश दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 2013 की पुलिस भर्ती में कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन व चिकित्सा जांच के लिए बुलाने के आदेश का पालन क्यों नहीं किया जा रहा है. कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को दो मार्च तक मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गोरखपुर के अजय कुमार की याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि उप्र पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में वह सफल घोषित हुआ, लेकिन उसे दस्तावेज सत्यापित करने और चिकित्सा जांच के लिए नहीं बुलाया गया.


कहा गया कि कोर्ट में मुकदमों के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है. हाईकोर्ट ने अंकित कुमार केस में बोर्ड को कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के दस्तावेज सत्यापित करने व चिकित्सा जांच कराने के लिए बुलाने का निर्देश दिया है. दो साल बीत जाने के बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया है. कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार से जानकारी मांगी है.


वहीं एक अन्य मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में आधार कार्ड, बायोमेट्रिक कार्ड बनाने का कार्य लेकर मानदेय भुगतान न करने को लेकर दाखिल याचिका पर दो अधिकारियों द्वारा परस्पर विरोधी हलफनामा दाखिल करने को गंभीरता से लिया है और राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता से 3 सप्ताह में याचिका में लगाए गए आरोपों का जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 26 फरवरी को होगी.


यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने मथुरा निवासी प्रकाश चन्द्र अग्रवाल की याचिका पर दिया है. याची का कहना है एनपीआर के डायरेक्टर ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि मथुरा उत्तर प्रदेश 18 जिलों के 51 लाख 82 हजार का भुगतान किया गया है, जिसमें नगर पालिका मथुरा के लिए 216000 रूपये दिये गए हैं, जबकि जिलाधिकारी मथुरा ने अपने हलफनामे में कहा है कि विशेष सचिव के 30 मार्च 2018 को जारी पत्र के तहत कुल भुगतान 29 लाख 56 हजार रुपये का किया गया है.


याची का कहना है कि 51 लाख 82 हजार के स्थान पर 29 लाख 56 हजार का भुगतान करना और कोर्ट को गलत जानकारी देना, गुमराह करना है. दोनों में 22 लाख 26 हजार रुपये का अंतर है, जोकि झूठा और आपत्तिजनक है. याची का यह भी कहना है कि उसे इस कार्य के लिए ₹2000 2013-14 में ही दिए जाने थे, जिसका भुगतान नहीं किया गया.


हाईकोर्ट के आदेश पर दो किस्तों में ₹2000 का भुगतान 2019 में किया गया, लेकिन ब्याज एवं मुकदमे का हर्जा खर्चा अभी तक नहीं दिया गया है. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से याचिका में लगाए गए आरोपों का जवाब 26 फरवरी तक दाखिल करने का आदेश दिया है.

[04/02, 14:50] Krishna Ji Shukla: प्रयागराज 4फरवरी 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि 2013की पुलिस भर्ती में कट आफ मार्क  से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन व चिकित्सा जांच के लिए बुलाने के आदेश का पालन क्यो नही किया जा रहा है। कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को दो मार्च तक मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। 
यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गोरखपुर के अजय कुमार की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता प्रशांत मिश्र ने दिया है। याची का कहना है कि उ प्र पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में वह सफल घोषित हुआ। किन्तु उसे दस्तावेज सत्यापित करने व चिकित्सा जांच के लिए नही बुलाया गया। कहा गया कि कोर्ट  में मुकदमों के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। हाईकोर्ट ने अंकित कुमार केस में बोर्ड को कट आफ मार्क से अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के दस्तावेज सत्यापित करने व चिकित्सा जांच कराने के लिए बुलाने का निर्देश दिया है। दो साल बीत जाने के बाद भी आदेश का पालन नहीं किया गया है। कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार से जानकारी मांगी है।
[04/02, 17:10] Krishna Ji Shukla: डायरेक्टर एन पी आर व डी एम मथुरा ने दाखिल किया अन्तर्विरोधी हलफ़नामा 

कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरण 


प्रयागराज 4 फरवरी 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने  वर्ष 2013में आधार  कार्ड ,बायोमेट्रिक कार्ड बनाने का कार्य लेकर मानदेय भुगतान न करने  को लेकर दाखिल याचिका पर दो अधिकारियों द्वारा परस्पर विरोधी हलफनामा दाखिल  करने को गंभीरता से लिया है। और राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता से 3 सप्ताह में याचिका में लगाए गए आरोपों का जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 26 फरवरी को होगी ।
यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने मथुरा निवासी प्रकाश चन्द्र अग्रवाल की याचिका पर दिया है ।
याची का कहना है एनपीआर के डायरेक्टर ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि मथुरा  उत्तर प्रदेश 18जिलो के लिए ₹5182000 का भुगतान किया गया है। जिसमें नगर पालिका मथुरा के लिए 216000 रूपए दिये गये है ।जबकि जिलाधिकारी मथुरा ने अपने हलफनामे में कहा है किविशेष सचिव के30मार्च 2018को जारी पत्र  के तहत कुल भुगतान 29 लाख 56 हजार रुपए का किया गया है ।याची का कहना है कि51 लाख 82 हजार के स्थान पर ₹2956000 का भुगतान करना और कोर्ट को गलत जानकारी देना, गुमराह करना है। दोनों  में 22 लाख 26 हजार रुपये का अंतर है। जोकि झूठा और आपत्तिजनक है ।याची का यह भी कहना है कि उसे इस कार्य के लिए ₹2000 2013-14 में ही दिए जाने थे।  जिसका भुगतान नहीं किया गया। हाईकोर्ट के आदेश पर दो किस्तों में ₹2000 का भुगतान 2019 मे किया गया।   किंतु ब्याज एवं मुकदमे का हर्जा खर्चा अभी तक नहीं दिया गया है ।जिस पर कोर्ट ने  राज्य सरकार के अधिवक्ता से याचिका में लगाए गए आरोपों का जवाब 26 फरवरी तक दाखिल करने का आदेश दिया है।
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