प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समेत प्रदेश के कई महत्वपूर्ण शहरों में लगभग 68 हजार करोड़ रुपये के शाइन सिटी घोटाले की जांच कर रहीं एजेंसियों में तालमेल की कमी बताई है. कोर्ट ने ईडी, एसएफआईओ और ईडब्ल्यूओ से मामले की जांच की प्रगति जाननी चाही. ईडी और एसएफआईओ ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की लेकिन कोर्ट ने उसे लेने से इनकार कर दिया. कहा कि जांच के दौरान फ्लैट, गाड़ियां या अन्य जो चीजें सीज की गई हैं, उनका विवरण हलफनामे के माध्यम से पेश किया जाए. कोर्ट ने जांच एजेंसियों की जांच पर भी पिछली बार की तरह सवाल उठाए और असंतोष जताते हुए मामले में अगली सुनवाई की तिथि 12 दिसंबर निर्धारित कर सीबीआई के अधिवक्ता से भी हाजिर होने को कहा है.
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने दिया है. कोर्ट ने जांच एजेंसियों से पूछा कि राशिद नसीम का प्रत्यर्पण कैसे होगा? बताया गया कि रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने सहित कई अन्य उपाय किए गए हैं. कोर्ट ने सोशल मीडिया साइट्स, यूट्यूब पर राशिद नसीम की ओर से किए जा रहे प्रसारण पर रोक न लगा पाने पर नाराजगी जताई. कहा कि एजेंसियां आपसी समन्वय बनाकर काम नहीं कर रही हैं. इस पर ईडी और एसएफआईओ के अधिवक्ता ने तीन महीने का समय मांगा लेकिन कोर्ट ने उसे नहीं माना.
बुधवार को सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि शाइन सिटी में पुलिस चौकी इंचार्ज, इंस्पेक्टर से लेकर पुलिस विभाग के कई बड़े अधिकारियों तक की संलिप्तता है. उन्होंने न सिर्फ निवेश कर रखा है बल्कि घोटाले में उन्हें उनका हिस्सा पहुंचता रहा है. कई पुलिसकर्मियों ने कई शहरों में कंपनी के सीईओ राशिद नसीम से कहकर अपने प्लॉट भी रिजर्व करा लिए थे. सुनवाई के दौरान शाइन सिटी के अधिवक्ता ने हलफनामे के साथ रिकॉर्ड पेश करने की बात कही तो कोर्ट ने पूछा कि इसके अलावा कोई अन्य रिकॉर्ड नहीं है. अधिवक्ता ने कहा कि उनके पास जो भी है, वह उसे पेश कर रहे हैं। रिकॉर्ड और भी हो सकते हैं लेकिन ऑफिस सील है. इस पर कोर्ट ने उनका हलफनामा लेने से मना कर दिया.