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बीईओ भर्ती में आरक्षण का मामला, सरकार व आयोग से जवाब तलब

खंड शिक्षा अधिकारी भर्ती में आरक्षण को लेकर दाखिल याचिका पर बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचीगण को भर्ती परीक्षा में चयनित हो चुके अभ्यर्थियों को पक्षकार बनाने की छूट दी. साथ ही भर्ती की चयन सूची में आरक्षण लागू करने में अनियमितता को लेकर प्रदेश सरकार व आयोग से जवाब तलब किया है

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Feb 17, 2021, 9:07 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खंड शिक्षा अधिकारी भर्ती में आरक्षण लागू करने में अनियमितता को लेकर दाखिल याचिका पर प्रदेश सरकार व आयोग से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने याचीगण को भर्ती परीक्षा में चयनित हो चुके अभ्यर्थियों को पक्षकार बनाने की छूट दी है. अशोक कुमार सिंह व अन्य पिछड़ा वर्ग के अन्य अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायाधीश अजय भनोट ने सुनवाई की.

याचिका में भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण लागू करने में व्यापक अनियमितता का आरोप लगाया गया है. साथ ही 30 जनवरी 2021 को जारी चयन सूची रद्द करने की मांग की गई है. अधिवक्ता मुस्तकीम अहमद, राजेंद्र सिंह यादव व अंकिता सिंह के अनुसार 13 दिसंबर 2019 को बीईओ के 309 पदों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया. विज्ञापन की धारा 7 में चयन प्रक्रिया में आरक्षण कानून का पालन करने की बात कही गई.

6 दिसंबर 2020 को मुख्य परीक्षा में 4,182 अभ्यर्थियों ने भाग लिया और 30 जनवरी 2021 को चयन सूची जारी कर दी गई, लेकिन इस चयन सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग के केवल 31 अभ्यर्थियों को रखा गया है, जबकि 309 पदों के सापेक्ष 27 प्रतिशत के हिसाब से 83 ओबीसी अभ्यर्थियों को चयन सूची में शामिल किया जाना चाहिए. कहा गया कि इस प्रकार 30 जनवरी 2021 को जारी चयन सूची इस भर्ती के विज्ञापन की धारा 7 के विपरीत है. पक्षकारों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने चार सप्ताह में आयोग को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही याचीगण से कहा है कि वह इस दौरान चयनित अभ्यर्थियों को भी याचिका में पक्षकार बनाएं.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खंड शिक्षा अधिकारी भर्ती में आरक्षण लागू करने में अनियमितता को लेकर दाखिल याचिका पर प्रदेश सरकार व आयोग से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने याचीगण को भर्ती परीक्षा में चयनित हो चुके अभ्यर्थियों को पक्षकार बनाने की छूट दी है. अशोक कुमार सिंह व अन्य पिछड़ा वर्ग के अन्य अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिका पर न्यायाधीश अजय भनोट ने सुनवाई की.

याचिका में भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण लागू करने में व्यापक अनियमितता का आरोप लगाया गया है. साथ ही 30 जनवरी 2021 को जारी चयन सूची रद्द करने की मांग की गई है. अधिवक्ता मुस्तकीम अहमद, राजेंद्र सिंह यादव व अंकिता सिंह के अनुसार 13 दिसंबर 2019 को बीईओ के 309 पदों की भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया. विज्ञापन की धारा 7 में चयन प्रक्रिया में आरक्षण कानून का पालन करने की बात कही गई.

6 दिसंबर 2020 को मुख्य परीक्षा में 4,182 अभ्यर्थियों ने भाग लिया और 30 जनवरी 2021 को चयन सूची जारी कर दी गई, लेकिन इस चयन सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग के केवल 31 अभ्यर्थियों को रखा गया है, जबकि 309 पदों के सापेक्ष 27 प्रतिशत के हिसाब से 83 ओबीसी अभ्यर्थियों को चयन सूची में शामिल किया जाना चाहिए. कहा गया कि इस प्रकार 30 जनवरी 2021 को जारी चयन सूची इस भर्ती के विज्ञापन की धारा 7 के विपरीत है. पक्षकारों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने चार सप्ताह में आयोग को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही याचीगण से कहा है कि वह इस दौरान चयनित अभ्यर्थियों को भी याचिका में पक्षकार बनाएं.

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